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जर्मनी में नौ साल में ऐसा पहली बार, सब हैं हैरान ये कैसे

2019 के अंत में जहां जर्मनी में 18.3 लाख शरणार्थी थे, वहीं 2020 के पहले छह महीनों में यह संख्या घट कर 17.7 लाख रह गई यानी कुल 62,000 कम। ये आंकड़े तब सामने आए जब देश की वामपंथी पार्टी डी लिंके ने शरणार्थियों से जुड़ी कुछ जानकारी मांगी।

Newstrack
Published on: 10 Oct 2020 3:38 PM IST
जर्मनी में नौ साल में ऐसा पहली बार, सब हैं हैरान ये कैसे
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जर्मनी में नौ साल में ऐसा पहली बार, सब हैं हैरान ये कैसे (social media)

बर्लिन: 2019 के अंत और 2020 के शुरुआती महीनों के बीच जर्मनी में शरणार्थियों की संख्या 60,000 कम हुई है। कइयों का परमिट खत्म हुआ तो बहुतों को जर्मनी में प्रवेश करने की अनुमति ही नहीं मिली। जर्मनी के गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार नौ साल में ऐसा पहली बार हुआ है जब जर्मनी में शरणार्थियों की संख्या में गिरावट दर्ज की गई है।

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2019 के अंत में जहां जर्मनी में 18.3 लाख शरणार्थी थे, वहीं 2020 के पहले छह महीनों में यह संख्या घट कर 17.7 लाख रह गई यानी कुल 62,000 कम। ये आंकड़े तब सामने आए जब देश की वामपंथी पार्टी डी लिंके ने शरणार्थियों से जुड़ी कुछ जानकारी मांगी। पार्टी जानना चाहती थी कि देश में कितने शरणार्थियों के पास रहने की सुरक्षित जगह और परमिट है। मंत्रालय ने सूचना दी कि फिलहाल 13.1 लाख शरणार्थियों के पास रहने के लिए सुरक्षित जगह है। पिछले छह महीने की तुलना में यह करीब 50,000 कम है।

इनके अलावा जर्मनी में 4,50,000 वे लोग भी मौजूद हैं जिन्होंने यहां शरण का आवेदन दिया हुआ है लेकिन अभी उनके कागजों पर कोई फैसला नहीं लिया गया। पिछले साल यह संख्या 15,000 ज्यादा थी। गृह मंत्रालय के अनुसार आंकड़ों में कमी की मुख्य वजह यह रही कि बहुत से लोगों के परमिट खत्म हो गए या फिर उनके प्रोटेक्शन स्टेटस को खारिज कर दिया गया। इसके अलावा कोरोना महामारी के कारण यूरोप में सीमाएं बंद रहीं और हवाई यातायात ठप्प पड़ा रहा। इस कारण भी लोग देश में प्रवेश नहीं कर पाए।

किसे मिलती है जर्मनी में शरण

जर्मन कानून के तहत शरणार्थियों को अलग अलग श्रेणियों में देश में रहने की अनुमति मिलती है। सबसे आम हैं वे लोग जो जिनेवा कन्वेंशन के तहत मदद मांगते हैं। यदि कोई व्यक्ति यह साबित कर पाता है कि उसे अपने देश में अपने धर्म, जाति, राजनीतिक विचारों या किसी संगठन से जुड़े होने के कारण जान का खतरा है, तो जिनेवा कंवेंशन के तहत उसे शरण पाने का हक है। यह स्टेटस ना मिलने की स्थिति में लोग सब्सिडरी प्रोटेक्शन के लिए आवेदन देते हैं। इसमें उन्हें यह बताना होता है कि अब अगर वे अपने देश लौटे तो उनकी जान को खतरा होगा।

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अब ज्यादा सख्ती

जर्मनी में वैसे अब शरणार्थियों की अर्जियों पर काफी सावधानी और जांच पड़ताल की जाने लगी है। इसकी वजह है कि बड़ी संख्या में ऐसे लोग जर्मनी पहुँच गए हैं जो वास्तव में शरणार्थी हैं ही नहीं बल्कि वे जर्मनी में अच्छा जीवन बिताने और पैसा कमाने आये हैं। ऐसे में इस तरह के तत्व झूठी जानकारियां देते हैं जैसे कि अपनी योग्यता खूब बढ़ा चढ़ा कर बताना, उम्र के बारे में झूठ बोलना, यहाँ तक कि ये भी गलत बताना कि वे कहाँ से आये हैं। बहुत से शरणार्थी जानबूझ कर अपने पासपोर्ट और अन्य दस्तावेज नष्ट कर देते हैं ताकि उनकी असलियत पता न चल सके। ऐसा भी पाया गया है कि अपने देश से अपराध करके भागे हुए लोग भी शरणार्थी होने का दावा पेश कर देते हैं।

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