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लॉकडाउन के विरोध की राजनीति
अमेरिका में सोशल डिस्टेन्सिंग और ‘स्टे-एट-होम’ आदेश के खिलाफ प्रदर्शन और रैलियां हो रही हैं। इन प्रदर्शनों में मिशिगन राज्य सबसे आगे है, जहां रूढ़िवादी समूहों द्वारा आयोजित रैलियों में हजारों लोग शिरकत कर रहे हैं। इन लोगों का कहना है की सरकार के आदेश दमनकारी हैं।
अमेरिका में सोशल डिस्टेन्सिंग और ‘स्टे-एट-होम’ आदेश के खिलाफ प्रदर्शन और रैलियां हो रही हैं। इन प्रदर्शनों में मिशिगन राज्य सबसे आगे है, जहां रूढ़िवादी समूहों द्वारा आयोजित रैलियों में हजारों लोग शिरकत कर रहे हैं। इन लोगों का कहना है की सरकार के आदेश दमनकारी हैं। कुछ समूहों ने फेसबुक पर ऐसे लिंक और फोटो पोस्ट किए हैं जिनमें कोरोना वायरस को मामूली बात बताया गया है। इन ग्रुपों के कई नेताओं ने सीडीसी (सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल) के दिशानिर्देशों की खिलाफत करने का आह्वान किया है। खास बात ये है कि कुछ विरोध प्रदर्शनों में वर्ष 2016 के ट्रम्प के चुनावी अभियान की तस्वीर झलकी है। जिसमें अनेक प्रदर्शनकारी ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ और ट्रम्प के चेहरे वाले झंडे लहराते नजर आते हैं।
गवर्नरों पर दोषारोपण
कोरोना वायरस महामारी पर ट्रम्प का अब ये नजरिया हो गया है कि इस संकट के लिए राज्यों के गवर्नर दोषी हैं। चूंकि ट्रम्प राष्ट्रपति चुनाव दोबारा जीतने के प्रयास में हैं सो उनकी कोशिश कोरोना वायरस से तबाही के लिए अपने राजनीतिक विरोधियों के कंधों पर जिम्मेदारी डालने की है। साथ में ट्रम्प ये भी दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि कोरोना महामारी से निपटने और सभी राज्यों पर उनका पूरा अधिकार है। ट्रम्प का तर्क देश के ग्रामीण क्षेत्रों में काफी मजबूती से लोग स्वीकार कर रहे हैं क्योंकि इन क्षेत्रों पर महामारी का शहरों जैसा प्रकोप नहीं है। खुद ट्रम्प ने कहा है कि हम कुछ राज्यों को दूसरों की तुलना में जल्द ही खोल देंगे।इस राजनीति से रिपब्लिकन-वोटिंग वाले राज्यों और उनके डेमोक्रेटिक- वोटिंग पड़ोसियों के बीच मतभेद पैदा हो जाने की पूरी संभावना है। यही नहीं, रिपब्लिकन पार्टी के ग्रामीण और शहरी समर्थकों के बीच अलगाव पैदा करने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। इससे उन श्वेत ग्रामीण मतदाताओं को भी सक्रिय किया जा सकेगा जिन्होंने 2016 में ट्रम्प का समर्थन किया था और जिनकी उन्हें 2020 में फिर से आवश्यकता होगी।
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आसान योजना
दक्षिण पंथियों के लिए ये एक आसान योजना प्रतीत होती है कि डेमोक्रेटिक गवर्नरों को बदनाम करें और शटडाउन आदेशों की समाप्ति के लिए आंदोलन करें। फिर, अर्थव्यवस्था को फिर से खोल दिया जाये और नवंबर में ट्रम्प के दोबारा चुने जाने के समय में राष्ट्र की आर्थिक गतिविधियों में भारी बदलाव लाया जाये। यदि महामारी थम जाती है, तो ट्रम्प इसकी सफलता का पूरा श्रेय ले लेंगे लेकिन अगर महामारी से मौतें जारी रहती हैं, तो वह पूरा दोष डेमोक्रेट्स गवर्नरों पर लगा सकते हैं।
ट्रम्प की समस्या
ट्रम्प के लिए एक समस्या है : जनता, जिसमें अधिकांश रिपब्लिकन भी शामिल हैं। जो सोशल डिस्टेन्सिंग उपायों का व्यापक समर्थन करते हैं, और एक नए सर्वे से पता चलता है कि आधे रिपब्लिकनों को चिंता है कि सोशल डिस्टेंसिंग उपायों को जल्दी उठा लिया जाएगा। रिसर्च से पता चलता है कि कई अमेरिकियों ने सरकार के आदेश से पहले सोशल डिस्टेन्सिंग शुरू कर दी थी, और सरकार अब चाहे जो कहे लोग ऐसा करना जारी रखेंगे। कुल मिला कर, एंटी-शटडाउन प्रदर्शन बहुसंख्या जनता के विचारों को नहीं दर्शाते हैं। बहरहाल, कोरोना वायरस अब ट्रम्प के 2020 के चुनाव अभियान का हिस्सा बन गया है। जिसका उद्देश्य बड़े पैमाने पर अमेरिकियों को सामाजिक और सांस्कृतिक लाइनों पर विभाजित करना है।
वायरस ने बिगाड़ा खेल
2020 में डोनाल्ड ट्रम्प का मुख्य उद्देश्य व्हाइट हाउस को जीतना है, और इसके लिए वे एक मजबूत अर्थव्यवस्था का सहारा लेना चाहते थे लेकिन कोरोना वायरस ने इस योजना को संकट में डाल दिया है। कोरोना के कारण आई आर्थिक आफत के चलते लगभग 22 मिलियन अमेरिकियों ने बेरोजगारी भत्ते के लिए आवेदन किया है। आशंका है कि अमेरिका जीडीपी कम से कम 10 प्रतिशत घट गई है। इस कारण ट्रम्प ने इस महीने की शुरुआत में तर्क देना शुरू कर दिया कि कोरोना महामारी ने उनके प्रशासन की आर्थिक प्रगति को कृत्रिम रूप से रोका है।
मिशिगन पर जीत
मिशिगन राज्य को जीतने के लिए, ट्रम्प को केवल उसी ग्रामीण और उपनगरीय मतदाताओं का समर्थन हासिल करने की आवश्यकता नहीं है, जिन्होंने उन्हें 2016 में चुना था बल्कि उन्हें गवर्नर गेचेन व्हिटमर के समर्थकों को अपनी ओर खींचने की जरूरत है। मिशिगन में रूढ़िवादी पहले से ही वायरस के लिए व्हिटमर की आक्रामक कार्यशैली से उत्तेजित हो रहे थे। व्हिटमर ने स्टोर, बाज़ार बंद करा दिये थे और लोगों के लिए घर पर रहने आ आदेश जारी किया था। ये सब यहाँ के श्वेत रूढ़िवादियों को एकदम पसंद नहीं आया। ऐसे ही विरोध प्रदर्शन विस्कॉन्सिन और टेक्सास राज्य में हो रहे हैं।
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कोई मूक बहुमत नहीं है
अमेरिकियों के विशाल बहुमत ने सोशल डिस्टेन्सिंग की नीतियों का समर्थन जारी रखा है। लोगों की चिंता है कि कहीं ‘स्टे एट होम’ आदेश जल्दी समाप्त न कर दिया जाये। यह मीडिया-प्रेरित आतंक नहीं बल्कि सामान्य ज्ञान है जिसने अमेरिकी लोगों के व्यवहार को बदल दिया है। मीडिया पर भरोसा करने के मामले में जनता विभाजित है।
लोग खुद ही बच रहे
सर्वे बता रहे हैं कि भले ही ‘स्टे-एट-होम’ आदेश वापस ले लिए जाएँ लेकिन लोग भीड़-भाड़ वाले इवेंट्स और सामाजिक समारोहों से बचना जारी रखेंगे। सेटन हॉल के एक सर्वे में 72 प्रतिशत अमेरिकियों ने हाल ही में कहा कि वे तब तक खेल आयोजनों में शामिल नहीं होंगे, जब तक कि कोरोना वायरस का टीका नहीं आ जाता। लोगों का व्यवहार मार्शल लॉ नहीं बल्कि कोरोना वायरस से निर्देशित हो रहा है। गंभीर बाते ये है कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी अब कोरोना वायरस के मामले बढ़ रहे हैं। दक्षिण डकोटा और इडाहो जैसे राज्यों में संक्रमण दर और मौतें बढ़ । कई ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना वायरस के मामलों की संख्या बढ्ने से अस्पतालों और स्वास्थ्य नेटवर्क की सीमित क्षमता जबर्दस्त दबाव में आ जाएगी।