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इमरान की चुनौतियां बढ़ीं! SC बना वजह, इस मामले में मुश्किल में पड़े पीएम

पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर बाजवा का कार्यकाल बढ़ाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप से पीएम इमरान खान के सामने नई चुनौती पैदा हो गई है।

Roshni Khan
Published on: 28 Nov 2019 10:10 AM GMT
इमरान की चुनौतियां बढ़ीं! SC बना वजह, इस मामले में मुश्किल में पड़े पीएम
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इस्लामाबाद: पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर बाजवा का कार्यकाल बढ़ाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप से पीएम इमरान खान के सामने नई चुनौती पैदा हो गई है। सुप्रीम कोर्ट का पाक सेना प्रमुख जनरल कमर बाजवा के सेवा विस्तार की अधिसूचना को निलंबित करने का फैसला पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार होगा।

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जनरल बाजवा 29 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं

जनरल बाजवा 29 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं, ऐसे में सुप्रीम कोर्ट जो भी फैसला आए, उसके नतीजे का दूरगामी असर पड़ना तय है। अगर सुप्रीम कोर्ट इमरान सरकार के फैसले को रद्द कर देती है तो फिर पाकिस्तानी चीफ के पद पर नई नियुक्ति हो सकती है और इस्लामाबाद में पूरी व्यवस्था बदल सकती है। अगर पाकिस्तान में नए सेना प्रमुख आते हैं तो वह इमरान से अलग सिद्धांतों पर चल सकते हैं और हो सकता है कि सेना और सरकार के बीच वर्तमान जैसा तालमेल ना बन पाए। आर्थिक स्थिती से जूझ रहे पीएम इमरान खान के लिए यह एक और बड़ा सिरदर्द साबित हो सकता है।

कुछ समय पहले ही पाकिस्तान के चीफ जस्टिस ने पीएम इमरान खान को याद दिलाया था कि देश में अब वह न्यायपालिका नहीं है जो तानाशाह सरकार के इशारे पर चले। पीएम इमरान खान ने नवाज शरीफ को देश से बाहर भेजने को लेकर कोर्ट को आरोपी ठहराने की कोशिश की तो वो भी बैकफायर कर गया। सुप्रीम कोर्ट पीएम इमरान खान और उनके सरकार चलाने के ढंग को लेकर उन्हें आईना दिखा रहा है तो उनकी देशभक्ति पर ही सवाल खड़े किए जाने लगे हैं। पाकिस्तानी चैनल के मुताबिक, पाकिस्तान के चीफ जस्टिस ने कहा कि उन पर आरोप लगाया जा रहा है कि वे भारत की तरफ से काम कर रहे हैं।

इमरान सरकार कोर्ट में अपना पक्ष रखेगी

28 नवंबर गुरुवार को जब इमरान सरकार कोर्ट में अपना पक्ष रखेगी तो उसे बाजवा के कार्यकाल बढ़ाने की कानूनी प्रक्रिया में हुई चूक पर सफाई देनी पड़ेगी बल्कि यह भी बताना होगा कि उसे किस मजबूरी में बाजवा का कार्यकाल बढ़ाना पड़ा। चीफ जस्टिस खोसा ने इमरान खान की सरकार से सवाल पूछा, अगर क्षेत्रीय सुरक्षा को खतरा है तो उस खतरे का सामना करने के लिए पाकिस्तान की सेना एक संस्था के तौर पर मौजूद है और इसमें किसी एक व्यक्ति की भूमिका ना के बराबर होनी चाहिए।

27 नवंबर बुधवार को पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल मंसूर अली खान ने बेंच के सामने आर्मी चीफ बाजवा के कार्यकाल को कानूनी तौर पर सही ठहराने की कोशिश में नई समरी पेश की। 26 नवंबर मंगलवार को संसद ने आर्मी एक्ट में सेवा विस्तार शब्द को जोड़ दिया था ताकि कोर्ट की आपत्ति को खारिज किया जा सके।

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जस्टिस खोसा ने कहा ये

जस्टिस खोसा ने कहा कि आर्मी चीफ के कार्यकाल को लेकर कोर्ट अपना अंतिम फैसला आर्मी एक्ट और रेग्युलेशन को देखकर ही करेगी। बेंच ने अटॉर्नी जनरल से यह स्पष्ट करने के लिए कहा कि अगर बाजवा 29 नवंबर को रिटायर होने जा रहे हैं तो उनका कार्यकाल तीन साल के लिए क्यों बढ़ाया गया। जस्टिस खोसा ने कहा, अगर कुछ भी गैरकानूनी हुआ है तो हमने इसे सही करने की ही शपथ ली है। उन्होंने कहा कि अभी तक सरकार जनरल बाजवा का कार्यकाल बढ़ाने का कानूनी स्पष्टीकरण देने में असफल रही है।

जस्टिस शाह ने कहा कि बेंच को यह बात पता है कि पीएम के पास आर्मी चीफ के पद पर किसी भी शख्स की नियुक्ति करने का अधिकार है लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या रिटायर आर्मी चीफ की नियुक्ति फिर से की जा सकती है?

आर्मी चीफ बाजवा की दोबारा नियुक्ति की अधिसूचना 19 अगस्त को जारी की गई थी जिस पर पीएम इमरान खान ने हस्ताक्षर किए थे। 27 नवंबर बुधवार को पीएमओ की तरफ से जारी एक बयान में बताया गया कि जॉइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमिटी के चेयरमैन के पद पर जनरल नदीम रजा की नियुक्ति कर दी गई है।

27 नवंबर बुधवार को सुनवाई के दौरान बेंच ने अधिसूचना और कैबिनेट द्वारा हड़बड़ी में तैयार की गई नई समरी में विरोधाभास पर भी जोर दिया। बेंच ने कहा कि वह सरकार को अपनी गलती सुधारने का आखिरी मौका दे रही है।

जस्टिस खोसा ने कहा, हमने शपथ ली है और हमारी अल्लाह के प्रति जवाबदेही है। पीएम पस्कितानी सेना प्रमुख के पद पर किसी को भी नियुक्त कर सकते हैं, ये हमारा काम नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कई बार सरकार गलती कर देती है और हमें उस गलती को मिटाना पड़ता है। उन्होंने हैरानी जताते हुए कहा, अगर आज यह (चूक) आर्मी चीफ के साथ हो रहा है तो कल चीफ जस्टिस आसिफ सईद खान खोसा, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के साथ भी हो सकता है। क्या किसी ने अधिसूचना पढ़ने की जहमत तक नहीं उठाई?

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जस्टिस शाह ने कहा ये बात

जस्टिस शाह ने कहा कि यह स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री आर्मी चीफ की नियुक्ति करेंगे लेकिन क्या इस मामले में कैबिनेट का सुझाव लेना जरूरी नहीं था।

सुप्रीम कोर्ट ने कई बार हल्के-फुल्के अंदाज में भी सरकार की क्लास लगाई। एजीपी पूर्व जनरल अशफाक परवेज कियानी का एक्साम्पल दे रहे थे लेकिन गलती से उनके मुंह से जस्टिस कियानी निकल गया जिस पर कोर्ट में ठहाके लगने लगे। चीफ जस्टिस ने इस पर कहा कि एजीपी शायद हड़बड़ी में हैं लेकिन उन्हें परेशान नहीं होना चाहिए क्योंकि कोर्ट उनकी बात आराम से सुनेगा। एजीपी ने जवाब में कहा कि वह भी देर रात तक बहस करने के लिए तैयार हैं।

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