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पाकिस्तान में मातम: नहीं रहे प्रधानमंत्री को मौत की सजा देने वाले जज, इमरान दुखी

परवेज मुशर्रफ को राजद्रोह का दोषी करार देने वाले और फांसी की सजा सुनाने वाले पेशावर हाईकोर्ट के जज की मौत हो गई। बता दें, चीफ जस्टिस वकार सेठ की कोरोना वायरस से मौत हो गई।

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Published on: 20 Nov 2020 11:04 AM GMT
पाकिस्तान में मातम: नहीं रहे प्रधानमंत्री को मौत की सजा देने वाले जज, इमरान दुखी
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परवेज मुशर्रफ को राजद्रोह का दोषी करार देने वाले और फांसी की सजा सुनाने वाले पेशावर हाईकोर्ट के जज की मौत हो गई। चीफ जस्टिस वकार की कोरोना से मौत हो गई।

इस्‍लामाबाद: पाकिस्तान के पूर्व सैन्य प्रमुख और राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ को राजद्रोह का दोषी करार देने वाले और फांसी की सजा सुनाने वाले पेशावर हाईकोर्ट के जज की मौत हो गई। बता दें, चीफ जस्टिस वकार सेठ की कोरोना वायरस से मौत हो गई। ऐसे में अधिकारियों ने बताया कि इस्‍लामाबाद के एक निजी अस्‍पताल में जस्टिस सेठ ने अंतिम सांस ली। जस्टिस वकार 59 वर्ष के थे। परिवार को बात करें तो उनके परिवार में पत्‍नी और एक बेटी है।

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अस्पताल में हुई मौत

पेशावर हाई कोर्ट में चीफ जस्टिस वकार सेठ पाकिस्‍तान के खैबर पख्‍तुनख्‍वा प्रांत के दिखान जिले के रहने वाले थे। जज सेठ 22 अक्‍टूबर को कोरोना वायरस पॉजिटिव पाए गए थे। जिसके बाद उन्‍हें पेशावर के अस्‍पताल में भर्ती कराया गया था। उन्‍हें कुलसुम इंटरनैशनल हॉस्पिटल इस्‍लामाबाद में भर्ती कराया गया। लेकिन यहां पर भी डॉक्‍टर उनकी जान नहीं बचा पाए और उनकी मौत हो गई।

बता दें, वकार सेठ जून 2018 में पेशावर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बने थे। इसके बाद दिसंबर 2019 में जस्टिस सेठ ने परवेज मुशर्रफ को 3 नवंबर 2007 को आपातकाल लगाने के लिए मौत की सजा सुनाई थी।

उस दौरान पेशावर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश वकार अहमद सेठ द्वारा लिखे गए 167 पन्ने के फैसले में कहा गया था कि यदि फांसी दिए जाने से पहले मुशर्रफ की मौत हो जाती है तो उनके शव को इस्लामाबाद के सेंट्रल स्क्वायर पर खींचकर लाया जाए और तीन दिन तक लटकाया जाए।

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कानून के हिसाब से सजा

जज के इस फैसले के मुताबिक, 'हम कानून प्रवर्तन एजेंसियों को निर्देश देते हैं कि भगोड़े/दोषी को गिरफ्तार करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी जाए और सुनिश्चित करें कि कानून के हिसाब से सजा दी जाए।

आगे यदि वह मृत मिलते हैं तो उनकी लाश को इस्लामाबाद के डी चौक तक खींचकर लाया जाए तथा तीन दिन तक लटकाया जाए।' विस्तृत फैसले के तुरंत बाद प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपनी कानूनी टीम से परामर्श किया और उनके शीर्ष सहायकों की प्रेस कॉन्फ्रेंस में बैठक के फैसले की घोषणा की गई।

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