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बदलेगा अमेरिका: अब दोहराई जाएगी 20 साल पुरानी कहानी, सबकी नजर चुनाव पर

भले ही अमेरिकी प्रेसिडेंट चुनाव के बारे में तरह-तरह के दावे किये जा रहे हों लेकिन चुनाव अभी खत्म नहीं हुआ है। जैसा संभावित था, डोनाल्ड ट्रम्प की तरफ से चुनावी प्रक्रिया को कानूनी चुनौती दे दी गयी है

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Published on: 7 Nov 2020 10:40 AM IST
बदलेगा अमेरिका: अब दोहराई जाएगी 20 साल पुरानी कहानी, सबकी नजर चुनाव पर
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अमेरिका में दोहराई जायेगी 20 साल पुरानी कहानी

वाशिंगटन: भले ही अमेरिकी प्रेसिडेंट चुनाव के बारे में तरह-तरह के दावे किये जा रहे हों लेकिन चुनाव अभी खत्म नहीं हुआ है। जैसा संभावित था, डोनाल्ड ट्रम्प की तरफ से चुनावी प्रक्रिया को कानूनी चुनौती दे दी गयी है। जिन राज्यों में चुनाव प्रक्रिया पर टीम ट्रम्प को भरोसा नहीं है, उन राज्यों की अद्लातों में मुकदमे ठोंक दिए गए हैं। एक-दो जगह स्थानीय अदालत का फैसला आ भी गया है, लेकिन ये तय है कि ट्रम्प देश की सर्वोच्च अदालत में जायेंगे। ट्रम्प को मिशिगन, जॉर्जिया, नेवाडा, पेंसिलवानिया और विस्कॉन्सिन में चुनावी प्रक्रिया को कोर्ट में घसीट लिया है। जो बिडेन ने भी जवाबी कानूनी लड़ाई लड़ने की धमकी दी है।

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इसके अलावा जॉर्जिया में वोटों की दोबारा गिनती होगी क्योंकि यहाँ दोनों प्रत्याशियों को लगभग बराबर वोट मिले हैं। पेन्सिलवानिया में भी दोबारा गिनती होने के असार बन रहे हैं। अगर दोबारा गिनती में ट्रम्प आगे निकल गए तो पूरा खेल बदल जाएगा।

बहुत मुमकिन है कि वर्ष 2000 की बुश बनाम अल गोर की कानूनी लड़ाई इस बार दोहराई जाए। फर्क इतना होगा कि बीस साल डेमोक्रेट अल गोर सुप्रीम कोर्ट गए थे और इस बार रिपब्लिकन डोनाल्ड ट्रम्प जाने वाले हैं। बीस साल पहले डेमोक्रेट अल गोर ने चुनावी प्रक्रिया पर वही सवाल उठाये थे जो इस बार ट्रम्प ने उठाये हैं।

वैसे, ट्रम्प को वोटों की गिनती के तरीके पर सबसे बड़ी आपत्ति है। मसलन, 3 नवम्बर के बाद रिसीव वोट न गिने जायें और वोटों की गिनती रिपब्लिकन पर्यवेक्षक की मौजूदगी में हो।

trump-biden

पेंसिलवानिया का मामला

कानूनी लड़ाई का एक पहलू डाक से मिले मतपत्रों को लेकर है। सवाल ये है कि इलेक्शन डे यानी 3 नवम्बर के बाद डाक से रिसीव हुए मतपत्रों की गिनती की जाये कि नहीं। चूँकि चुनाव हर राज्य में अपने अपने नियमों के हिसाब से चलता है सो डाक मतपत्र रिसीव करने की तारीखें भी अलग अलग हैं।

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पेंसिलवानिया प्रान्त का उदहारण लेते हैं जहाँ ट्रम्प को गहरी आपत्ति है। इस प्रान्त में अदालत ने डाक मतपत्र 6 नवम्बर तक रिसीव करने और उनको गिनती में शामिल करने की अनुमति दी है। ट्रम्प का कहना है कि 3 नवम्बर के बाद मिले डाक मतपत्र गिने नहीं जाने चाहियें। पेन्सिलवानिया के खिलाफ रिपब्लिकन पार्टी देश की शीर्ष अदालत जा चुकी है और सुप्रीम कोर्ट के चार जजों ने कहा है कि वे इस केस को सुनने में रुचि रखते हैं।

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अमेरिकी चुनावी सिस्टम

अमेरिका में हर चुनाव स्थानीय लेवल पर आयोजित किया जाता है और इसमें संघीय सरकार की कोई भूमिका नहीं रहती है। लोकल अधिकारी और प्रशासन पूरी चुनावी प्रक्रिया को संचालित करते हैं. टीम ट्रम्प का आरोप है कि डेमोक्रेट शासित राज्यों में धांधली की गयी है। ट्रम्प ने डाक से आये मतपत्रों की गिनती रोकने की मांग की है और इसके लिए अदालतों में मुकदमे दायर किये हैं. निचली और लोकल अदालतों के बाद सुप्रीम कोर्ट में अपील का रास्ता खुलता है।

सीधे जा सकते हैं शीर्ष अदालत

कानूनी एक्सपर्ट्स का कहना है कि डोनाल्ड ट्रम्प के पास सीधे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का भी विकल्प मौजूद है। सुप्रीम कोर्ट में मामला पहुँचने पर नवनियुक्त जज एमी कोनी बैरेट की भूमिका महत्वपूर्ण साबित हो सकती है क्योंकि ऐसा माना जा रहा है कि वो ट्रम्प के पक्ष में फैसला देंगी।

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