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Sudan Civil War: प्रतिद्वंद्वी जनरलों की लड़ाई में पिस रहा सूडान, एयर स्ट्राइक में 22 लोगों की मौत...क्यों बिगड़े हालात?
Airstrike in Sudan: सूडान में गृहयुद्ध के हालात बन गए हैं। देश को नियंत्रित करने की मांग कर रहे दो प्रतिद्वंद्वी जनरलों के बीच लड़ाई का खूनी अंजाम देखने को मिल रहा है। शनिवार को एक हवाई हमले में 22 लोगों की मौत हो गई है।
Airstrike in Sudan: अफ्रीकी देश सूडान में देश को नियंत्रित करने की मांग कर रहे दो प्रतिद्वंद्वी जनरलों के बीच जारी युद्ध से हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। समाचार एजेंसी एपी ने स्वास्थ्य अधिकारियों के हवाले से बताया कि, इस संघर्ष के दौरान शनिवार (08 जुलाई) को हुए एक हवाई हमले में 22 लोगों की मौत हो गई। बता दें, सूडान के प्रतिद्वंद्वी जनरलों के बीच हफ्ते भर से जारी लड़ाई में ये सबसे घातक हमलों में से एक है।
सूडान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक संक्षिप्त बयान में बताया कि, 'एयर स्ट्राइक राजधानी खार्तूम के पड़ोसी शहर ओमडुरमन के एक आवासीय क्षेत्र में हुआ। कहा गया है कि हमले में अज्ञात संख्या में लोग घायल हुए हैं।
सूडान के पड़ोसी देशों ने सील की सीमाएं
गौरतलब है कि, 15 अप्रैल को सूडान की सेना (Sudan army) और पैरामिलिट्री फोर्स (Sudan Paramilitary Force) में जंग शुरू हुई थी। ये संघर्ष सेना के कमांडर जनरल अब्देल-फतह बुरहान (General Abdel-Fattah Burhan) और आरएसएस के प्रमुख जनरल मोहम्मद हमदान डगालो (RSS Chief General Mohammad Hamdan Dagalo) के बीच हो रहा है। जनरल बुरहान और जनरल डगलो, दोनों पहले साथ थे। इस युद्ध में अब तक सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है। इस जंग से हालात इस तरह बिगड़े हैं कि पड़ोसी देशों ने अपनी सीमाएं सील कर दीं हैं। भारत सहित दुनियाभर के देशों ने युद्ध क्षेत्र में फंसे अपने नागरिकों को निकाल लिया।
सूडान में क्यों बिगड़े हालात?
अब सवाल उठता है कि सूडान में ऐसे हालात क्यों हैं? दरअसल, इस पूरे विवाद की शुरुआत अप्रैल 2019 में हुई थी। सूडान के तत्कालीन राष्ट्रपति उमर अल-बशीर (Sudan President Omar al-Bashir) के खिलाफ जनता ने विद्रोह कर दिया था। बाद में सूडान सेना ने अल-बशीर की सत्ता को उखाड़ फेंका था। बशीर को सत्ता से बेदखल करने के बाद भी विद्रोह थमा नहीं। जारी रहा। बाद में सेना और प्रदर्शनकारियों के बीच एक समझौता हुआ। जिसके तहत एक सोवरनिटी काउंसिल (Sovereignty Council) बनी। जिसके तहत तय हुआ कि 2021 के अंत तक चुनाव कराए जाएंगे। मगर, उसी साल अब्दुल्ला हमडोक को प्रधानमंत्री बना दिया गया। ये प्रयास भी असफल रहा। बात नहीं बनी। आख़िरकार, अक्टूबर 2021 में सेना ने तख्तापलट कर दिया। जनरल बुरहान काउंसिल के अध्यक्ष तो जनरल डगालो उपाध्यक्ष बन गए।
विद्रोह की कई वजहें
जनरल बुरहान (General Burhan) और जनरल डगालो (General Dagalo) कभी साथ थे। मगर, अब दोनों एक-दूसरे के खिलाफ हैं। इसकी वजह दोनों के बीच मनमुटाव बताया जाता है। ख़बरों के मुताबिक, दोनों के बीच सूडान में चुनाव कराने को लेकर एक राय नहीं बन सकी थी। इसके अलावा ये भी कहा जा रहा है कि सेना ने प्रस्ताव रखा था जिसके तहत आरएसएफ के 10 हजार जवानों को सेना में शामिल करने की बात कही गई थी। फिर ये भी सवाल उठा कि, सेना में पैरामिलिट्री फोर्स को मिलाने के बाद जो नई फोर्स तैयार होगी उसका प्रमुख कौन बनेगा? बताया जा रहा है कि बीते कुछ हफ्तों से देशभर के अलग-अलग हिस्सों में पैरामिलिट्री फोर्स की तैनाती बढ़ गई थी। इसे सेना ने उकसावे और खतरे के तौर पर देखा। फलस्वरूप नतीजा सामने है।
जनरल बुरहान (General Burhan) और जनरल डगालो (General Dagalo) कभी साथ थे। मगर, अब दोनों एक-दूसरे के खिलाफ हैं। इसकी वजह दोनों के बीच मनमुटाव बताया जाता है। ख़बरों के मुताबिक, दोनों के बीच सूडान में चुनाव कराने को लेकर एक राय नहीं बन सकी थी। इसके अलावा ये भी कहा जा रहा है कि सेना ने प्रस्ताव रखा था जिसके तहत आरएसएफ के 10 हजार जवानों को सेना में शामिल करने की बात कही गई थी। फिर ये भी सवाल उठा कि, सेना में पैरामिलिट्री फोर्स को मिलाने के बाद जो नई फोर्स तैयार होगी उसका प्रमुख कौन बनेगा? बताया जा रहा है कि बीते कुछ हफ्तों से देशभर के अलग-अलग हिस्सों में पैरामिलिट्री फोर्स की तैनाती बढ़ गई थी। इसे सेना ने उकसावे और खतरे के तौर पर देखा। फलस्वरूप नतीजा सामने है।
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