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लिपुलेख विवाद: भारत के खिलाफ नेपाल ने चली चाल, नक्शे पर लिया ये फैसला

अपने विवादित नक़्शे तीन इलाकों कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को लेकर नेपाल भारत से सुलह करने के मूड में नहीं है। नेपाल भारत के खिलाफ और आक्रामक रुख अपनाने की तैयारी कर रहा है। उसने विवादित नक़्शे को संवैधानिक दर्जा देने की तैयारी शुरू कर दी है।

suman
Published on: 10 Jun 2020 4:23 AM GMT
लिपुलेख विवाद: भारत के खिलाफ नेपाल ने चली चाल, नक्शे पर लिया ये फैसला
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काठमांडो: अपने विवादित नक़्शे तीन इलाकों कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को लेकर नेपाल भारत से सुलह करने के मूड में नहीं है। नेपाल भारत के खिलाफ और आक्रामक रुख अपनाने की तैयारी कर रहा है। उसने विवादित नक़्शे को संवैधानिक दर्जा देने की तैयारी शुरू कर दी है। आज नेपाल की संसद में विवादित नक्शा को मान्यता देने के लिए संविधान संशोधन बिल पर आज वोटिंग हो सकती है। नेपाल के कानून मंत्री शिव माया ने 31 मई को संसद में इस पेश किया था।

इस नक़्शे को संवैधानिक मान्यता देने के लिए संसद में संविधान संशोधन प्रस्ताव पर वोटिंग हुई नेपाल के उप प्रधानमंत्री और रक्षामंत्री ईश्वर पोखरैल के बातचीत के प्रस्ताव के कुछ ही घंटों बाद नेपाल की संसद ने देश के नए 'विवादित' राजनीतिक नक्शे के लिए संविधान संशोधन का प्रस्ताव पारित कर लिया है इस नए नक़्शे के प्रस्ताव को नेपाली संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा में सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया है इस नक़्शे में लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को नेपाल में दिखाया गया है।

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नेपाल के प्रधानमंत्री ने प्रतिनिधि सभा के समक्ष नए राजनीतिक नक्शे और एक नए राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह को मान्यता देने का प्रस्ताव रखा था। नेपाल की संसद में मंगलवार को इस पर बहस हुई और संविधान में संशोधन को मंज़ूरी मिल गई। नए नक्शे में नेपाल ने अब आधिकारिक रूप से 1816 में हुई सुगौली संधि के तहत लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को नेपाली क्षेत्र के रूप में दिखलाया है। अब संशोधन के बाद कानून बनाकर नेपाल के नए नक्शे में कालापानी और लिपुलेख को दर्शाया जाएगा। संवैधानिक संशोधनों के एक बार पारित हो जाने के बाद यह नेपाल के नये मानचित्र को एक कानूनी स्थिति प्रदान करेगा जिसमें नेपाल भारत के कुछ हिस्सों को अपने हिस्से के रूप में प्रदर्शित करेगा।

इससे पहले ईश्वर पोखरैल ने कहा था कि हम भारत के साथ लगातार बातचीत के जरिये सीमा विवाद सुलझा लेंगे। उन्होंने ट्वीट करके कहा कि सीमा पर सेना तैनात करने का कोई मतलब नहीं है। संविधान संशोधन के इस मुद्दे पर सदन में मंगलवार को देर शाम तक चर्चा हुई। यह संविधान संशोधन विधेयक राष्ट्रपति बिध्या देवी भंडारी के अनुमोदन के लिए भेजा जाएगा। जिस पर उनके हस्ताक्षर होने के बाद यह क़ानून बन जाएगा। दक्षिणी नेपाल में सुस्ता जहां दो नदियां सीमा बनाती हैं और लिपुलेख-लिम्पियाधुरा को लेकर भारत और नेपाल के बीच गतिरोध है।

31 मई को कानून, न्याय और संसदीय मामलों के मंत्री शिवमाया तुम्बाहाम्फे ने प्रतिनिधि सभा में एक नए संशोधन प्रस्ताव पेश किया जिसमें राजनैतिक मानचित्र नक्शे में कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा को नेपाली सीमाओं के भीतर दर्शाया गया है।

विदेश मंत्री मानना है कि नेपाल ने इस मुद्दे को कूटनीतिक तरीक़े से सुलझाने की कोशिश की लेकिन भारत ने इसपर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी उन्होंने कहा, "हम थोड़े सदमे में हैं क्योंकि सीमा विवाद को बातचीत से सुलझाने के हमारे प्रस्ताव का कोई जवाब नहीं मिला। अगर भारत और चीन अपने मसले सुलझा सकते हैं, तो ऐसा कोई कारण नहीं है कि नेपाल और भारत ऐसा ना कर सकें. हमें उम्मीद है कि बहुप्रतीक्षित बातचीत जल्दी ही हो पाएगी

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नेपाल सरकार द्वारा लिम्पियाधुरा कालापानी और लिपुलेख को अपने नए राजनीतिक नक़्शे में दिखाने पर भारत सरकार की कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा था कि देश के किसी क्षेत्र पर इस तरह के दावे को भारत द्वारा नहीं स्वीकार किया जाएगा।

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने बयान जारी कर कहा है कि नेपाल सरकार ने जो आधिकारिक नक़्शा जारी किया है उसमें भारतीय क्षेत्र को दिखाया गया है, यह एकतरफ़ा हरकत ऐतिहासिक तथ्यों और सबूतों पर आधारित नहीं है। बयान में भारत सरकार ने आगे कहा था कि यह सीमाओं के मुद्दों को राजनयिक बातचीत के तरीक़ों से सुलझाने की द्विपक्षीय समझ के उलट है, इस तरह के कृत्रिम विस्तार के दावे भारत स्वीकार नहीं करेगा. भारत ने कहा है कि नेपाल इस मामले में स्थिति से अच्छी तरह अवगत है और नेपाल सरकार से मांग है कि वो इस तरह के नक़्शे के ज़रिए अनुचित दावे से बचे और भारत की संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करें।

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