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इमरान कंगाल, सेना मालामाल
वित्त वर्ष 2019-20 में पाकिस्तान की जीडीपी 2.4 फीसद रहने का अनुमान है, जबकि वित्तीय घाटा जीडीपी का 7.2 फीसद हो जाएगा, जो कि पिछले 9 साल में सबसे ज्यादा है। साथ ही, रक्षा बजट की वजह से सेना को अपने सैनिकों का वेतन और रिटायर्ड सैनिकों को पेंशन देने के लिए भी पैसे की जरूरत है।
नई दिल्ली: पाकिस्तान एक ऐसा देश है जिसकी बिगड़ती अर्थव्यवस्था को पार लगाने के लिए सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा बिजनेस लीडर्स के साथ मीटिंग कर रहे हैं। इससे साफ़ जाहिर होता है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री किस तरह से कठपुतली बन गए हैं। देश पर तीन बार शासन करने वाली सेना का दखल राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय हर मामलों में रहता है। वहां की सरकार सेना की कठपुतली की तरह काम करती है।
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ये हैं चिंता की वजह
वित्त वर्ष 2019-20 में पाकिस्तान की जीडीपी 2.4 फीसद रहने का अनुमान है, जबकि वित्तीय घाटा जीडीपी का 7.2 फीसद हो जाएगा, जो कि पिछले 9 साल में सबसे ज्यादा है। साथ ही, रक्षा बजट की वजह से सेना को अपने सैनिकों का वेतन और रिटायर्ड सैनिकों को पेंशन देने के लिए भी पैसे की जरूरत है।
पाकिस्तानी सेना केवल सीमाओं तक ही सीमित नहीं है। यह फौजी फाउंडेशन, आर्मी वेलफेयर ट्रस्ट, शाहीन फाउंडेशन, बाहरिया फाउंडेशन और डिफेंस हाउसिंग फाउंडेशन के द्वारा 50 कंपनियां चलाती है।
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सेना के बड़े अधिकारी रिजॉर्ट चलाने और रियल एस्टेट का कारोबार करते हैं
सेना के बड़े अधिकारी अनाज, कपड़े, सीमेंट, शुगर मिल, जूता निर्माण कार्य से लेकर एविएशन सर्विसेज, इंश्योरेंस और यहां तक की रिजॉर्ट चलाने और रियल एस्टेट का कारोबार करते हैं, जिसकी मार्केट वैल्यू 2016 में करीब 20 अरब डॉलर थी, जो कि निश्चित तौर पर अब कई गुना ज्यादा बढ़ चुकी है। अगर देश की अर्थव्यवस्था और चौपट होती है तो सेना के कारोबार पर भी प्रतिकूल असर पड़ेगा।