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तबाही ही तबाही: चार दिन में दो बार फूट पड़ा लावा, हिल गया ये देश

साल भर से ज्यादा समय शांत रहने के बाद इंडोनेशिया का माउंट सिनाबुंग बीते चार दिन में दो बार फूट पड़ा है। इस ज्वालामुखी से निकला धुआं और राख कई किलोमीटर तक फैल गई।

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Published on: 11 Aug 2020 11:26 AM GMT
तबाही ही तबाही: चार दिन में दो बार फूट पड़ा लावा, हिल गया ये देश
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तबाही ही तबाही: चार दिन में दो बार फूट पड़ा लावा, हिल गया ये देश

नई दिल्ली : साल भर से ज्यादा समय शांत रहने के बाद इंडोनेशिया का माउंट सिनाबुंग बीते चार दिन में दो बार फूट पड़ा है। इस ज्वालामुखी से निकला धुआं और राख कई किलोमीटर तक फैल गई। धुआं और राख करीब 16,400 फुट की ऊंचाई तक जा पहुंचा, जिससे आसमान में सिर्फ धुआं ही धुआं नज़र आने लगा। इस कारण इस क्षेत्र में विमानों की उड़ानों का रास्ता बदल दिया गया। चारों ओर इस कदर राख फ़ैली कि दिन में रात जैसा अँधेरा हो गया।

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तबाही ही तबाही: चार दिन में दो बार फूट पड़ा लावा, हिल गया ये देश

ज्वालामुखियों का देश

इंडोनेशिया में ज्वालामुखियों की भरमार है और 127 से ज्यादा सक्रिय ज्वालामुखी हैं। इनमें से एक माउंट सिनाबुंग रिंग ऑफ फायर में आता है। यहां के सुमात्रा टापू पर स्थित यह ज्वालामुखी साल 2010 से धधक रहा है। 2010 में यह ज्वालामुखी धधकना शुरू हुआ था और साल 2013 में इसमें विस्फोट हुआ था, जिसमें 14 लोगों की मौत हो गई थी।

इंडोनेशिया में ज्वालामुखी प्रशांत महासागर के रिंग ऑफ़ फायर का हिस्सा हैं। इस क्षेत्र में भूगर्भ संरचना इस तरह की है कि यहाँ भूकंप और ज्वालामुखी फटने का ख़तरा हमेशा बना रहता है। 1883 में क्राकाटोआ ज्वालामुखी का विस्फोट ऐसा था कि उसका असर पूरी दुनिया में फैला था। माना जाता है कि 74 हजार साल पहले ज्वालामुखियों की श्रंखला में विस्फोट होने से 6 साल तक वातावरण प्रभावित रहा था। इंडोनेशिया में सबसे सक्रिय ज्वालामुखी जावा द्वीप पर हैं जिनमें एक हजार साल में तीस से ज्यादा बार फट चुके हैं। 2012 के एक आंकलन के अनुसार इंडोनेशिया के 50 लाख लोग ज्वालामुखी के डेंजर ज़ोन में रहते हैं।

एक लाख लोगों की मौत

इंडोनेशिया के तमबोरा ज्‍वालामुखी में 12 अप्रैल 1815 को जबरदस्‍त धमाका हुआ था। इसके बाद 17 अप्रैल को ज्‍वालामुखी से लावा निकलने लगा जिसने एक लाख लोगों की जान ले ली थी। इसकी वजह से सुमबवा द्वीप पर डेढ़ मीटर मोटी राख की परत बिछ गई। तेज धमाकों के बाद यहां सूनामी भी आई जिसकी वजह से तक के करीब बसे लोग मारे गए। धीरे-धीरे इस राख की जद में आस-पास के गांव, कस्‍बे और फिर शहर तक आ गए। राख की वजह से वहां का वातावरण इस कदर दूषित हो चुका था कि गर्म राख सांस के जरिए उनके शरीर में जा रही थी। सैकड़ों लोग इस राख की जद में आकर इसमें ही ढेर भी हो चुके थे।

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माउंट सिनाबुंग का हाल

माउंट सिनाबुंग ज्वालामुखी का हाल ये है कि इससे निकली राख और मलबा पहाड़ के ढलान पर बने गाँव पर गिरा और घरों पर दो इंच मोटी राख की परत बन गयी है। ये गांव पहले ही खाली करा लिए गए थे।

जियोलॉजिकल हाज़ार्ड मिटिगेशन सेंटर के मुताबिक ज्वालामुखी के फटने से अभी तक किसी की मौत या किसी के घायल होने की कोई खबर नहीं है। लोगों को सलाह दी गई है कि ज्वालामुखी के केंद्र से पांच किलोमटर के दायरे में न जाएं। साथ ही उन्हें लावा निकलने को लेकर भी चेतावनी दी गई है और सावधान रहने को कहा गया है।

इस ज्वालामुखी के कारण बीते कुछ सालों में आस पास के करीब 30 हज़ार लोगों को मजबूरन अपना घर छोड़कर कहीं और बसना पड़ा है।

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