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बेलारूस में जनता की बगावत, और लुकाशेंको की तानाशाही
कभी सोवियत संघ का हिस्सा रहे बेलारूस में जनता सड़कों पर उतर आई है। लोग हाल में हुए राष्ट्रपति चुनाव के रिजल्ट मानने को कतई तैयार नहीं हैं और सत्ता में तत्काल परिवर्तन की मांग कर रहे हैं।
मिन्स्क: कभी सोवियत संघ का हिस्सा रहे बेलारूस में जनता सड़कों पर उतर आई है। लोग हाल में हुए राष्ट्रपति चुनाव के रिजल्ट मानने को कतई तैयार नहीं हैं और सत्ता में तत्काल परिवर्तन की मांग कर रहे हैं। दरअसल, इस देश में बीते 26 सालों में कभी भी साफ-सुथरे चुनाव नहीं हुए हैं । 9 अगस्त को हुए राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव में भी ऐसा ही हुआ । इन चुनावों में मौजूदा नेता को 80 फीदी वोट मिले और इन नतीजों ने नागरिकों में जबरदस्त आक्रोश भड़का दिया है । अधिकारियों ने पूरी ताकत से इन प्रदर्शनों को दबाने की कोशिश की । हजारों लोग इन प्रदर्शनों के दौरान आंसूगैस, पानी की बौछार और रबड़ की गोलियों से जख्मी हुए हैं।
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बेलारूस में लुकाशेंको बीते 26 साल से सत्ता में है
बेलारूस में लुकाशेंको बीते 26 साल से सत्ता में है। हाल में वह लगातार छठी बार देश के राष्ट्रपति चुने गए। तभी से उनके खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं। बेलारूस के चुनाव आयोग के अनुसार लुकाशेंको को 80 प्रतिशत मत मिले जबकि उनकी निकटतम प्रतिद्वंद्वी तिखानोव्स्काया के खाते में दस प्रतिशत वोट आए। लेकिन जनता और विपक्ष का कहना है कि चुनाव में जमकर धांधली हुई है। लुकाशेंको ने कहा है कि वह किसी भी कीमत पर नए सिरे से चुनाव नहीं होने देंगे। वह सत्ता साझेदारी और चुनाव चुनाव में संशोधन के लिए तैयार हैं, लेकिन नए सिरे से चुनाव उन्हें मंजूर नहीं हैं। एक वेबसाइट ने लुकाशेंकों के हवाले से कहा, हमने चुनाव पहले ही करा दिए हैं, जब तक आप मेरी हत्या नहीं कर देते, तब तक नए सिरे से चुनाव नहीं होंगे।
राष्ट्रपति एलेक्जेंडर लुकाशेंको
जब कोरोना वायरस महामारी पूरे यूरोप में कहर ढा रहा था उस वक्त बेलारूस के राष्ट्रपति एलेक्जेंडर लुकाशेंको ने इसे एक "मनोविकृति" बताया था और वोडका के एक शॉट, सौना और ट्रैक्टर की एक राइड को सभी बीमारियों का इलाज बताया था ।लेकिन, बेलारूस के लोग आस-पड़ोस के देशों को लॉकडाउन में जाते और अपनी सीमाएं बंद करते हुए देख रहे थे । ऐसे में, अधिकारियों से किसी वास्तविक आदेश की गैरमौजूद के बावजूद कई लोगों ने खुद ही मास्क पहनना, बच्चों को स्कूल से निकालना और सामाजिक दूरी जैसे कदम उठाने शुरू कर दिए थे।
दूसरे शब्दों में लोगों ने मामलों को अपने हाथ में ले लिया था और इससे एक राजनीतिक जागरूकता पैदा हुई । दूसरी ओर, एक यूट्यूबर सर्गेई तिखानोवस्की ने देश के लिए अपने जुनून से जुड़े हुए वीडियोज बनाए । वे पूरे बेलारूस गए, लोगों से बात की. उन्होंने इन वीडियोज को अपने चैनल अ कंट्री फॉर लाइफ पर डाले। अपने वीडियोज में उन्होंने देश में मौजूद अपार संभावनाओं, तानाशाही के चलते देश को हुए नुकसान, भ्रष्टाचार और सुधारों के अभाव का जिक्र किया । ऐसे में जब उनके फॉलोअर्स की संख्या बड़े पैमाने पर बढ़ी तो उन पर अधिकारियों का ध्यान गया । उन्हें जेल में डाल दिया गया और राष्ट्रपति का चुनाव लड़ने से रोक दिया गया ।
सर्गेई तिखानोवस्की की पत्नी ने किया ये
सर्गेई तिखानोवस्की की पत्नी और पूर्व शिक्षक स्वेतलाना ने अंततः लुकाशेंको के राष्ट्रपति के तौर पर दोबारा चुनाव को चुनौती देने के अपने पति के मिशन को अपने हाथ में ले लिया ।उनके नामांकन के लिए हजारों वोटर समर्थन में खड़े हो गए ।
तिखानोव्स्काया ने ऐसे कानूनी ढांचे की मांग की है ताकि नए सिरे से स्वतंत्र चुनाव हो सकें। उन्होंने बेलारूस की सेना से राष्ट्रपति लुकाशेंको के खिलाफ बगावत करने को भी कहा है।
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चुनाव में लुकाशेंकों को चुनौती देने वाली तिखानोव्स्काया का कहना है कि वह देश का नेतृत्व करने को तैयार हैं। तिखानोव्स्काया इस वक्त पड़ोसी देश लिथुआनिया में हैं। वहां से जारी एक वीडियो में उन्होंने कहा है कि नए सिरे से चुनाव के लिए बेलारूस में एक कानूनी ढांचा बनना चाहिए। उन्होंने सत्ता के शांतिपूर्ण हस्तांतरण के लिए पहले ही एक "समन्वय परिषद" बना ली है।
तिखानोव्स्काया ने कहा, मैं राजनीति में नहीं आना चाहती थी. लेकिन किस्मत की बात है कि आज मैं मनमाने शासन और अन्याय के खिलाफ मोर्चे में सबसे आगे हूं।
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