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यूनिसेफ के 74 साल: बच्चों की स्थिति ज्यों कि त्यों, एजेंसी की इसलिए हुई थी स्थापना

बच्चों के संरक्षण, अधिकारों की रक्षा, विकास में सहायता - इन उद्देश्यों से यूनीसेफ की स्थापना हुई थी लेकिन आज जिस तरह से बच्चे मामूली बीमारियों से मर रहे हैं, भुखमरी का शिकार हैं, युद्ध में झोंके जा रहे हैं और विस्थापित होने को मजबूर हैं उससे यूनीसेफ बिलकुल फेल साबित होता दीखता है।

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Published on: 11 Dec 2020 10:21 AM IST
यूनिसेफ के 74 साल: बच्चों की स्थिति ज्यों कि त्यों, एजेंसी की इसलिए हुई थी स्थापना
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यूनिसेफ के 74 साल: बच्चों की स्थिति ज्यों कि त्यों,

लखनऊ: दुनिया भर में छोटे बच्चों को भोजन और स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के काम में लगी एजेंसी यूनीसेफ का आज स्थापना दिवस है। 74 साल में ये एजेंसी बच्चों की स्थिति में बहुत बदलाव तो नहीं ला पाई है। बच्चों के संरक्षण, उनके अधिकारों की रक्षा, उनके विकास में सहायता - इन उद्देश्यों से यूनीसेफ की स्थापना हुई थी लेकिन आज जिस तरह से बच्चे मामूली बीमारियों से मर रहे हैं, भुखमरी का शिकार हैं, युद्ध में झोंके जा रहे हैं और विस्थापित होने को मजबूर हैं उससे यूनीसेफ बिलकुल फेल साबित होता दीखता है।

यूनीसेफ की सफलता पर अमेरिका समेत कई देश सवाल खड़ा कर चुके हैं। फण्ड जुटाने के लिए यूनीसेफ जिस तरह बच्चों का इस्तेमाल करता है उसकी भी निंदा हुई है। लेकिन आज यूनीसेफ उन एजेंसियों में शुमार है जिसको सबसे ज्यादा फंड मिलता है। यूनिसेफ ने काम किये हैं लेकिन जैसी अपेक्षा की जाती है उतने नहीं किये।

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सीरिया, यमन, म्यांमार, आदि ढेरों उदहारण हैं जहाँ बच्चों पर बेइंतिहा मुसीबतें हैं लेकिन यूनीसेफ इनकी मदद करने में असफल रहा है। यूनीसेफ पर घोटालों के तमाम आरोप भी लगते रहे हैं। यूनीसेफ त्योहारों से सम्बन्धित ग्रीटिंग कार्ड बेच कर काफी कमाई करता है। 2007 में यूनिसेफ ने हालमार्क कंपनी से सहयोग करके कार्ड बेचे और 155 मिलियन डालर से ज्यादा फण्ड जुटाया लेकिन इस फण्ड से मात्र 60 मिलियन डालर ही जरूरतमंद बच्चों पर खर्च किया गया बाकी धन यूनिसेफ के लोकल चैप्टर्स ने अपने पास रख लिया जबकि नियमानुसार वे ऐसा नहीं कर सकते। 1995 में केन्या में इस एजेंसी ने 10 मिलियन डालर का घोटाला किया था और बाद में पता चला कि ये पैसा पार्टियों और कैसिनो बालाओं पर स्थानीय यूनिसेफ अधिकारियों ने उड़ाया था।

यूनीसेफ का इतिहास

पोलिश फिजीशियन लुडविक रॅशमन को इस संस्था के संस्थापक के रूप में जाना जाता है। वह इस संस्था के प्रथम अध्यक्ष (1946-1950) भी थे। यूनिसेफ की स्थापना संयुक्त राष्ट्र की महासभा ने 11 दिसंबर 1946 की थी। इसका आरंभिक उद्देश्य द्वितीय विश्वयुद्ध में नष्ट हुए राष्ट्रों के बच्चों को खाना और स्वस्थ सेवाएं उपलब्ध कराना यह था। 1953 में यूनिसेफ संयुक्त राष्ट्र का स्थाई हिस्सा बन गया तथा इसका नाम यूनाइटेड नेशंस इंटरनेशनल चिल्ड्रन इमरजेंसी फंड की जगह यूनाइटेड नेशंस चिल्ड्रन फंड कर दिया गया। इसका मुख्यालय न्यूयॉर्क में है तथा इसकी वर्तमान अध्यक्ष हेनेरिता फोर हैं। यूनिसेफ के १२० से अधिक शहरों में कार्यालय हैं और १९० से अधिक स्थानों पर इसके कर्मचारी कार्यरत हैं। वर्तमान में यूनीसेफ फंड एकत्रित करने के लिए विश्व स्तरीय एथलीट और टीमों की सहायता भी लेता है।

उद्देश्य...

यूनिसेफ़ का उद्देश्य अल्पविकसित देशों में स्थायी बाल स्वास्थ्य व कल्याण सेवाओं की स्थापना के लिए सहायता प्रदान करना है। यूनीसेफ़ के अनुसार वो 190 से अधिक देशों में बच्चों को शिक्षा, पोषण व स्वास्थ्य सम्बंधी सहायता देता है। यह हेल्थ परियोजनाओं के लिए भी आपूर्ति उपलब्ध कराता है। 36 सदस्यों का कार्यकारी दल यूनीसेफ़ के कामों की देखरेख करता है। यह नीतियाँ बनाता है और साथ ही यह वित्तीय और प्रशासनिक योजनाओं से जुड़े कार्यक्रमों को स्वीकृति प्रदान करता है।यूनीसेफ़ का सप्लाई प्रभाग कार्यालय कोपनहेगन, डेनमार्क में है।

स्वैच्छिक योगदानों पर निर्भर

यूनीसेफ़ पूरी तरह से स्वैच्छिक योगदानों पर निर्भर रहता है। इसकी तीन-चौथाई आय विभिन्न सरकारों से आती है, जबकि शेष वित्त, ग्रीटिंग कार्ड की बिक्री और फण्ड जुटाने के तमाम अभियानों के माध्यम से, संगठनों और व्यक्तियों से प्राप्त होता है। संगठन की आय का 92 फीसदी संगठन द्वारा कार्यान्वित गतिविधियों पर खर्च किया जाता है।

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यूनीसेफ़ विश्व में टीकों का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है तथा यह विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ मिलकर कार्य करता है। लेकिन कोरोना टीकाकरण में यूनिसेफ की क्या भूमिका होगी कुछ बताया नहीं गया है।

भारत में यूनिसेफ

संगठन ने 1949 में तीन स्टाफ सदस्यों के साथ भारत में अपना काम शुरू किया और तीन साल बाद दिल्ली में एक कार्यालय स्थापित किया। वर्तमान में, यह 16 राज्यों में भारत के बच्चों के अधिकारों की हिमायत करता है। 1949 में भारत का पहला पेनिसिलिन उपकरण पिंपरी में स्थापित किया गया। यूनिसेफ ने उपकरण और तकनीकी सहायता प्रदान की और यह ड्रग्स एंड फार्मास्युटिकल सेक्टर में पहला सार्वजनिक उपक्रम था।

नीलमणि लाल



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