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पाकिस्तान ने करतारपुर के बाद अब शारदापीठ कॉरिडोर को दी हरी झंडी
पाकिस्तान के नेशनल असेंबली में तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के सदस्य रमेश कुमार ने इस मामले में जानकारी देते हुए कहा, 'पाकिस्तान सरकार ने शारदा मंदिर को खोलने का फैसला किया है। इस परियोजना पर काम मौजूदा साल में शुरू हो जायेगा।
नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्तों को सुधारने के लिए करतारपुर कॉरिडोर के बाद अब एक और धार्मिक स्थल की स्थापना होने जा रही है। दरअसल, पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में स्थित प्राचीन हिंदू मंदिर शारदा पीठ की यात्रा के लिये एक गलियारे की स्थापना के प्रस्ताव को पाकिस्तान सरकार ने मंजूरी दे दी है।
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इस गलियारे के निर्माण से भारत से हिंदू तीर्थ यात्रियों को इस मंदिर में दर्शन का मौका मिल पायेगा। शारदा पीठ गलियारे के खुल जाने से यह पाकिस्तान नियंत्रित क्षेत्र में करतारपुर गलियारे के बाद दूसरा धार्मिक मार्ग होगा, जो दोनों पड़ोसी देशों को जोड़ने का काम करेगा।
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि भारत के विदेश मंत्रालय ने पहले ही कॉरिडोर खोलने का प्रस्ताव भेज दिया है। सरकार के कुछ अधिकारी इस क्षेत्र का दौरा करेंगे और प्रधानमंत्री को रिपोर्ट सौंपेंगे। दूसरी ओर भारत ने इस गलियारे के बारे में बात करते हुए बताया कि यह प्रस्ताव लोगों की आस्था और धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखकर दिया गया था. भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाली बातचीत के दौरान भारत कई बार इसका ज़िक्र कर चुका है।
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पाकिस्तान के नेशनल असेंबली में तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के सदस्य रमेश कुमार ने इस मामले में जानकारी देते हुए कहा, 'पाकिस्तान सरकार ने शारदा मंदिर को खोलने का फैसला किया है। इस परियोजना पर काम मौजूदा साल में शुरू हो जायेगा। इस मंदिर के खुल जाने के बाद पाकिस्तान में रहने वाले हिंदू भी इस धार्मिक स्थल की यात्रा कर सकेंगे। मैं कुछ दिनों में इस इलाके का दौरा करूंगा और प्रधानमंत्री इमरान खान को रिपोर्ट सौपूंगा'।
बता दें कि पाकिस्तान स्थित शारदा मंदिर हिंदुओं के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है। लगभग 5000 साल पुराने इस मंदिर के पास मादोमती नाम का एक तालाब है। इस तालाब का पानी बहुत ही पवित्र माना जाता है। धार्मिक और राजनीतिक नजरिए से अहम शारदा पीठ एजओसी के नजदीक शारदा गांव में स्थित है। शारदा पीठ मार्तंड सूर्य मंदिर और अमरनाथ मंदिर समेत जम्मू-कश्मीर के तीन प्रमुख मंदिरों में से एक था। भारत-पाकिस्तान के बीच 1947-48 के युद्ध के बाद यह मंदिर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आ गया था।
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