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कैसे बचाएंगे ओली अपनी कुर्सी, आज क्या रहेगा प्रचंड दांव
नेपाल में कई दिनों से सियासी माहौल काफी गरमाया हुआ है। ओली ने दो दिनों के भीतर राष्ट्रपति के साथ ही नेपाली सेना के प्रमुख से भी मुलाकात की है। इन मुलाकातों के बाद नेपाल में तरह-तरह की अटकलों का बाजार गरम है।
अंशुमान तिवारी
काठमांडू। नेपाल की सियासत में आज का दिन काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। आज नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की किस्मत का फैसला हो सकता है। सावन के पहले सोमवार के दिन भगवान पशुपतिनाथ की धरती नेपाल में सियासी गतिविधियां चरम पर हैं। सत्तारूढ़ नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) में ओली का विरोधी गुट इस्तीफे की मांग पर अड़ा हुआ है। सत्तारूढ़ एनसीपी की स्टैंडिंग कमेटी की आज बैठक भी होने वाली है। इसके साथ ही विरोधी गुट के नेता पुष्प कमल दहल प्रचंड की आज फिर पीएम ओली के साथ महत्वपूर्ण बैठक होने वाली है। सियासी जानकारों का कहना है इसके बाद ही यह तय हो सकेगा कि सरकार बचेगी या ओली अपने पद से इस्तीफा देंगे।
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प्रचंड के साथ बैठक में सहमति नहीं
नेपाल में कई दिनों से सियासी माहौल काफी गरमाया हुआ है। ओली ने दो दिनों के भीतर राष्ट्रपति के साथ ही नेपाली सेना के प्रमुख से भी मुलाकात की है। इन मुलाकातों के बाद नेपाल में तरह-तरह की अटकलों का बाजार गरम है। रविवार को भी ओली और प्रचंड की महत्वपूर्ण बैठक हुई थी। इस बैठक के लिए प्रचंड खुद पीएम के आधिकारिक आवास पर गए थे। हालांकि आधे घंटे चली इस बैठक में कोई सहमति नहीं बन सकी। जानकारों का कहना है कि प्रचंड ओली के इस्तीफे की मांग पर अड़े हुए हैं और इस कारण दोनों नेताओं के बीच सहमति नहीं बन पा रही है। दोनों के बीच सिर्फ इस बात पर सहमति बनी थी कि सोमवार को फिर बैठक होगी।
स्टैंडिंग कमेटी के अधिकांश सदस्य खिलाफ
नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी की स्टैंडिंग कमेटी का गणित भी ओली के खिलाफ है। समिति के 44 सदस्यों में से 30 से ज्यादा सदस्य ओली के इस्तीफे की मांग पर अड़े हुए हैं। ओली प्रधानमंत्री के साथ ही पार्टी के अध्यक्ष भी हैं। पार्टी का एक वर्ग चाहता है कि ओली को इनमें से एक पद छोड़ देना चाहिए जबकि ओली दोनों पद अपने पास बनाए रखने पर अड़े हुए हैं। जानकारों का कहना है कि अगर ओली ने इस्तीफे से इनकार किया तो पार्टी में टूट भी हो सकती है। ऐसी स्थिति में पार्टी दो गुटों में बंट सकती है। एक गुट ओली के साथ जबकि दूसरा गुट प्रचंड के साथ जा सकता है। रविवार की बैठक में भी प्रचंड ने ओली से अध्यक्ष पद छोड़ने के लिए कहा था मगर वे इसके लिए तैयार नहीं हुए।
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विभिन्न मुद्दों को लेकर ओली से नाराजगी
नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी के नेता विभिन्न मुद्दों को लेकर ओली से काफी नाराज हैं। ओली पर आरोप लगाया गया है कि वे नेपाल में कोरोना संकट से निपटने में पूरी तरह नाकाम साबित हुए। इसके साथ ही सीमा विवाद को लेकर भारत से कोई बातचीत शुरू न हो पाने के कारण भी ओली से नाराजगी बढ़ती जा रही है। जानकारों का कहना है कि ओली ने चीन की बातों में फंस कर भारत के तीन इलाकों को नेपाल में शामिल किया था।
चीन के प्रयासों को नहीं मिली कामयाबी
ओली को सियासी संकट से बाहर निकालने के लिए नेपाल में चीन के राजदूत होऊ यांगी भी काफी प्रयास कर रही हैं मगर उन्हें भी कामयाबी मिलती नहीं दिख रही है। ओली अपने मंत्रियों से भी कह चुके हैं कि वे साफ करें कि वे उनके साथ हैं या उनके खिलाफ। वैसे पार्टी में कमजोर होती पकड़ को देखते हुए ओली का जाना तय माना जा रहा है।
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