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लाशों की गिनती बढ़ी, देश की सेना बनी काल, प्रदर्शनकारियों को मारी गोली
म्यांमार की सेना ने एक बार फिर 7 प्रदर्शनकारियों को गोली मार दी। कहा जा रहा है कि तख्तापलट के बाद से अब तक 50 से अधिक प्रदर्शनकारी मारे जा चुके है।
लखनऊ: म्यांमार में तख्तापलट देशवासियों के लिए किसी सजा से कम नहीं है। आये दिन प्रदर्शनकारियों और सेना के बीच हो रहे संघर्ष के बीच कई लोगों की मौत हो चुकी है। बीच सड़क पर सेना तख्तापलट का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों को गोली मारने से भी नहीं चूक रहे। इसी कड़ी में म्यांमार की सेना ने एक बार फिर 7 प्रदर्शनकारियों को मौत के घाट उतार दिया है। कहा जा रहा है कि तख्तापलट के बाद से अब तक देश की सेना जुंटा ने 50 से अधिक प्रदर्शनकारियों को मार दिया है। सैन्य सरकार लोगों के विरोध को दबाने के लिए उनपर ताबड़तोड़ गोलियां बरसा रही है, साथ ही आंसू गैस के गोले दाग रही पानी की बौछारें मार रही है।
प्रदर्शनकारियों पर हमले की निंदा
देश में तख्तापलट होने के वजह से लगातार प्रदर्शन और सेना आपस में भिड़ रहे हैं। लोगो पर सेना की ऐसी कार्रवाई को लेकर अंतरराष्ट्रीय मंच पर चिंता की जा रही है। इसके पहले अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने म्यांमार के प्रदर्शनकारियों पर हमले की निंदा करते हुए अधिक हिंसा होने पर वह कार्रवाई करने की चेतावनी दी थी।
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बता दें कि विरोध प्रदर्शनों को रोकने के नाम पर सेना ने देशभर में भीड़ पर ताबड़तोड़ गोलीबारी की। ऐसे में प्रदर्शनकारियों पर सेना द्वारा इस कार्रवाई के मद्देनजर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UN Security Council) ने अपील किया है कि इस पर रोक लगाया जाए। असल में एक स्वतंत्र UN एक्सपर्ट ने मानवता के खिलाफ बढ़ते अत्याचार का हवाला दिया।
एक और गंभीर आरोप
इस दौरान सेना ने नेता आंग सान सू पर एक और गंभीर आरोप लगाया है। साथ ही सेना का कहना है कि उन्होंने अवैध तरीके से 6 लाख डॉलर यानि लगभग 4 करोड़ 36 लाख रुपये और 11 किलो सोना जमा किया। तख्तापलट के बाद निर्वाचित सरकार को बेदखल कर सेना ने आंग सान सूकी व अन्य वरिष्ठ नेताओं को हिरासत में ले लिया था।
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यहां तख्तापलट होने के बाद से देश के हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। वहीं अब यहां के प्रत्येक सार्वजनिक इमारत के बाहर सैनिकों को तैनात कर दिया गया है। लगातार भारी संख्या में तख्तापलट का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों को नियंत्रण में लेने के लिए देश की सेना जुंटा ने देश के बड़े शहरों अस्पतालों, विश्वविद्यालय परिसरों और मंदिरों के बाहर सैनिकों को तैनात कर रखा है।