रोजाना एक अरब हिट्स आते हैं, इस कोरोना वायरस ट्रैकर साइट पर

दुनिया में ढेरों वेबसाइटें कोविड-19 बीमारी के फैलाव, मरीजों और मृतकों की संख्या को ट्रैक कर रही हैं। इनमें डब्लूएचओ से लेकर छोटे-छोटे संगठन तक शामिल हैं। लेकिन अमेरिका की जॉन होपकिंस यूनिवर्सिटी द्वारा चलाया जा रहा ऑनलाइन डैशबोर्ड सबसे अलग है।

Shivani Awasthi
Published on: 11 April 2020 7:46 PM IST
रोजाना एक अरब हिट्स आते हैं, इस कोरोना वायरस ट्रैकर साइट पर
X

नीलमणि लाल

लखनऊ। दुनिया में ढेरों वेबसाइटें कोविड-19 बीमारी के फैलाव, मरीजों और मृतकों की संख्या को ट्रैक कर रही हैं। इनमें डब्लूएचओ से लेकर छोटे-छोटे संगठन तक शामिल हैं। लेकिन अमेरिका की जॉन होपकिंस यूनिवर्सिटी द्वारा चलाया जा रहा ऑनलाइन डैशबोर्ड सबसे अलग है। ये कोविड-19 के बारे में सबसे ताजा डेटा उपलब्ध कराता है। इस डैश बोर्ड में दुनिया का नक्शा, संक्रमण, मौतों, और ठीक हुये मरीजों की संख्या दी जाती है। हर रोज इस साइट पर एक अरब हिट्स आते हैं और कोविड-19 मामलों की ये सबसे विश्वसनीय साइट है जिसे दुनिया भर के मीडिया संगठन और सरकारी एजेंसियां इस्तेमाल करती हैं। अमेरिका के कोरोना वार रूम में भी ये ट्रैकर चलता रहता है। अब तो इस डैश बोर्ड की नकल में तमाम देशों द्वारा अपनी साइटें भी बना ली गईं हैं।

कोविड-19 मामलों में सबसे विश्वसनीय साइट

जॉन होपकिंस यूनिवर्सिटी के कोरोना ट्रैकर के पीछे हैं होपकिंस सेंटर फॉर सिस्टम्स साइन्स एंड इंजीनीयरिंग के सह निदेशक लॉरेन गार्डनर। जिन्होने खसरे और जीका वायरस के बारे में काम किया हुआ है। गार्डनर ने कोरोना ट्रैकर जनवरी में ही शुरू कर दिया था। जब चीन में ही वायरस का प्रकोप था। गार्डनर बताते हैं कि उनका एक छात्र एन्शेंग डोंग चीनी है और उसने ट्रैकर बनाने में निजी तौर रुचि ली थी। कुछ ही घंटों में हमने डैशबोर्ड बना लिया। अगले ही दिन यानी 22 जनवरी को इसे ट्विटर पर शेयर किया और तुरंत ही ये बहुत लोकप्रिय हो गया। आज हर मिनट दुनिया भर के दसियों लाख लोग इसे देखते हैं।

ये भी पढ़ेंःकोरोना संक्रमण से मृत्यु होने पर राज्य सरकार के कर्मियों को मिलेगा 50 लाख रुपये का मुआवजा: सीएम योगी

लगातार मिलती हैं सूचनाएँ

गार्डनर बताते हैं कि उनको दुनिया भर से कोरोना वायरस के प्रकोप की सूचनाएँ लगातार मिलती रहती है। हजारों फोन और ईमेल आते हैं। औटोमेटिक तरीके से हमें डेटा मिलता रहता है। हमारा एक ऑटोमैटिक सिस्टम भी है जो डेटा में किसी भी गड़बड़ी को तत्काल पकड़ लेता है। अमेरिका में मीडिया सूचनाओं को एक स्थान पर एकत्र करने वाली एक साइट है 1point3Acres जिसे हम बहुत गहनता से फॉलो करते हैं और अमेरिका का डेटा वहीं से उठाते हैं। वो साइट ग्लोबल डेटा हमसे लेती है। इत्तेफाक की बात है कि ये साइट भी चीनी मूल के अमेरिकी नागरिकों द्वारा बनाई गई है।

ये भी पढ़ेंःऐसे होगी कोाविड-19 की जांच, स्थापित की जा रहीं दो नई प्रयोगशालाएं

शुरुआत में थी 6 लोगों की टीम

होपकिंस के डैश बोर्ड को चलाने वाली गार्डनर की टीम में पहले सिर्फ 6 लोग थे। लेकिन जल्द ही होपकिंस यूनिवर्सिटी ने पूरा समर्थन देना शुरू कर दिया। पहले अमेज़न क्लाउड कम्प्यूटिंग के सर्वर का इस्तेमाल किया जा रहा था लेकिन लोड बढ्ने पर यूनिवर्सिटी की अप्लाइड फिजिक्स लैब से पूरा टेक्निकल सपोर्ट मिलने लगा। इस डैश बोर्ड के मैपिंग सॉफ्टवेयर को ‘एसरी’ नमक कंपनी करती है। होपकिंस यूनिवर्सिटी के लोग ही मीडिया और कम्युनिकेशन का काम संभालते हैं।

ये भी पढ़ेंःचीन के बाद अब ये तीन देश जल्द कर सकते हैं लॉकडाउन खत्म करने का एलान

सब काम होता है औटोमेटिक

होपकिंस के डैश बोर्ड का काम शुरुआत में मैनुअली किया जाता था लेकिन अब सब कुछ औटोमेटिक है। डैशबोर्ड हर घंटे ऑटोमैटिक ढंग से अपडेट हो जाता है। फिर भी सर्वर की निगरानी और डेटा क्यूरेशन के लिए शिफ्टों में 24 घंटे टीम अपने घरों से ऑनलाइन काम करती है। इंग्लैंड से बैठे बैठे छात्र सुबह की शिफ्ट देखते हैं। चूंकि सब काम स्वचालित है सो गार्डनर और उनकी टीम कोविड-19 बीमारी से जुड़े डेटा पर अन्य काम कर रही है। डेटा को अधिकारियों के साथ शेयर किया जा रहा है ताकि नीति बनाने में सहूलियत हो। गार्डनर बताते हैं उनकी लैब में डैशबोर्ड और कोविड-19 के डेटा के अलावा सब काम बंद कर दिया गया है।

दोस्तों देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।

Shivani Awasthi

Shivani Awasthi

Next Story