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मारे गए 25 हजार लोग: अमेरिकी-ब्रिटिश विमान बने काल, सबसे भयानक हवाई हमला

आज ही के दिन 1945 की शाम नाजी जर्मनी के ड्रेसडेन शहर में लोगों के ऊपर आसमानी आफत का पहरा छाया था। उस दौरान द्वितीय विश्व युद्ध चल रहा था। इस हमले में करीब 25 हजार लोगों ने अपनी जान गंवाई थी।

Shreya
Published on: 13 Feb 2021 2:20 PM IST
मारे गए 25 हजार लोग: अमेरिकी-ब्रिटिश विमान बने काल, सबसे भयानक हवाई हमला
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मारे गए 25 हजार लोग: अमेरिकी-ब्रिटिश विमान बने काल, सबसे भयानक हवाई हमला

नई दिल्ली: ये दुनिया दो विश्व युद्ध (World war) की साक्षी रही है। इनमें से सबसे ज्यादा भयावह रहा द्वितीय विश्व युद्ध। इस वर्ल्ड वॉर में धड़ल्ले से हवाई ताकत का भी इस्तेमाल किया गया। इस विश्व युद्ध में दुनिया को परमाणु बमों (Nuclear Bomb) का भी दंश झेलना पड़ा। हालांकि, इस घटना से पहले मित्र राष्ट्रों ने नाजी जर्मनी (Nazi Germany) के ड्रेसडेन (Dresden) शहर पर ऐसा हमला बोला, कि पूरा शहर खंडहर बन गया। जिसके बाद नाजी जर्मनी की हार सुनिश्चित होने लगी थी।

13 फरवरी को नाजी जर्मनी पर हुआ भीषण हमला

आज ही के दिन 1945 की शाम नाजी जर्मनी के ड्रेसडेन शहर में लोगों के ऊपर आसमानी आफत का पहरा छाया था। उस दौरान द्वितीय विश्व युद्ध चल रहा था, लोग डर के चलते अपने अपने घरों में छिपे हुए थे। तभी ड्रेसडेन में लोगों पर हवाई हमले होने लगे। इस दिन मित्र राष्ट्रों ने लगातार हवाई हमले कर पूरे ड्रेसडेन शहर को एक मलबे के रूप में तब्दील कर दिया। बता दें कि इस हमले में करीब 25 हजार लोगों ने अपनी जान गंवाई थी।

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कैसे तैयार की गई योजना

इस हमले की योजना मित्र राष्ट्रों ने फरवरी, 1945 में याल्टा कॉन्फ्रेंस में बनाई थी। इस दौरान एक प्रस्ताव लाकर यह तय किया गया कि नाजी जर्मनी को किस तरह से हराना है। इसमें तय किया गया कि मित्र राष्ट्र नाजी जर्मनी के उन शहरों को अपना निशाना बनाएगा, जहां पर भारी तादाद में हथियारों को तैयार किया जाता है। ऐसा करके वह नाजी जर्मनी के हथियारों की सप्लाई को रोकना चाहते थे।

second world war nazi germani (फोटो- सोशल मीडिया)

इसी प्लान के तहत मित्र राष्ट्रों की वायुसेना ने नाजी जर्मनी के ड्रेसडेन शहर को अपना पहला निशाना बनाया था। लेकिन गौर करने वाली बात ये रही कि ड्रेसडेन की पहचान एक कला और स्थापत्य प्रेमी वाले शहर के तौर पर हुआ करती थी। यहां पर हथियारों का कोई भी कारखाना नहीं हुआ करता था और ना ही कोई मुख्य इंडस्ट्री स्थापित थी, लेकिन फिर भी इसे ही पहले तबाह किया गया।

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मित्र राष्ट्रों और जर्मन नागरिकों का अलग-अलग बयान

इस हमले को लेकर मित्र राष्ट्रों और जर्मन नागरिकों का अलग-अलग बयान है। मित्र राष्ट्रों के समर्थकों का कहना है कि ड्रेसडेन नाजी जर्मनी का प्रमुख कम्युनिकेशन सेंटर था। यहां से पूरे नाजी जर्मनी में सूचनाओं का आदान प्रदान होता था। ऐसे में पूरे नाजी जर्मनी के कम्युनिकेशन को बाधित करने के लिए यहां पर हमला किया गया, जिससे युद्ध जल्दी जीता जा सके।

dresden attack (फोटो- सोशल मीडिया)

जबकि हमले का विरोध करने वालों का कहना है कि मित्र राष्ट्रों को मालूम था कि यहां हमला करके कोई रणनीतिक बढ़त हासिल नहीं की जा सकती, लेकिन उन्हें ये भी पता था कि अगर यहां हमला किया गया तो फिर जर्मन नागरिकों को कमजोर किया जा सकता है और उनके मनोबल को कुचला जा सकता है।

शहर पर गिराए गए 3,400 टन से अधिक विस्फोटक

आपको बता दें कि 800 अमेरिकी और ब्रिटिश विमानों ने शहर पर 3,400 टन से अधिक विस्फोटक गिराए थे। भीषण हमले के जरिए शहर को पूरी तरह खंडहर में बदल दिया गया। शहर के चारों ओर जली अवस्था में लाशें पड़ी हुई थीं। जब हमले में मारे गए लोगों की गिनती की गई तो पता चला कि करीब 22,700 से 25,000 लोगों की जान जा चुकी थी।

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