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North Korea: जरा देखें सनकी तानाशाह की नौटंकी, भुखमरी से बेहाल उत्तर कोरिया, लेकिन फिर भी मान नहीं रहा
North Korea Kim Jong Un: दुनिया को कर्ज देने वाली वर्ल्ड बैंक या अन्य संस्थाओं से भी उत्तर कोरिया नहीं जुड़ा है। जानकारी के अनुसार किम जोंग की सरकार वर्ल्ड बैंक से इसलिए नहीं जुड़ना चाहता है, क्योंकि ऐसा होने पर उसे अपने देश का लेखा जोखा सबके सामने रखना होगा।
North Korea Kim Jong Un: क्रूर तानाशाह के तौर पर पहचाने जाने वाले किंम जोंग उन का देश इन दिनों भुखमरी झेल रहा है। उत्तर कोरिया में बड़ा खाद्य सकंट आया हुआ है। ऐसे में दुनिया से कटे उत्तर कोरिया को किसी भी देश से मदद नहीं मिल रही है। ऐसे में उत्तर कोरिया के लोग आसमान छूती महंगाई के चलते अन्न के दाने-दाने को तरस रहे हैं।
हाल में खबर आई थी कि किम जोंग ने अपने देश में खुदखुशी करने पर रोक लगा दी है। दक्षिण कोरियाई इंटेलिजेंस सर्विस के मुताबिक किम के देश में इस साल सुसाइड करने वालों की संख्या 40 प्रतिशत तक बढ़ गई है। इन सभी जान गंवाने वालों ने भूखमरी के चलते खुदखुशी की थी।
अनाज की कमी के कारण
खेती किसानी के पारंपरिक तरीकों पर भरोसा करने वाले उत्तर कोरिया के पास न तो खाद है और ना ही मॉडर्न उपकरण हैं। उत्तर कोरिया पहले चीन से खाद लेता था, लेकिन सीमाएं बंद करने के बाद से खाद की भी सप्लाई नहीं हो रही है। एक रिपोर्ट के मुताबिक यहां खेती के लिए उर्वर जमीन बेहद कम है। पूरे देश के केवल 20 प्रतिशत हिस्से में ही खेती होती है।
मदद को मानता है मीठा जहर
दक्षिण कोरिया की खुफिया एजेंसियों के मुताबिक कई देश उत्तर कोरिया की मदद के लिए अपना हाथ आगे बढ़ा चुके हैं, लेकिन किम जोंग की सरकार हेल्प को मीठा जहर मानती है। यहां की सरकार के मुताबिक विदेशी ताकतें मदद का बहकावा देकर देश तोड़ देती हैं। इसी क्रम में यहां के एक सरकारी न्यूजपेपर रोडॉन्ग सिनमन में लोगों को ऐसे लालच से दूर रहने को लेकर लेख लिखा था।
असल हालात कोई नहीं जानता
दुनिया को कर्ज देने वाली वर्ल्ड बैंक या अन्य संस्थाओं से भी उत्तर कोरिया नहीं जुड़ा है। यह देश ग्लोबल इकनॉमी का हिस्सा नहीं है। जानकारी के अनुसार किम जोंग की सरकार वर्ल्ड बैंक से इसलिए भी नहीं जुड़ना चहाता है, क्योंकि ऐसा होने पर उसे अपने देश का लेखा जोखा सबके सामने रखना होगा। इसके अलावा फॉरेन एक्सचेंज का भी रास्ता देना होगा। किम नहीं चाहते कि उनके देश में किसी भी प्रकार का कोई दखल दे।
ऐसे में उत्तर कोरिया के पास पैसा कहां से आता है, उसके पास कितने पैसे हैं, पैसे का क्या होता है। इस बारे में कोई कुछ नहीं जानता। बस इसे लेकर अंदाजा लगाया जाता है।
बदहाली में भी नहीं लेता मदद
उत्तर कोरिया अपनी बदहाली के बाद भी किसी से मदद नहीं लेता है। इसका पहला कारण उसकी अमेरिका से गहरी दुश्मनी है और ज्यादातर फंड देने वाली कंपनियों का US से गहरा कनेक्शन होता है। ऐसे में कोरिया अपनी कमजोर नस को अपने दुश्मन के हाथों में नहीं देना चाहता है।
संस्थाएं क्यों नहीं करती मदद
कांग्रेशनल रिसर्च सर्विस के मुताबिक पहले US उत्तर कोरिया की मदद करता था। अमेरिका ने कोरिया में साल 1995 से 2008 तक अनाज की सप्लाई की थी। लेकिन इसी बीच उत्तर कोरिया में न्यूक्लियर टेस्ट होने के कारण अमेरिका ने मदद देना बंद कर दिया। उत्तर कोरिया में 2017 में भारी बाढ़ आई थी। ऐसे में यूनिसेफ समेत कई संस्थाओं ने मदद के लिए आगे आई, लेकिन उत्तर कोरिया सरकार एक हद तक मदद लेने के बाद सभी को रोक देती थी। कोरिया बस अपने दोस्त चीन से मदद लेता रहा है। चीन ही उसका सबसे बड़ा डोनर है। लेकिन चीन से उसे कितनी मदद मिलती है, इसकी जानकारी नहीं है।
देश पर बैन और उसका मैनेजमेंट
स्टेटिस्टा रिसर्च के अनुसार उत्तर कोरिया पर 2 हजार से ज्यादा बैन लगे हुए हैं। उत्तर कोरिया चीन और रुस जैसे देशों के अलावा किसी और से खुलकर व्यापार नहीं कर सकता है। यूएन की रिपोर्ट के मुताबिक मिसाइल परिक्षणों के लिए पैसे जुटाने के लिए उत्तर कोरिया क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज पर साइबर अटैक करता है। यह देश कथित तौर पर तस्करी और कोयले के अवैध व्यापार से ही पैसे कमाता है।