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US वीजा लेना और होगा मुश्किल, देनी होगी सोशल मीडिया अकाउंट्स की जानकारी

अमेरिकी वीजा के लिए आवेदन करने वाले किसी भी शख्स को अब उसके 5 साल के सोशल मीडिया की जानकारी भी देनी होगी।मिली जानकारी के अनुसार, वीजा के लिए आवेदन करने वाले शख्स से उसके सोशल मीडिया अकाउंट का यूजरनेम लिया जाएगा।

Vidushi Mishra
Published on: 2 Jun 2019 2:39 PM IST
US वीजा लेना और होगा मुश्किल, देनी होगी सोशल मीडिया अकाउंट्स की जानकारी
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नई दिल्ली: अमेरिकी वीजा के लिए आवेदन करने वाले किसी भी शख्स को अब उसके 5 साल के सोशल मीडिया की जानकारी भी देनी होगी।मिली जानकारी के अनुसार, वीजा के लिए आवेदन करने वाले शख्स से उसके सोशल मीडिया अकाउंट का यूजरनेम लिया जाएगा। करीब एक साल पहले यह नियम लाए जाने की बात की गई थी, जो कि अब लागू किया जा चुका है। इस संबंध में आधिकारिक आदेश भी जारी कर दिए गए हैं।

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पिछले साल जब यह कानून प्रस्तावित किया गया था, तब अधिकारियों ने अनुमान लगाया था कि यह प्रस्ताव सालाना 14.7 मिलियन लोगों को प्रभावित करेगा। कुछ कूटनीतिक और आधिकारिक वीजा आवेदकों को कड़े नए उपायों से छूट दी जाएगी। 'बीबीसी' की खबर के मुताबिक, काम करने या पढ़ाई करने के लिए अमेरिका जाने वाले लोगों को अपनी जानकारी सौंपनी होगी।

30 सितंबर 2018 तक एक साल के भीतर भारत में अमेरिकी दूतावास ने 8.72 लाख वीजा जारी किए थे। 'न्यू यॉर्क टाइम्स' का अनुमान है कि सालाना तौर पर 1.47 करोड़ लोगों से उनके सोशल मीडिया अकाउंट की जानकरी देने के लिए कहा जाएगा।

अमेरिकी विदेश विभाग ने इस नियम का समर्थन करते हुए कहा कि अमेरिकी नागरिकों की सुरक्षा के लिए वह स्क्रीनिंग प्रक्रियाओं में सुधार करने के लिए रास्ता खोजने पर काम कर रहे हैं। वे लोग जो आतंकवादी समूहों द्वारा नियंत्रित दुनिया के कुछ हिस्सों में गए थे, उन आवेदकों को पहले अतिरिक्त जानकारी देने की जरूरत थी, लेकिन अब उन्हें भी इस डेटा को सौंपना होगा।

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रेड्डी ऐंड न्यूमैन इमीग्रेशन लॉ फर्म की एमिली न्यूमैन का कहना है, 'अमेरिकी दूतावास में वीजा फॉर्म डी-160 और डी-260 में आवेदकों से उनके पिछले पांच साल में इस्तेमाल किए जाने वाले सोशल मीडिया अकाउंट की जानकारी मांगी गई है। इस लिस्ट में जो सोशल मीडिया अकाउंट लिए गए हैं, उनमें फेसबुक, फ्लिकर, गूगलप्लस, ट्विटर, लिंक्ड इन, और यूट्यूब शामिल हैं।'

ट्रंप प्रशासन ने पहली बार मार्च 2018 में नियमों का प्रस्ताव किया था। उस समय, अमेरिकन सिविल लिबर्टीज यूनियन - एक नागरिक अधिकार समूह - ने कहा कि "ऐसा कोई सबूत नहीं है कि इस तरह के सोशल मीडिया की निगरानी प्रभावी या निष्पक्ष है", और कहा कि इससे लोग खुद को ऑनलाइन सेंसर करेंगे।



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