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ट्रंप के फेसबुक पोस्ट पर बवाल: वैज्ञानिकों ने जताई आपत्ति, जुकरबर्ग को लिखा पत्र
वैज्ञानिकों ने जुकरबर्ग को कड़ी चिट्ठी लिखी है। इन वैज्ञानिकों को मार्क जुकरबर्ग की कंपनी चान जुकरबर्ग इनीशिएटिव (सीजेडआई) की ओर से फंड मिलता है।
अंशुमान तिवारी
सैन फ्रांसिस्को। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फेसबुक पोस्ट पर 140 से ज्यादा वैज्ञानिकों ने गहरी आपत्ति जताई है। इन वैज्ञानिकों ने फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग को पत्र लिखकर फेसबुक पर राष्ट्रपति ट्रंप को काबू में रखने को कहा है। वैज्ञानिकों ने कहा कि ट्रंप के गलत सूचनाएं और हिंसा को बढ़ावा देने वाले पोस्ट पर रोक लगाने के लिए जुकरबर्ग को कदम उठाने चाहिए। जुकरबर्ग को यह पत्र लिखने वालों में हार्वर्ड और स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और कई नोबेल पुरस्कार विजेता भी शामिल हैं।
ट्रंप के पोस्ट पर नीतियों का पालन नहीं
अमेरिकी न्यूज़ वेबसाइट द वर्ज के मुताबिक इन वैज्ञानिकों ने जुकरबर्ग को कड़ी चिट्ठी लिखी है। इन वैज्ञानिकों को मार्क जुकरबर्ग की कंपनी चान जुकरबर्ग इनीशिएटिव (सीजेडआई) की ओर से फंड मिलता है। वैज्ञानिकों ने पत्र में लिखा है कि यह काफी निराशाजनक है कि आपने राष्ट्रपति ट्रंप के पोस्ट पर अपनी नीतियों का पालन नहीं किया। ट्रंप का यह पोस्ट हिंसा बढ़ाने वाला था कि जब लूट शुरू होगी तो शूटिंग शुरू होगी मगर आपने इस पोस्ट को रोकने के लिए कुछ भी नहीं किया।
ट्रंप ने दी थी लोगों को यह चेतावनी
अमेरिका में अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड की पुलिस उत्पीड़न में मौत के बाद विभिन्न शहरों में हिंसा और लूटपाट की कई घटनाएं हुई हैं। फ्लॉयड की मौत पर तीखा विरोध जताते हुए तमाम शहरों में बड़े प्रदर्शन आयोजित किए गए हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ने फ्लॉयड की मौत के बाद लूटपाट करने वालों को गोली मारने की चेतावनी देते हुए फेसबुक पर यह पोस्ट किया था। फेसबुक की ओर से ट्रंप के इस पोस्ट पर कोई कार्रवाई नहीं की गई मगर ट्विटर ने ट्रंप के पोस्ट को हाइड करते हुए उसके ऊपर एक नोटिस लगा दिया था। ट्रंप की धमकी पर टि्वटर का कहना था कि हम हिंसा को बढ़ावा नहीं दे सकते।
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फेसबुक के कई कर्मचारी भी नाराज
इन वैज्ञानिकों के अलावा फेसबुक के कई मौजूदा और पूर्व कर्मचारियों ने भी ट्रंप के पोस्ट पर गहरी नाराजगी जताई है। इन सभी ने ट्रंप के पोस्ट पर कोई कार्रवाई न किए जाने पर मार्क जुकरबर्ग की तीखी आलोचना की है। फेसबुक के कर्मचारियों और वैज्ञानिकों की इस नाराजगी को भांपते हुए जुकरबर्ग अब रक्षात्मक मुद्रा में आ गए हैं। उनका कहना है कि फेसबुक अमेरिका और दुनिया भर में बढ़ रही नस्लीय हिंसा की घटनाओं पर काबू पाने में मदद करेगा और हमने इस दिशा में काम करना शुरू भी कर दिया है।
सोशल मीडिया पर उठे सवाल
अमेरिका में फ्लॉयड की पुलिस उत्पीड़न में मौत की घटना के खिलाफ सोशल मीडिया पर लोगों की ओर से जमकर पोस्ट किए जा रहे हैं और लोग इस घटना पर अपनी गहरी नाराजगी जता रहे हैं। जॉर्ज फ्लॉयड का वह वीडियो भी जमकर शेयर किया गया जिसमें एक पुलिस अफसर उनकी गर्दन पर घुटने के बल चढ़ा हुआ दिख रहा है। लोगों का कहना है कि सभ्य समाज में इस तरह की घटनाएं नहीं बर्दाश्त की जा सकती।
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संस्था को जुकरबर्ग की ओर से फंडिंग
फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग और उनकी पत्नी प्रिंसिला चान ने पांच साल पहले चान जुकरबर्ग इनिशिएटिव की स्थापना की थी। इसे फेसबुक की ओर से फंडिंग की जाती है और इसका काम शोध के कामों के लिए वैज्ञानिकों को मदद करना है। जुकरबर्ग की बेटी मैक्सिमा चान जुकरबर्ग के जन्मदिन के दिन इस संस्था की स्थापना की गई थी। ट्रंप के पोस्ट पर आपत्ति जताने वाले 140 से ज्यादा वैज्ञानिक इसी संस्था से जुड़े हुए हैं।
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