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पाक राजनयिक कुरैशी ने खोया आपा, और खो दिया सऊदी अरब का भरोसा

पाकिस्तान के सबसे बड़े राजनयिक ने अपने ही देश को फंसा दिया है। और ये शख्स हैं पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी।

Newstrack
Published on: 22 Aug 2020 7:05 AM GMT
पाक राजनयिक कुरैशी ने खोया आपा, और खो दिया सऊदी अरब का भरोसा
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पाक राजनयिक कुरैशी ने खोया आपा, और खो दिया सऊदी अरब का भरोसा

पाकिस्तान के सबसे बड़े राजनयिक ने अपने ही देश को फंसा दिया है। और ये शख्स हैं पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी। वैसे बात दोस्ती की कर रहे हों या फिर दुश्मनी की, उनकी जुबान से इतनी नफासत टपकती है कि लगता है कि ये आदमी तो बस डिप्लोमैसी के लिए ही बना है। लेकिन कभी कभी जुबान धोखा दे जाती है। शाह महमूद कुरैशी के साथ भी यही हुआ।

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पाक राजनयिक कुरैशी ने खोया आपा, और खो दिया सऊदी अरब का भरोसा

पाकिस्तानी विदेश मंत्री की जुबान एक टीवी इंटरव्यू में फिसली और मुद्दा था कश्मीर का। वह इस बात से बहुत खफा थे कि मुस्लिम देशों का संगठन ओआईसी कश्मीर पर उनके देश का वैसा समर्थन नहीं कर रहा है, जैसा वे चाहते हैं। पाकिस्तान लंबे समय से कश्मीर मुद्दे पर ओआईसी के विदेश मंत्रियों की बैठक बुलाने की मांग कर रहा है। लेकिन ओआईसी भारत और पाकिस्तान के इस झगड़े में ज्यादा नहीं पड़ना चाहता।

क्या है ओआईसी

ओआईसी दुनिया के 56 मुस्लिम देशों का संगठन है। सऊदी अरब के जेद्दाह शहर में इसका मुख्यालय है और सऊदी अरब की मर्जी के बिना ओआईसी में पत्ता नहीं हिलता। तो जब शाह महमूद कुरैशी टीवी इंटरव्यू में ओआईसी को निशाना बना रहे थे, तो दरअसल उनके निशाने पर सऊदी अरब ही था। पाकिस्तानी विदेश मंत्री इस कदर भावनाओं में बह गए कि वह सब भी कह गए जो कहने से पहले पाकिस्तान का कोई और विदेश मंत्री सौ बार सोचता।

जरूरत से ज्यादा बोल गए

पाकिस्तान के जाने माने टीवी एंकर काशिफ अब्बासी के साथ इंटरव्यू में शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि वक्त आ गया है कि ओआईसी बच बचाव, आंखमिचौली से बाहर निकले। इस पर काशिफ अब्बासी ने उन्हें टोककर कहा, शाह जी ये आपने बहुत बड़ी बात कर दी। लेकिन शाह जी, यहीं नहीं रुके, उन्होंने कहा कि अगर सऊदी अरब पाकिस्तान का साथ नहीं देता है, तो मैं इमरान खान से कहूंगा अब और इंतजार नहीं हो सकता, हमें आगे बढ़ना होगा। पत्रकार ने फिर पूछा, सऊदी अरब के साथ या उसके बिना." जवाब आया, ‘विद और विदआउट।

शाह महमूद कुरैशी की रुसवाई का बस इतना सा फसाना है। अब वह सफाई दे रहे हैं कि उन्होंने ऐसा कुछ नहीं कहा कि उनकी बात को गलत तरीके से पेश किया गया है। लेकिन उनकी जुबान से निकली बात अब दूर तक चली गई है। बात नहीं बनी, तो कुरैशी की छुट्टी भी हो सकती है। हालांकि ऐसा नहीं है कि सऊदी अरब और पाकिस्तान के तनाव की अकेली वजह शाह महमूद कुरैशी का बयान है।

पाक राजनयिक कुरैशी ने खोया आपा, और खो दिया सऊदी अरब का भरोसा

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नाराजगी के कारण और भी हैं

सऊदी अरब तभी से खफा है जब यमन के युद्ध में पाकिस्तान ने अपनी सेना भेजने से मना कर दिया था। सऊदी अरब में नई नई सत्ता संभालने वाले क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को यह बात पचाने में जरूर मुश्किल हुई होगी। उनके लिए यमन का युद्ध खुद को मध्य पूर्व की सियासत में स्थापित करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण था। यमन में सत्ता पर कब्जा करने वाले शिया बागियों को हटाने के लिए सऊदी अरब ने कई सुन्नी अरब देशों का गठबंधन बनाकर वहां युद्ध छेड़ा। आक्रामक कूटनीति के पैरोकार सऊदी प्रिंस क्राउन प्रिंस अपने प्रतिद्वंद्वी ईरान को सबक सिखाना चाहते थे जो यमन के बागियों का समर्थन कर रहा है। सऊदी अरब भला कैसे भूल सकता है कि उसके "अहम की लड़ाई" में पाकिस्तान ने उसका साथ नहीं दिया था।

आग में घी

इन हालात में कश्मीर के मुद्दे पर शाह महमूद कुरैशी के बयान ने आग में घी का काम किया है। तल्खी इतनी बढ़ गई है कि हमेशा पाकिस्तान की मदद के लिए तैयार रहने वाला सऊदी अरब अब एक कठोर साहूकार की तरह अपना कर्ज वसूल रहा है। पाकिस्तान की आर्थिक हालत तो पहले से ही खस्ता है, इसलिए वह चीन से कर्ज लेकर सऊदी अरब का कर्ज चुका रहा है। पाकिस्तान ने एक अरब डॉलर तो चुका दिया है, लेकिन अभी एक अरब डॉलर और है जो सऊदी अरब वापस मांग रहा है। आज भी पाकिस्तान के एक करोड़ लोग अकेले सऊदी अरब में काम करते हैं। वे लोग जो पैसा भेजते हैं, उससे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को बड़ा सहारा मिलता है।

पाकिस्तान पर सऊदी अरब के बहुत अहसान हैं। अरबों डॉलरों की मदद के अलावा सस्ते में तेल भी दिया। जब भी पाकिस्तान संकट में घिरा, सऊदी अरब ने हमेशा मदद करने की कोशिश की। इसीलिए पाकिस्तान और सऊदी अरब को एक दूसरे का करीबी माना जाता है। लेकिन संबंध दोतरफा होता है। जब सऊदी अरब को पाकिस्तान की जरूरत थी, वह उसके साथ खड़ा नहीं हुआ। मध्य पूर्व में ईरान को मात देने के लिए अरब देश तो अब इजरायल तक से दोस्ती कर रहे हैं।

पाकिस्तानी सेना प्रमुख सऊदी अरब के दौरे पर जा रहे

शाह महमूद कुरैशी के विवादित इंटरव्यू के बाद पाकिस्तानी सेना प्रमुख सऊदी अरब के दौरे पर जा रहे हैं। पाकिस्तानी सेना कह रही है कि यह दौरा पहले से ही तय था। पाकिस्तानी सेना प्रमुख निश्चित तौर पर सऊदी अधिकारियों के सामने दोनों देशों के पारंपरिक रिश्तों की दुहाई देंगे। शाह महमूद कुरैशी भी यही कर रहे हैं। लेकिन सऊदी अरब की सत्ता अभी व्यावहारिक रूप से जिस व्यक्ति के हाथ में है, उसे शायद परंपराओं का बोझ ढोने की आदत नहीं है। सऊदी क्राउन प्रिंस के नजरिए से सोचकर देखिए तो लगेगा कि ऐसे सहयोगी का क्या करेंगे, जो वक्त आने पर काम ना आए।

सऊदी क्राउन प्रिंस मध्य पूर्व में दबदबा कायम करने के साथ अपने देश की अर्थव्यवस्था को नया रूप देना चाहते हैं। वह इसे तेल से मुक्त कर अन्य क्षेत्रों में स्थापित करना चाहते हैं। उनकी प्राथमिकताओं में कश्मीर शायद उतना अहम नहीं है।

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पाक राजनयिक कुरैशी ने खोया आपा, और खो दिया सऊदी अरब का भरोसा

ओआईसी का समर्थन हासिल करना चाहता है पाकिस्तान

पाकिस्तान कश्मीर के मुद्दे को धार्मिक रंग देकर ओआईसी का समर्थन हासिल करना चाहता है। कश्मीर के मुद्दे पर बार बार उसके बयानों में मुस्लिम उम्मा यानी मुस्लिम जगत शब्द सुनाई पड़ता है। शाह महमूद कुरैशी को समझना होगा कि घरेलू स्तर पर कश्मीर को भावुक रंग देना उनके लिए आसान है, लेकिन जब ऐसी बातें वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर करेंगे तो मुश्किल होगी। फिर उनसे यह भी पूछा जाएगा कि चीन में उइगुर मुसलमानों के साथ जो हो रहा है, पाकिस्तान उस पर क्यों चुप है। आखिर उइगुर मुसलमान भी तो इसी उम्मा का हिस्सा हैं।

पाकिस्तान के सबसे बड़े राजनयिक को समझना होगा कि कूटनीति में भावनाओं के लिए जगह कम ही होती है। वहां हर चीज नफा नकुसान के तराजू में तौली जाती है। वही सऊदी अरब कर रहा है।

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