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अपने को दगा देकर कुर्सी पर काबिज हुए नेपाली PM केपी ओली, भारत से दुश्मनी

नेपाली केपी ओली के वामपंथी गठबंधन के संसदीय चुनाव में जीत हासिल किए जाने के बाद सन् 2018 में दूसरी बार सत्ता संभालने पर नेपाल में राजनीतिक स्थिरता की आशा जताई थी, पर ऐसा हुआ नहीं।

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Published on: 21 Dec 2020 4:38 PM IST
अपने को दगा देकर कुर्सी पर काबिज हुए नेपाली PM केपी ओली, भारत से दुश्मनी
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नेपाली केपी ओली के वामपंथी गठबंधन के संसदीय चुनाव में जीत हासिल किए जाने के बाद सन् 2018 में दूसरी बार सत्ता संभालने पर नेपाल में राजनीतिक स्थिरता की आशा जताई थी

काठमांडू। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली भारत का विरोध करते हुए सत्ता पर काबिज तो हो गए हैं और अब नेपाल में मध्यावधि चुनाव की सिफारिश करके अपनी सियासी पार्टी के नेताओं को तगड़ा झटका दिया है। ऐसे में प्रधानमंत्री केपी ओली और राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी की आपसी साजिश से न सिर्फ सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के नेता बल्कि नेपाली जनता भी हैरान है। बता दें, अपनी किशोरवस्था में एक छात्र कार्यकर्ता के रूप में राजनीति में आए वरिष्ठ कम्युनिस्ट नेता केपी शर्मा ओली के नेपाल का प्रधानमंत्री बनने तक का सफर बड़ा अजब का रहा है।

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राजनीतिक स्थिरता की आशा जताई

नेपाली केपी ओली के वामपंथी गठबंधन के संसदीय चुनाव में जीत हासिल किए जाने के बाद सन् 2018 में दूसरी बार सत्ता संभालने पर नेपाल में राजनीतिक स्थिरता की आशा जताई थी, पर ऐसा हुआ नहीं। नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के भीतर सत्ता को लेकर चले लंबे संघर्ष के बाद रविवार को संसद भंग करने की राष्ट्रपति से सिफारिश कर उन्होंने सभी को आश्चर्यचकित कर दिया।

बता दें, के पी ओली किशोरावस्था में ही राजनीति में आ गए थे और राजशाही का विरोध करने के लिए उन्होंने 14 साल जेल में बिताए। वह 2018 में वाम गठबंधन के संयुक्त उम्मीदवार के रूप में दूसरी बार नेपाल के प्रधानमंत्री बने थे।

nepal pm फोटो-सोशल मीडिया

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नेपाल-भारत के संबंध तनावपूर्ण

लेकिन चीन समर्थकों के संपर्क के लिए जाने वाले 68 वर्षीय ओली ने इससे पहले 11 अक्टूबर, 2015 से तीन अगस्त, 2016 तक देश के प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया था। इस बीच नेपाल-भारत के संबंध तनावपूर्ण हो गए थे।

ऐसे में अपने पहले कार्यकाल के दौरान केपी ओली ने नेपाल के आंतरिक मामलों में कथित हस्तक्षेप को लेकर सार्वजनिक रूप से भारत की निंदा की थी और उसपर उनकी सरकार को अस्थिर करने का आरोप लगाया था।

लेकिन उन्होंने दूसरे कार्यकाल के लिए पद संभालने से पहले देश को आर्थिक समृद्धि के रास्ते पर आगे बढ़ाने के लिए भारत के साथ एक साझेदारी बनाने का वादा किया था।

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