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चीन से दुनिया का मोह भंग, अब तगड़ा झटका देने की तैयारी में भारत

कोरोना वायरस ने दुनियाभर में तबाही मचा कर रख दी है। चीन के वुहान से फैले इस वायरस की कई देशों की अर्थव्‍यवस्‍थाओं को चौपट कर दिया है। कुछ देशों के इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर को चोट पहुंची है तो कहीं प्रोडक्‍शन बंद होने की वजह से कंपनियां दूसरी जगहों पर जाने की तौयारी कर रही हैं।

Dharmendra kumar
Published on: 1 May 2020 9:50 AM IST
चीन से दुनिया का मोह भंग, अब तगड़ा झटका देने की तैयारी में भारत
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नई दिल्‍ली: कोरोना वायरस ने दुनियाभर में तबाही मचा कर रख दी है। चीन के वुहान से फैले इस वायरस ने कई देशों की अर्थव्‍यवस्‍थाओं को चौपट कर दिया है। कुछ देशों के इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर को नुकसान हुआ है तो कहीं प्रोडक्‍शन बंद होने की वजह से कंपनियां दूसरी जगहों पर पलायन करने की तौयारी कर रही हैं। सप्‍लाई चैन भी पूरी तरह चौपट हो गया है। ऑप्टिक्‍स और व्यापार दोनों लिहाज से चीन को बड़ा झटका लगा है।

अब इस बीच भारत भी उसे झटका देने की तैयारी कर रहा है। भारत इस मौके गंवाना नहीं चाहता है जब मौका है कि उन कंपनियों को भारत में बुलाया जाए कोरोना महामारी फैलने के बाद चीन से जाना चाहती हैं। वह अपना प्रोडक्‍शन बेस बदलना चाहती हैं जो भारत के लिए एक बड़ा मौका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इशारा किया है कि वे इस दिशा में बड़ा कदम उठाने कौ तैयार हैं।

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प्रधानमंत्री मोदी ने इसे लेकर अपने मंत्रियों से बातचीत कर ली है। कैबिनेट ने प्रस्‍ताव भी लगभग तैयार कर लिया है। पीएम ने कहा है कि भारत को सेल्‍फ-डिपेंडेंट बनाने की आवश्यकता है। पीएम मोदी के दिमाग में जो प्‍लान है, वो पिछले कई महीनों से इस्‍तेमाल हो रहा है। ये है 'प्‍लग एंड प्‍ले' मॉडल। इसके जरिए इनवेस्‍टर्स अच्‍छी जगहों को आइडेंटिफाई करते हैं और फिर तेजी से अपना प्‍लांट वहां लगा देते हैं।

इस समय के सिस्‍टम से करीब दर्जनभर राज्‍यों में इनवेस्‍टर्स को अपना सेटअप लगाने का मौका मिलता है। क्लियरेंस के लिए केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्‍य सरकारें भी सिंगल-विंडो प्‍लैटफॉर्म तैयार कर रही हैं। इसमें इलेक्‍ट्रॉनिक और मॉनिटरिंग सिस्‍टम भी होगा।

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केंद्र पैसा खर्च करने को तैयार

केंद्र की सरकार अपनी तरफ से भी पैसा खर्च करने को तैयार है। अधिकारियों का कहना है कि यह पैसा नए एस्‍टेट्स और ग्रेटर नोएडा जैसे इकनॉमिक जोन्‍स बनाने में प्रयोग होगा। पीएम मोदी राज्‍यवार इनवेस्‍टमेंट जुटाना चाहते हैं। उदाहरण के तौर पर गुजरात, हिमाचल प्रदेश और उत्‍तराखंड की फार्मा पर पकड़ है तो वे इसी सेक्‍टर में इनवेस्‍टमेंट की राह देखें। उत्‍तर प्रदेश जैसा राज्‍य जो इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स का बेस बनकर उभरा है, उसे एग्रो-बेस्‍ड इंडस्‍ट्रीज के लिए भी प्रमोट किया जा सकता है।

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चीन की क्‍वालिटी और भरोसे से दुनिया का मोह भंग हो चुका है। इस बीच भारत कई पुरानी फार्मास्‍यूटिकल यूनिट्स को शुरू करने की तैयारी है ताकि वह बल्‍क ड्रग्‍स के लिए एक हब बन सके। अभी दवाओं के लिए दुनिया का 55 प्रतिशत कच्‍चा माल चीन से ही आता है। भारत वर्तमान हालातों का फायदा उठा लिया तो वह चीन की जगह ले सकता है। मेडिकल के अलावा, मेडिकल टेक्‍सटाइल्‍स, इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स, फर्नीचर जैसे प्रॉडक्‍ट्स को भी भारत बड़े पैमाने पर एक्‍सपोर्ट करना चाहता है।

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पीएम मोदी की उन कंपनियों पर नजर है जो चीन से बाहर जाना चाहती हैं। कोरोना वायरस फैलने के बाद, इसकी उम्मीद बढ़ गई है कि कई देश अपनी कंपनियों से कहेंगे कि वे चीन से बाहर मैनुफैक्‍चरिंग की व्‍यवस्‍था करें। भारत पिछले कुछ महीनों से 'चाइना प्‍लस वन' स्‍ट्रैटजी पर काम रहा है, अब उस कवायद ने जोड़ पकड़ लिया है।



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Dharmendra kumar

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