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इतना सनकी तानाशाह: नॉर्थ कोरिया में रूसी राजनयिकों की दुर्दशा, ऐसे छोड़ना पड़ा देश
जिसके बाद जाकर उन्हें एक बस मिली जिसमें उन्होंने दो घंटे की यात्रा की। रूसी राजनयिकों के पास काफी ज्यादा सामान था लिहाजा उन्होंने एक रेलरोड ट्रॉली लेकर आगे की यात्रा शुरू कर दी।
नई दिल्ली: सनकी तानाशाह किम जोंग उन के देश उत्तर कोरिया में तैनात रूसी राजनयिकों ने कभी सपने भी नहीं सोचा होगा कि उन्हें पैदल ‘ट्रेन’ दौड़ानी पड़ सकती है। रूसी राजनयिकों को परिवार के साथ इस अजीबोगरीब परिस्थिति का सामना करना पड़ा। इन रूसी राजनयिकों उत्तर कोरिया से निकलने के लिए हाथों से खींचे जाने वाली रेल ट्रॉली की मदद से उत्तर कोरिया को छोड़ना पड़ा। इस दौरान करीब एक किलोमीटर तक रूसी राजनयिकों को यह ट्रॉली रेलवे ट्रैक पर खुद ही खींचनी पड़ी।
ट्रेन से आए और बस से सफर
रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना वायरस को लेकर उत्तर कोरिया में उठाए सख्त कदमों की वजह से 8 रूसी राजनयिकों को इस तरह से प्योंगयांग को छोड़ना पड़ा। ये लोग पहले ट्रेन से आए और बस से सफर किया। इसके बाद उन्हें रूसी सीमा तक करीब एक किमी की दूरी हाथ से खींचे जाने वाली रेल ट्रॉली की मदद से पूरा किया। रूसी राजनयिक खुद ही धक्का देकर रेल ट्रॉली को रूसी सीमा तक लेकर गए।
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प्योंगयेंग से अपने घर रूस जाना
इन दिनों नॉर्थ कोरिया में कोरोना वायरस की वजह से सख्त प्रतिबंध लगाए गये हैं। रूस के राजनयिकों को कोई सुविधा नहीं दी गई। जिसके बाद नॉर्थ कोरिया से निकलने के लिए रूस के राजनयिकों को पूरे 34 घंटे लग गये। इस दौरान रूसी राजनयिक एक रेलवे ट्रैक पर रेल ट्रॉली खींचते नजर आए। बताया जा रहा है कि रूस के राजनयिकों की ट्रेन ट्रॉली की ये घटना पिछले हफ्ते की है। तस्वीरों में दिख रहा है कि रूस का एक राजनियक हाथ से रेल ट्रॉली खींच रहे हैं जबकि रेल ट्रॉली पर काफी सामान रखा हुआ है और बच्चे भी रेल ट्रॉली पर बैठे हुए हैं जबकि राजनयिक की पत्नी रेल ट्रैक पर चलती दिख रही हैं।
बॉर्डर कई महीनों से लॉकडाउन
उत्तर कोरिया ने कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए सभी यात्री ट्रांसपोर्ट को सीमित कर दिया है। उत्तर कोरिया ने दावा किया है कि उसके यहां कोरोना वायरस का कोई मामला नहीं है लेकिन विश्लेषक उसके इस दावे को खारिज करते हैं। पिछले साल से ही ट्रेनों को देश छोड़ने या देश में आने की अनुमति नहीं है। यही नहीं अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों को भी रोका गया है।
इस बैन की वजह से रूसी राजनयिकों को जाने के लिए मजबूरन यह असामान्य रास्ता अपनाना पड़ा। रूसी विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी करके कहा, ‘चूंकि एक साल से भी ज्यादा समय से सीमाएं बंद हैं और यात्रियों का आवागमन रुका हुआ है, इस वजह से राजनयिकों को घर वापसी के लिए यह लंबा और कठिन रास्ता अपना पड़ा है।’
ट्रॉली खींचने के लिए मजबूर
रूस के राजनयिक कई घंटों तक राजधानी प्योंगयेंग में किसी संसाधन की व्यवस्था करते रहे लेकिन उन्हें कुछ नहीं दिया गया। वहीं, प्योंगयेंग से पूर्वी रूस व्लादिवोस्तोक के लिए एक हवाई जहाज है मगर उसे भी सस्पेंड कर दिया गया है। ऐसे में डिप्लोमेट्स के पास नॉर्थ कोरिया से निकलने के लिए एक भी रास्ता नहीं बचा था और उनके पास नॉर्थ कोरिया बॉर्डर से बाहर निकलने के लिए सिर्फ एक ही रेलमार्ग बचा था। लिहाजा उन्हें रेल ट्रॉली खींचने के लिए मजबूर होना पड़ा।
इस यात्रा में रूसी डिप्लोमेट्स को 32 घंटे से ज्यादा का वक्त लगा। जिसके बाद जाकर उन्हें एक बस मिली जिसमें उन्होंने दो घंटे की यात्रा की। रूसी राजनयिकों के पास काफी ज्यादा सामान था लिहाजा उन्होंने एक रेलरोड ट्रॉली लेकर आगे की यात्रा शुरू कर दी।
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आखिरकार मिल गई मंजिल
जिस रेलरोड ट्रॉली को रूस के डिप्लोमेट हाथ से खींच रहे थे उसका नाम हेंडकार्ट है, जिसका इस्तेमाल आज से करीब 200 साल पहले रेलवे ट्रैक पर सामान ढोने या फिर यात्रियों को ले जाने के लिए इस्तेमाल किया जाता था। नॉर्थ कोरिया स्थिति रूस एंबेसी ने रेलरोड ट्रॉली खींचने की दो तस्वीरें अपने ऑफिसियल फेसबुक पेज पर पोस्ट की हैं। तस्वीरों के साथ रूसी एबेंसी की तरफ से लिखा गया है कि '25 फरवरी को नॉर्थ कोरिया से रूसी दूतावास के 8 रूसी कर्मचारी और उनके परिवार के सदस्य अपने मातृभूमि लौट आए हैं। आखिरकार सबसे मुश्किल भरा रेलट्रॉली खींचते हुए रूस की सीमा में पहुंचना।'
रूसी विदेश मंत्रालय के फोटो में नजर आ रहा है कि राजनयिकों को खुद ही अपने सूटकेस से भरे रेल ट्रॉली को खींचना पड़ा। इस दल में एक तीन साल की बच्ची वराया भी थी। वहीं रूसी सीमा पहुंचने पर रूस के विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने उनका स्वागत किया। इसके बाद रूसी राजनयिक बस से व्लादिवोस्तोक एयरपोर्ट गए।