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पाकिस्तान को बड़ा झटका! कंगाली के बाद छीन लिया गया ये भी

यूरोप इंडिया चैम्बर ऑफ कॉमर्स (इआईसीसी) ने यूरोपीयन कमिशन के ईयू कमिश्नर फॉर ट्रेड को पत्र लिखकर मांग की है कि पाकिस्तान को दिए गए जीएसपी (प्राथमिकतओं की सामान्यीकृत प्रणाली) के दर्जा को वापस ले लिया जाए। पाकिस्तान को कश्मीर के लिए हर तरफ से झटके लग रहे हैं।

Vidushi Mishra
Published on: 30 April 2023 6:35 PM IST
पाकिस्तान को बड़ा झटका! कंगाली के बाद छीन लिया गया ये भी
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यूरोप इंडिया चैम्बर ऑफ कॉमर्स

नई दिल्ली : यूरोप इंडिया चैम्बर ऑफ कॉमर्स (ईआईसीसी ) ने यूरोपीयन कमिशन के ईयू कमिश्नर फॉर ट्रेड को पत्र लिखकर मांग की है कि पाकिस्तान को दिए गए जीएसपी (प्राथमिकतओं की सामान्यीकृत प्रणाली) के दर्जा को वापस ले लिया जाए। पाकिस्तान को कश्मीर के लिए हर तरफ से झटके लग रहे हैं। पाकिस्तान अपने ही देश में अलंपसंख्यकों के साथ अत्याचार करता है। इन सबके बाद बड़ी शान से दूसरे देशों पर ऊंगली उठा देता है। पाकिस्तान खुद की हरकतों को नहीं देखता है।

आपको बता दें कि जीएसपी के तहत यूरोपीय संघ के बाजारों में आयात पर शुल्क नहीं लगाया जाता है। ऐसे में अगर ये दर्जा वापस लिया जाता है तो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को तगड़ा झटका लग सकता है।

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मंदी की मार झेल रहा पाकिस्तान

इसके साथ ही पाकिस्तान वैसे भी पहले से भी मंदी की मार झेल रहा है। अब पाक की इन हालातों पर यदि उसके खिलाफ ये कार्रवाई हो जाती है तो उसको बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि जीएसपी के तहत यूरोपीयों देशों में आयात के लिए शुल्क नहीं लगाया जाता है।

ईआईसीसी ने पाकिस्तान कमिश्नर के नाम जो चिट्ठी लिखी उसमें उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में सिखों, हिंदुओं और ईसाइयों का धार्मिक उत्पीड़न किया जाता है। 12 सितंबर को लिखे पत्र में, ईआईसीसी ने अल्पसंख्यक समुदायों से लड़कियों के जबरन धर्म परिवर्तन से संबंधित मामलों पर भी प्रकाश डाला।

धर्म परिवर्तन जबरदस्ती

इस चिट्ठी में लिखा गया कि मैडम कमिश्नर, हम चिंतित हैं कि पाकिस्तानी ईसाइयों, सिखों और हिंदुओं के खिलाफ व्यवस्थित नरसंहार में लिप्त है। अल्पसंख्यकों ने पाकिस्तान में ऐतिहासिक और वर्तमान धार्मिक उत्पीड़न और व्यवस्थित हिंसा का अनुभव किया है। वहां जबरन धर्मांतरण किया जाता है। पत्र के अनुसार धार्मिक उत्पीडन नरसंहार, विध्वंस और चर्चों और मंदिरों की तबाही और शिक्षा केंद्रों को ध्वस्त किया गया है।

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पाकिस्तानी ईसाई, हिंदू और सिख अदालतों के सामने शक्तिहीन हैं, क्योंकि वहां अपराधियों को मदरसों से झूठी उम्र और शादी के प्रमाण पत्र मिलते हैं, और अदालतें दस्तावेजों का वेरिफिकेशन नहीं करती हैं। ईसाई और अन्य अल्पसंख्यक न केवल उग्रवाद के लिए आसान लक्ष्य हैं साथ ही देश में सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक बहिष्कार का शिकार भी हैं।

ईआईसीसी ने श्रीलंका का हवाला देकर पाकिस्तान से दर्जा वापस लेने की मांग करते हुए लिखा कि पहले भी मानवाधिकार का उल्लंघन करने पर व्यापार के विशेषाधिकार कुछ देशों से वापस ले लिए गए हैं,जैसे कि श्रीलंका। ईयू ने उन सामानों का आयात भी प्रतिबंधित किया था जिसके बनाने में मानवाधिकार का उल्लंघन होता हो।

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