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आतंकियों के पनाहगार पाकिस्तान को बड़ी राहत, ग्रे लिस्ट से हो सकता है बाहर
आतंकियों का पनाहगार पाकिस्तान जल्द ही ग्रे लिस्ट से बाहर आ सकता है। आतंकी समूहों पर कार्रवाई करने के पाकिस्तान के प्रयासों को FATF ने संतोषजनक बताया है।
दिल्ली: आतंकियों के पनाहगार पाकिस्तान के लिए राहत की खबर हैं। पाकिस्तान जल्द ही ग्रे लिस्ट से बाहर आ सकता है। आतंकी समूहों पर कार्रवाई करने के पाकिस्तान के प्रयासों को फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने संतोषजनक बताया है। जानकारी के मुताबिक़, ग्रे लिस्ट से बाहर आने में चीन ने पाकिस्तान साथ दिया है। सूत्रों के मुताबिक, चीन समेत कुछ पश्चिमी देशों की सिफारिश के बाद ही पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से बाहर निकालने के प्रयास शुरू हो गये हैं।
जानें एफएटीएफ के बारे में:
फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) पैरिस में स्थित अंतर-सरकारी संस्था है। इसका काम गैर-कानून आर्थिक मदद को रोकने के लिए नियम बनाना है। इसका गठन 1989 में किया गया था।
क्या है ग्रे लिस्ट, जिसमें पाकिस्तान का नाम:
दरअसल, एफएटीएफ की ग्रे या ब्लैक लिस्ट में डाले जाने पर देश को अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से कर्ज मिलने में काफी कठिनाई आती है। एफएटीएफ ने जून 2018 में आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और अन्य संगठनों के वित्तपोषण को रोकने में नाकाम रहने पर पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाल दिया था।
एफएटीएफ ने 27 बिंदुओं का ऐक्शन प्लान देते हुए एक साल का समय दिया गया था। इसमें मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी संगठनों की टेरर फाइनैंशिंग को बैंकिंग व नॉन-बैंकिंग, कॉर्पोरेट व नॉन-कॉर्पोरेट सेक्टरों से रोकने के उपाय करने थे।
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अमेरिका समेत कई देशों से पाक लगा चुका गुहार:
ग्रे लिस्ट से बाहर आने के लिए पाकिस्तान ने कई देशों से मदद मांगी थी, जिसमें अमेरिका समेत चीन और अन्य कई देशों के नाम शामिल हैं। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी पिछले हफ्ते वॉशिंगटन गए थे, जहां उन्होंने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से बाहर निकालने के लिए अमेरिका से गुहार लगाई थी।
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FATF की बैठक में आतंकियों पर पाकिस्तान की कार्रवाई को बताया संतोषजनक
वहीं 21 से 23 जनवरी को बीजिंग में पाकिस्तान को लेकर FATF की बैठक हुई। सूत्रों के मुताबिक़, इस बैठक में चीन, ब्रिटेन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान जैसे देशों ने पाकिस्तान की कार्ययोजना पर कोई टिप्पणी नहीं की। पाकिस्तान के प्रतिनिधिमंडल ने सदस्य देशों को यकीन दिलाया कि वह आतंकी समूहों की फंडिंग रोकने के लिए दी गई कार्ययोजना पर तेजी से अमल करेगा।
बता दें कि अगर पाकिस्तान अप्रैल 2020 तक ग्रे सूची से बाहर निकलने में कामयाब नहीं हुआ तो काली सूची में जा सकता है जिसके बाद ईरान की तरह उसे आर्थिक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है। अभी ईरान और उत्तर कोरिया एफएटीएफ की ब्लैकलिस्ट में हैं।