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Quad Summit 2023: चीन क्यों करता हैं क्वॉड का विरोध, कब हुई इस संगठन की स्थापना?
Quad Summit 2023: 24 मई को ऑस्ट्रेलिया के माननीय एंथनी अल्बनीस सांसद, भारत के प्रधान मंत्री, नरेंद्र मोदी, जापान के प्रधान मंत्री, किशिदा फुमियो और संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति, जोसेफ आर बिडेन, 2023 क्वाड के लिए सिडनी में स्वागत करेंगे।
Quad Summit 2023: ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका एक खुले, स्थिर और समृद्ध इंडो-पैसिफिक के लिए एक ही नजरिया रखते हैं, जो सभी देशों के स्वीकृति द्वारा लाए गए नियमों और मानदंडों पर चलाया जाता है। जिसमे इन देशों का सहयोग होता है। इसके माध्यम से ये देश व्यापार कर सकते है, फल-फूल सकते है। हर साल होने वाले क्वाड मीटिंग में देश के चार नेता क्षेत्र की सबसे गंभीर चुनौतियों पर चर्चा करने और क्वाड के सकारात्मक और व्यावहारिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए एक जुट होकर मिलते है।
क्वाड बनाने का उद्देश्य समुद्री रास्तों से आपसी व्यापार बढ़ाना और चीन के हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शासन को प्रभावित करना है। क्वाड के नेता शिखर सम्मेलन में समकालीन ग्लोबल मुद्दों जैसे टेक्नोलॉजी, क्लाइमेट चेंज, एजुकेशन जैसे बड़े मुद्दों पर विचार विमर्श कर सुझाव साझा करते है।
जापान में क्वॉड का आगाज
इस वर्ष जापान में क्वाड और जी-7 शिखर सम्मेलन की मीटिंग होनी है जापान ने ही सभी देश अपनी उपस्थिति दर्ज करेंगे। इसमें भाग लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी भी हिरोशिमा पहुंच चुके है। क्वाड शिखर सम्मेलन से सबसे ज्यादा चीन डरा रहता है। सबसे अधिक चिंता भी चीन को ही होती है। लेकिन क्यों? क्या है इसके पीछे का कारण? क्या है यह क्वॉड समिट?
क्वॉड समिट (Quad summit) क्या है?
क्वाड(Quad) यानी क्वाड्रीलेटरल सिक्योरिटी डायलॉग(Quadrilateral Security Dialogue) एक मंच है। जिसमें विश्व के चार देश भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान शामिल है। क्वाड(Quad) का मुख्य उद्देश्य यह है कि स्वतंत्र, खुले, समृद्ध और समावेशी इंडो पेसिफिक क्षेत्र के लिए काम किया जा सके। चीन ia संगठन का विरोधी शुरुआत से बना हुआ है। उसका अनुमान है कि क्वॉड के अनुसार जो उद्देश्य बनाया गया है वो गलत इरादों को लेकर बनाया गया है। हालांकि क्वाड देशों का मानना है कि इस समिट का प्राइमरी ऐम हिंद-प्रशांत रीजन के भलाई के लिए विचारों को साझा करने का कार्य करने का एक मंच है। यह फोरम हिंद-प्रशांत क्षेत्र के देशों के लिए वैकल्पिक ऋण की पेशकश भी करता है। क्वाड के नेता समकालीन ग्लोबल मुद्दों जैसे टेक्नोलॉजी, क्लाइमेट चेंज, एजुकेशन आदि पर भी विचार विमर्श करते है।
स्थापना कब और कैसे हुई
क्वॉड (Quad) की स्थापना 2007 की शुरुआत में जापान के प्रधान मंत्री शिंजो अबे ने चतुर्भुज सुरक्षा संवाद"चतुर्भुज पहल" का प्रस्ताव रखा था। जिसके तहत भारत जापान, संयुक्त राज्य अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के साथ एक फॉर्मल मल्टीलैटरल संवाद में शामिल हुआ। नवंबर 2009 में अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा के अमेरिका-भारतीय संबंधों को सुधारने के प्रयासों ने भारत और ऑस्ट्रेलिया दोनों में चिंता जताई कि इन शक्तियों के बीच गहराते सैन्य गठबंधन से क्षेत्रीय तनाव बढ़ सकता है। 2008 में केविन रुड ने चीन के साथ घनिष्ठ संबंधों का संकेत देते हुए चतुर्भुज को समाप्त कर दिया। फिर 2017 में यह दोबारा अस्तित्व में आया, लेकिन इसकी शुरुआत 2004 में हिंद महासागर में आई भूकंप और सुनामी के समय ही हो चुकी थी। इस सुनामी ने भारत समेत कई देशों को नुकसान पहुंचाया था और इसी समय भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया साथ आ चुके थे। इस समूह को सुनामी कोर ग्रुप के नाम से जाना जाता है, जिसने राहत और बचाव कार्य में अहम भूमिका निभाई। हालांकि उद्देश्य पूरा होने के बाद यह गठन वापस बिखर चुका था। क्वाड को बनाने का सबसे पहला विचार जापान ने दिया था। 2007 में जापान के तत्कालीन पीएम शिंजो आबे ने पहल तो की लेकिन ऑस्ट्रेलिया के तरफ से उपेक्षा पाने पर यह गठन जुड़कर भी टूट गया था।
भारत पर क्वॉड का प्रभाव
क्वाड का यह मंच रणनीतिक रूप से चीन के बढ़ते आर्थिक और सैन्य मनोबल को तोड़ने का प्रयास करता है। जैसे अगर चीन भारत के किसी भी करेंट पर हमला कर हड़पने की ओर सीमा लांघने की कोशिश करता है तो भारत उसका पुर्ण रूप से विरोध कर सकता है और क्वॉड के सभी मेंबर भारत का समर्थन करने के लिए आगे बढ़ सकता है। भारत अपने नौसैनिक जवानों की मदद भी ले सकता है और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक खोज करने का भी अधिकार रखता है। इसके अलावा भारत जब से क्वाड का सदस्य बना है भारत तब से अपनी कई नीतियों में भी बदलाव कर चुका है जिससे देश में निवेश(Investment) भी बढ़ा है जिसके साथ रोजगार के नए अपार अवसर भी मिल चुके है। क्वाड में रहते भारत संयुक्त सैन्य अभ्यास में भी हिस्सा लेने का उत्तरादयी बन सकता है। इसके अलावा साइबर सुरक्षा को भी सुधार सकता है।
चीन क्यों विरोधी है क्वॉड का? क्यों डरता है चीन क्वॉड से?
चीन हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भी अपना धौंस जमाना चाहता है और क्वाड को इस पर एक विरोधी के तौर पर देखता है। हिंद प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका के नियंत्रण पर चीन हमेशा गंभीर के साथ आग बबूला होकर रवैया अपनाता है। वह इस समूह को एशियाई नाटो( North Atlantic Treaty Organization,) के रूप में देखता है। चीन शुरुआत में क्वाड देशों के एकजुट होने को बड़ी बात नहीं समझता था, उसे लगता था कि ये सभी देश एक साथ कभी आ ही नहीं पाएंगे। क्वाड के बनते ही चीन की यह गलतफहमी तीतर बितर हो गई। चारों देश हिंद प्रशांत क्षेत्र के देशों की जुड़ी समस्याओं पर काम कर रहे है। चाहे वो जलवायु परिवर्तन हो या कोई और समस्या जिसको देखकर चीन परेशान रहता है। अब चीन को यह डर है कि अगर क्वॉड देश इन समस्याओं के समाधान में खड़ा उतरता हैं तो वह हिंद प्रशांत क्षेत्र से पूरा वर्चस्व खो देगा।
हिरोशिमा में क्वाड नेताओं का क्वाड शिखर सम्मेलन शनिवार को जापान के हिरोशिमा में हो रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के साथ समिट के सभी नेता हिरोशिमा में शिखर सम्मेलन आयोजित करने पर पूरी सहमति जताई थी।