×

TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

रिसर्च से उड़े होश: गुफाओं में मिले 500 घातक वायरस, सुन कर कांप उठे लोग

चीन में वैज्ञानिक यूनन प्रांत में मौजूद गुफाओं में चमगादड़ों में पाए जाने वाले नए प्रकार के वायरस की खोज में जुटे हैं। खुद को इन वायरसों के हमले से बचाने के लिए ये वैज्ञानिक विशेष सुरक्षा सूट का सहारा ले रहे हैं।

Vidushi Mishra
Published on: 28 April 2020 1:53 PM IST
रिसर्च से उड़े होश: गुफाओं में मिले 500 घातक वायरस, सुन कर कांप उठे लोग
X
रिसर्च से उड़े होश: गुफाओं में मिले 500 घातक वायरस, सुन कर कांप उठे लोग

नई दिल्ली। कोरोना की महामारी फैलने के बाद वैज्ञानिकों को चमगादड़ों के जरिए दूसरी अन्य घातक बीमारियां फैलने का डर भी सताने लगा है। यही कारण है कि दुनिया भर के शोधकर्ता चमगादड़ में पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के वायरसों की तलाश कर रहे हैं ताकि इनसे फैलने वाली किसी अन्य महामारी के प्रति पहले से ही सतर्क हुआ जा सके।

ये भी पढ़ें...साधुओं की हत्या का खुलासा, सामने आया आरोपी का चिमटा कनेक्शन

चीन की गुफाओं में की जा रही खोज

चीन में वैज्ञानिक यूनन प्रांत में मौजूद गुफाओं में चमगादड़ों में पाए जाने वाले नए प्रकार के वायरस की खोज में जुटे हैं। खुद को इन वायरसों के हमले से बचाने के लिए ये वैज्ञानिक विशेष सुरक्षा सूट का सहारा ले रहे हैं। वैज्ञानिकों ने चमगादड़ों की इन गुफाओं में अभी तक 500 खतरनाक वायरस का पता लगाया है।

जुटाए जा रहे कई तरह के नमूने

चमगादड़ों के जरिए फैलने वाले वायरसों का पता लगाने के लिए वैज्ञानिक इनके जालों, खून और थूक समेत कई तरह के नमूने जुटा रहे हैं।

कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने के बाद कई अध्ययनों में यह दावा किया गया है कि चीन में चमगादड़ों के जरिए इस वायरस का फैलाव हुआ। कई अध्ययनों में यह बात कही गई है कि चमगादड़ों से यह वायरस पैंगोलिन में पहुंचा और फिर इंसानों में इस वायरस का संक्रमण फैला।

ये भी पढ़ें...चंडीगढ़: कोरोना के 5 नए केस मिले, कुल मरीजों की संख्या 50 हुई

इंसानों में इस तरह होता है संक्रमण

नेचर पत्रिका के एक अध्ययन में बताया गया है कि चमगादड़ों में बड़ी संख्या में घातक वायरस होते हैं जो इबोला, सार्स और कोरोना जैसी घातक बीमारियों का कारण बनते हैं। इंसानों में इस वायरस का संक्रमण बिल्ली, ऊंट, पैंगोलिन और इंसानों के पास रहने वाले अन्य स्तनपायी जानवरों के जरिए होता है।

पहले से तैयारी के लिए हो रही खोज

अमेरिकी एनजीओ इकोहेल्थ एलाइंस नए घातक वायरसों की पहचान और बचाव करने में मदद करता है। इसके वैज्ञानिक पीटर दासजाक का कहना है कि हमने सार्स की उत्पत्ति के बारे में जानने के लिए खोज शुरू की।

ये भी पढ़ें...पिछले 7 दिनों में देश के 80 जिलों में कोरोना का कोई नया केस नहीं

लेकिन बाद में हमें पता चला कि तमाम प्रकार के घातक वायरस हैं। इसलिए अब हम उन्हें खोजने में जुटे हुए हैं। वैज्ञानिक इन वायरसों की पड़ताल की मदद करने के बाद बताते हैं कि कौन सा वायरस इंसानों में फैलने का खतरा है ताकि कोरोना जैसी महामारी से बचने के लिए पहले से ही तैयारी की जा सके।

महत्वपूर्ण साबित होगी जानकारी

कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने के बाद वुहान इंस्टीट्यूट आफ वायरोलॉजी के वैज्ञानिक शी जेंगली ने उसका मिलान पहले से मौजूद कोरोना वायरस की लाइब्रेरी से किया।

इस मिलान से एक महत्वपूर्ण बात यह पता चली कि कोरोना यूनन की गुफाओं में 2013 में मिले नमूनों से 96.2 फ़ीसदी मेल खाता था।

दासजाक ने कहा कि यह जानना कि नया वायरस कहां से आया और यह इंसानों तक कैसे पहुंचा, एक महत्वपूर्ण जानकारी साबित होगी। उन्होंने यह भी कहा कि इससे महामारी को रोकने के लिए समय से कदम उठाने में काफी मदद मिलेगी।

ये भी पढ़ें... नीति आयोग में निदेशक स्तर के एक अधिकारी मिले कोरोना पॉजिटिव, पूरी बिल्डिंग सील

रिपोर्ट- अंशुमान तिवारी



\
Vidushi Mishra

Vidushi Mishra

Next Story