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King of bombs: दुनिया का सबसे ताकतवर बम, नाम से कांप उठते हैं आज भी लोग

दुनिया के सबसे ज्यादा ताकतवर परमाणु बम विस्फोट का वीडियो रूस ने जारी किया है। 59 साल पहले 30 अक्टूबर 1961 को किए गए इस विस्फोट को बमों का राजा या फिर किंग्स ऑफ बॉम्बस कहा जाता है।

Newstrack
Published on: 27 Aug 2020 1:10 PM IST
King of bombs: दुनिया का सबसे ताकतवर बम, नाम से कांप उठते हैं आज भी लोग
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King of bombs: दुनिया का सबसे ताकतवर बम, नाम से कांप उठते हैं आज भी लोग

नई दिल्ली: दुनिया के सबसे ज्यादा ताकतवर परमाणु बम विस्फोट का वीडियो रूस ने जारी किया है। 59 साल पहले 30 अक्टूबर 1961 को किए गए इस विस्फोट को बमों का राजा या फिर किंग्स ऑफ बॉम्बस कहा जाता है। बताया जाता है कि ये हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम से 3800 गुना ज्यादा दमदार और ताकतवर था। ये एक हाइड्रोजन बम था। इसके साथ ही इसे त्सार बम (Tsar Bomb) के नाम से भी जाना जाता है। रूस ने इस बम का परीक्षण रूसी आर्कटिक सागर में किया था।

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सबसे बड़ा परमाणु विस्फोट

डिजिटल प्लेटफॉर्म यूट्यूब पर जारी किए गए वीडियो में दिखाया गया है कि त्सार बम को RDS-220 और बिग इवान (Big Ivan) भी कहा जाता है। इस बम को आर्कटिक सागर में स्थित नोवाया जेमल्या द्वीप (Novaya Zemlya) पर गिराया गया था। यह अब तक का इंसानों द्वारा किया गया सबसे बड़ा परमाणु विस्फोट था। इस बम को आंद्रे शाखारोव (Andrey Sakharov) ने बनाया था।

Tsar Bomb

उस वक्त सोवियत संघ और अमेरिका के बीच चल रहे शीत युद्ध के चलते इस बम का परीक्षण रूस ने अपनी ताकत का जोर दिखाने के लिए किया था। यह बम 100 मेगाटन ऊर्जा पैदा करने की क्षमता रखता था, लेकिन इसकी बर्बादी का पैमाना नापने के बाद वैज्ञानिकों ने इसकी क्षमता घटाकर 50 मेगाटन कर दी थी।

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विशालकाय मशरूम जैसी आकृति

रूस ने 30 अक्टूबर 1961 को सुबह 11.32 बजे त्सार बम को नोवाया जेमल्या द्वीप पर गिराया गया। ये बम जमीन से 4 किलोमीटर ऊपर फटा था। इसके बाद इसने आसमान में विशालकाय मशरूम जैसी आकृति बनाई थी। इसके आग के गोला और धुएं का गुबार आसमान में 60 किलोमीटर की ऊंचाई तक गया था। परमाणु बम के विस्फोट से निकला उजाला 1000 किलोमीटर तक दिखाई दी थी।

most powerful nuclear Tsar Bomb

बता दें, उस समय नोवाया जेमल्या पर कोई नहीं रहता था। लेकिन उससे 55 किलोमीटर दूर स्थित खाली गांव सेवेर्नी पूरी तरह से खत्म हो गया था। इतना ही नहीं 160 किलोमीटर दूर स्थित इमारतें भी गिर गई थीं। इस बम के विस्फोट से निकलने वाली गर्मी की वजह से 100 किलोमीटर की दूरी तक कोई चीज नहीं बची थी। हर चीज जलकर राख हो गई थी।

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परमाणु बमों के परीक्षण और उत्पादन पर रोक

ऐसे में 1961 के परीक्षण के बाद त्सार बम बनाने वाले साइंटिस्ट आंद्रे शाखारोव ने परमाणु बमों के परीक्षण को जमीन के अंदर करने का फैसला लिया। हालांकि 1963 में अमेरिका, ब्रिटेन, सोवियत संघ ने परमाणु बमों के परीक्षण और उत्पादन पर रोक लगाने वाले समझौते पर हस्ताक्षर कर लिए। बमों को लेकर हुए इस समझौते में कई अन्य देश भी शामिल थे।

बमों के राजा के नाम से मशहूर इस बम से लोग आज भी कांप जाते हैं। जब परमाणु बमों के परीक्षण या हमले की बात आती है तो इस बम से खतरनाक बम का जिक्र नहीं होता। ऐसे में रूस ने इस बम के परीक्षण के बाद आज तक दोबारा ऐसा परीक्षण या ऐसे किसी बम का उपयोग किसी युद्ध में नहीं किया। वो इसलिए कि इस बम का असर देखने के बाद उस वक्त की सोवियत संघ सरकार भी थर-थर कांप उठी थी।

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