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चीन-नेपाल भाई-भाई: भारत की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा, हमले को तैयार हैं ये देश

नेपाल बीते कई दिनों से चीन के साथ अपनी नजदीकियां बढ़ता ही जा रहा है। दूसरी तरफ भारत के साथ नेपाल का सीमा विवाद तनावग्रस्त होता जा रहा। ऐसे में भारत और चीन के बीच सीमा भूमि विवाद बढ़ने की वजह से नेपाल का किरदार अब और भी अहम हो गया है।

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Published on: 28 Sept 2020 11:26 AM IST
चीन-नेपाल भाई-भाई: भारत की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा, हमले को तैयार हैं ये देश
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नेपाल बीते कई दिनों से चीन के साथ अपनी नजदीकियां बढ़ता ही जा रहा है। दूसरी तरफ भारत के साथ नेपाल का सीमा विवाद तनावग्रस्त होता जा रहा। ऐसे में भारत और चीन के बीच सीमा भूमि विवाद बढ़ने की वजह से नेपाल का किरदार अब और भी अहम हो गया है।

नई दिल्ली। नेपाल बीते कई दिनों से चीन के साथ अपनी नजदीकियां बढ़ता ही जा रहा है। दूसरी तरफ भारत के साथ नेपाल का सीमा विवाद तनावग्रस्त होता जा रहा। ऐसे में भारत और चीन के बीच सीमा भूमि विवाद बढ़ने की वजह से नेपाल का किरदार अब और भी अहम हो गया है। इसी सिलसिले में कई विश्लेषक इस बात की वजह से चिंतित है कि नेपाल में चीन की बढ़ती नजदीकियां भारत की सुरक्षा के लिए भी बड़ा खतरा साबित हो सकती हैं।

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नेपाल और चीन के रिश्तों को प्रभावित

ऐसे में इन सबके चलते चीन में नेपाल के राजदूत महेंद्र बहादुर पांडे ने रविवार को चीनी मीडिया को एक इंटरव्यू दिया है जिसमें उन्होंने भारतीय मीडिया रिपोर्ट्स को फर्जी बताते हुए कहा कि तमाम कोशिशों के बावजूद भारतीय मीडिया नेपाल और चीन के रिश्तों को प्रभावित नहीं कर पाएगी।

इसी दौरान चीन में नेपाल के राजदूत महेंद्र पांडे ने कहा कि नेपाल और चीन अच्छे पड़ोसी देश हैं और अच्छे दोस्त भी। साल 1955 से ही दोनों देशों के कूटनीतिक संबंध रहे हैं। आगे उन्होंने कहा, चीन में नेपाल के नए राजदूत होने के नाते मेरी प्राथमिकता दोनों देशों के बीच हुए समझौते हैं। बीते साल चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने नेपाल का दौरा किया था जो बेहद सफल रहा। इसमें 20 समझौतों पर हस्ताक्षर हुए।

साथ ही नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने भी चीन का दौरा किया और कई समझौतों पर हस्ताक्षर हुए। इसलिए मेरी प्राथमिकता रहेगी, कि इन समझौतों पर जल्द से जल्द से काम आगे बढ़ सके।

आगे कहते हुए- पिछले साल हम बेल्ट ऐंड रोड परियोजना के तहत कई प्रोजेक्ट शुरू कर चुके हैं। ये प्रोजेक्ट शिक्षा, स्वास्थ्य, इन्फ्रास्ट्रक्चर और पर्यावरण से संबंधित हैं। चीन में अपने कार्यकाल के दौरान मेरी प्राथमिकता में यही चीजें होंगी।

china nepal फोटो-सोशल मीडिया

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नेपाल की गहराती दोस्ती से सुरक्षा चिंताएं बढ़ गई

ऐसे में चीनी मीडिया ने फिर नेपाली राजूदत से सवाल किया कि कुछ विदेशी मीडिया में खासकर भारतीय मीडिया में कहा जा रहा है कि चीन और नेपाल की गहराती दोस्ती से सुरक्षा चिंताएं बढ़ गई हैं, इस पर आपका क्या कहना है?

इस सवाल के जवाब में नेपाली राजदूत ने कहा, ये तथ्यों पर आधारित नहीं है और पूर्वाग्रहों से ग्रसित है। ये डर की अभिव्यक्ति है। भारत एक उपनिवेश था जबकि नेपाल हमेशा से एक स्वतंत्र और संप्रुभ देश रहा है। हम किसी भी विचारधारा या किसी भी शक्ति की तरफ झुके हुए नहीं हैं।

china jinping फोटो-सोशल मीडिया

आगे नेपाली राजदूत ने कहा, भारतीय मीडिया पूर्वाग्रहों से ग्रसित है या फिर गुमराह है इसीलिए वे इस तरह की फर्जी खबरें और प्रोपेगैंडा छाप रहे हैं लेकिन ये असलियत नहीं है। चीन और नेपाल का रिश्ता स्वाभाविक और दोस्ताना है।

आगे कहते हुए- ये क्षेत्र का सवाल नहीं है बल्कि समझ और एक-दूसरे की मदद का है। चीन और भारत दोनों ही पड़ोसियों को एक-दूसरे को लेकर डरना नहीं चाहिए। इसके बजाय हमें हाथ मिलाना चाहिए और आपसी समझ विकसित करते हुए सहयोग बढ़ाने की कोशिश करनी चाहिए।

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नेपाल भारत और चीन के बीच फंसकर रह गया

चीनी मीडिया सवाल करता है कि क्या नेपाल भारत और चीन के बीच फंसकर रह गया है? चीन-भारत सीमा तनाव ने उसकी कश्मकश बढ़ा दी हैं?

फिर इस सवाल के जवाब में नेपाल के राजदूत महेंद्र पांडे ने कहा, कई बार ऐसा होता है। चीन और भारत दो पड़ोसी देश है। नेपाल और चीन भी पड़ोसी हैं। इसी तरह नेपाल और भारत भी पड़ोसी हैं। नेपाल और भारत के बीच कुछ भू-भाग में लंबे समय से चली आ रही समस्याएं हैं।

इस पर आगे महेंद्र राजदूत ने कहा, पहले हमें चीन के साथ भी कुछ समस्याएं थीं लेकिन हम तत्कालीन चीनी नेता माओ जेडोंग के साथ बैठे और बातचीत की। उस वक्त चीन के प्रधानमंत्री झाओ इनलाई थे। हमने उस वक्त एक समझौता किया और सीमा विवाद सुलझ गया। अब चीन के साथ हमारा कोई सीमा विवाद नहीं है। इस पूरी बातचीत में नेपाल चीन का साथ देता नजर आया है।

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