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बेनजीर भुट्टो और परवेज मुशर्रफ

27 दिसंबर 2007 को पाकिस्तान के रावलपिंडी में एक चुनावी रैली में हुए हमले में बेनजीर भुट्टो की हत्या कर दी गई थी। इसके पीछे किसका हाथ था, यह अब तक साफ नहीं हुआ है।

Shreya
Published on: 17 Dec 2019 10:05 AM GMT
बेनजीर भुट्टो और परवेज मुशर्रफ
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‘पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की हत्या के 12 साल बाद भी यह सवाल अपनी जगह कायम है कि उन्हें किसने मारा। बेनजीर की हत्या का आरोप वैसे परवेज मुशर्रफ पर भी लग चुका है। मुशर्रफ को अब खुद फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है।’

इस्लामाबाद: 27 दिसंबर 2007 को पाकिस्तान के रावलपिंडी में एक चुनावी रैली में हुए हमले में बेनजीर भुट्टो की हत्या कर दी गई थी। इसके पीछे किसका हाथ था, यह अब तक साफ नहीं हुआ है। 2017 की शुरुआत में दो पुलिस अधिकारियों को लापरवाही का दोषी करार दिया गया। इस मामले में अब तक सिर्फ इन दो लोगों को दोषी करार दिया गया है। बताया जाता है कि हत्यारे ने बेनजीर भुट्टो की गर्दन में गोली मारी और उसके बाद खुद को उड़ा लिया। इस हमले में 24 अन्य लोग भी मारे गए थे।

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परवेज मुशर्रफ को सजा-ए-मौत

उस वक्त राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ की सरकार थी। वही परवेज मुशर्रफ जो देश से भाग कर दुबई में रह रहे हैं। जिन्हें पाकिस्तान की एक अदालत ने राजद्रोह में सजा-ए-मौत सुनाई है।

उस समय मुशर्रफ ने बेनजीर की हत्या के लिए पाकिस्तानी तालिबान के सरगना बैतुल्लाह महसूद को जिम्मेदार ठहराया था। हालांकि महसूद तालिबान ने नेता इससे इनकार किया। बैतुल्लाह 2009 में एक अमेरिकी ड्रोन हमले में मारा गया। आरोप लगते हैं कि मुशर्रफ खुद चुनावों से पहले बेनजीर भुट्टो को मरवाना चाहते थे। 2013 में एक पाकिस्तानी अदालत में उनके खिलाफ हत्या से जुड़े आरोप भी तय हुए लेकिन 2016 में मुशर्रफ पाकिस्तान से भाग गए।उन्हें इस मामले में भगोड़ा घोषित किया जा चुका है।

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बेनजीर भुट्टो की हत्या के बाद सत्ता में आई उनकी पाकिस्तान पीपल्स पार्टी की सरकार के आग्रह पर तीन सदस्यों वाली संयुक्त राष्ट्र की एक टीम ने भी इस मामले की जांच की। 2010 में जारी रिपोर्ट में संयुक्त राïष्ट्र ने भुट्टो को पर्याप्त सुरक्षा न देने के लिए मुशर्रफ प्रशासन को ही जिम्मेदार ठहराया था।

बेनजीर भुट्टो की मौत के बाद पाकिस्तान पीपल्स पार्टी की सरकार बनी और बेनजीर के पति आसिफ अली जरदारी देश के राष्ट्रपति बने लेकिन वह बेनजीर के हत्यारों को बेनकाब करने में नाकाम रहे। जरदारी के वरिष्ठ सहयोगी बिलाल शेख 2013 में कराची में एक आत्मघाती बम हमले में मारे गए। जब बेनजीर भुट्टो 2007 में निर्वासन के बाद पाकिस्तान लौटी थीं तब शेख ही उनकी सुरक्षा के इंचार्ज थे।

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