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पाकिस्तान के पास नहीं हैं ईंधन खरीदने के पैसे, गाय के गोबर से चलाएगा बसें
पाकिस्तान की आर्थिक तंगी की बात किसी भी छिपी हुई नहीं है। हाल ही में पाकिस्तान से खबर आई थी कि इमरान सरकार गधों की आबादी बढ़ाने की योजना पर काम कर रही है।
इस्लामाबाद: पाकिस्तान की आर्थिक तंगी की बात किसी भी छिपी हुई नहीं है। हाल ही में पाकिस्तान से खबर आई थी कि इमरान सरकार गधों की आबादी बढ़ाने की योजना पर काम कर रही है।
दावा किया गया कि गधों का निर्यात करके पाकिस्तान सरकार पैसा कमाना चाहती है। इससे सरकारी खजाना भरने की बात कही गई थी। अब ऐसी खबर आ रही है कि इमरान सरकार गाय के गोबर से बसें चलाने जा रही है। इस योजना पर काम भी शुरू हो गया है। ट्रायल के तौर पर कुछ बसें चालू भी कर दी गई है।
आखिर क्या दिखाना चाहता है पाकिस्तान
इनके जरिए वो दिखा रहा है कि गाय के गोबर से ग्रीन गैसों का उत्पादन करके क्या किया जा सकता है। इसके जरिए पाकिस्तान कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन को भी रोक रहा है।
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एक साल से प्रोजेक्ट पर चल रहा काम
पड़ोसी देश पाकिस्तान ने करीब एक साल पहले गाय के साथ घोषणा की थी कि वो गाय के गोबर से हाइब्रीड बसें चलाएगा। अब उसका ये प्रोजेक्ट करीब करीब तैयार है। जल्दी ही पाकिस्तान के कराची में हम करीब 200 बसों को गाय गोबर के गैस ईंधन से चलते देखेंगे। ये प्रयोग दुनिया का सबसे अलग किस्म का प्रयोग होगा।
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के ताजा आंकड़ों के अनुसार दुनियाभर में हर साल 4 मिलियन से भी ज्यादा लोगों की वायु प्रदूषण की वजह से होने वाली बीमारियों से मौत हो जाती है।
रिपोर्ट में जिन देशों के नाम सबसे ऊपर हैं उनमें पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान भी शामिल है। यहां वायु प्रदूषण का स्तर इतना खतरनाक है कि हर साल 3 नवंबर से 31 दिसंबर तक का वक्त स्मॉग सीजन घोषित किया जाने लगा है। गाय के गोबर से बसें चलाने का प्रयोग इसे देखते हुए ही किया गया, ताकि वातावरण में ग्रीन गैसें जा सकें और प्रदूषण कम हो।
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एक गदहे की खाल से पाकिस्तान को 18 से 20 हजार तक की कमाई
गधों की नस्लों के हिसाब से यहां पर इनकी कीमत तय की गई है। मीडिया खबरों के मुताबिक, एक गधों की खाल से पाकिस्तान को 18 से 20 हजार रुपए तक मिल जाते हैं। इस हिसाब से देखा जाए, तो पाकिस्तान को इस सौदे से काफी मुनाफा हो रहा है।
अकेले लाहौर में ही गधों की संख्या करीब 41 हजार है पंजाब लाइवस्टोक डिपार्टमेंट के आंकड़ों के मुताबिक अकेले लाहौर में ही गधों की संख्या करीब 41 हजार है। इनकी बढ़ती तादात को देखते हुए पाकिस्तान में गधों के लिए अस्पताल भी बनाया गया है।
जहां पर इनका इलाज मुफ्त करवाया जा सकता है। पाकिस्तान की मीडिया के मुताबिक गधों के व्यापार में लगे लोगों को इससे काफी फायदा हो रहा है। इतना ही नहीं पूरे देश में गधों की कीमत में भी काफी तेजी से इजाफा हुआ है। 2016 के आंकड़ों के अनुसार पाकिस्तान में 51 लाख गधे थे, जो 2017 में बढ़कर 53 लाख हो गए।
अब भी पाकिस्तान में गधों की संख्या बढ़ने की रफ्तार जारी है।पाकिस्तान में 80 लाख परिवार पशुपालन के काम में लगे हुए हैं बता दें कि पाकिस्तान में करीब 80 लाख परिवार पशुपालन के काम में लगे हुए हैं, जिनकी आय का 35 फीसद हिस्सा पशुपालन से आता है। पाकिस्तान सरकार के अनुसार गधे न केवल नकद कमाई का जरिया हैं बल्कि ये ग्रामीण इलाकों में गरीबी हटाने और विदेशी मुद्रा कमाने का भी अहम जरिया है।
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