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अमेरिकी चुनावः बहुत करीबी होगा मुकाबला, जीत सकते हैं ट्रम्प

अपने दूसरे कार्यकाल के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का प्रचार अभियान आक्रामक ढंग से जारी है लेकिन सर्वे बताते हैं कि ट्रम्प अपने प्रतिद्वंद्वी, डेमोक्रेटिक पार्टी के जो बिडेन से काफी अंतर से पीछे चल रहे हैं।

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Published on: 8 Sept 2020 1:15 PM IST
अमेरिकी चुनावः बहुत करीबी होगा मुकाबला, जीत सकते हैं ट्रम्प
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अमेरिकी चुनावः बहुत करीबी होगा मुकाबला,जीत सकते हैं ट्रम्प (file photo)

लखनऊ: अपने दूसरे कार्यकाल के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का प्रचार अभियान आक्रामक ढंग से जारी है लेकिन सर्वे बताते हैं कि ट्रम्प अपने प्रतिद्वंद्वी, डेमोक्रेटिक पार्टी के जो बिडेन से काफी अंतर से पीछे चल रहे हैं। बीते 6 महीनों से ओपिनियन पोल में ट्रम्प के समर्थक मतदाताओं का शेयर 45 फीसदी से कम रहा है। अमेरिका में 50 वर्षों में कोई भी प्रत्याशी इतना ज्यादा पिछड़ने के बावजूद राष्ट्रपति चुनाव जीत नहीं सका है।

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फाइव थर्टी एट नाम के एक प्रमुख सर्वे ग्रुप ने ट्रम्प के जीतने की संभावना 29 फीसदी बताई है। लेकिन इसी ग्रुप ने 2016 के चुनाव में डोनाल्ड ट्रम्प के जीतने की संभावना 29 फीसदी ही बताई थी। जिस तरह से चीजें आगे बढ़ रहीं हैं उससे साफ़ है कि चुनाव बहुत करीबी मुकाबला होने जा रहा है और रेस के आखिरी चक्रों में ट्रम्प के आगे निकल जाने की पूरी संभावना है। चुनाव में अब डेढ़ महीने से भी कम समय बचा है और ये तय है कि अमेरिकी राष्ट्रपति का ये चुनाव दुनिया में बहुत बड़ा बदलाव ला कर रहेगा।

पीछे रहने के बावजूद दर्ज की है जीत

सच्चाई ये है कि डोनाल्ड ट्रम्प ने पहले भी पिछड़ने के बावजूद रेस को जीता है। इस मर्तबा ट्रम्प के पक्ष में दो बड़ी चीजें हैं जो चार साल पहले नहीं थीं। पहली चीज है सत्ता की पावर और दूसरी बात है जबरदस्त प्रचार अभियान। अभी तो बिडेन बेहतर पोजीशन में दिख रहे हैं लेकिन बहुत सी चीजें हैं जिन्हें करके ट्रम्प आगे बढ़ सकते हैं।

joe-biden america president (file photo)

ट्रम्प की साफ़ रणनीति

ट्रम्प की चुनावी रणनीति एकदम साफ है। उनकी रणनीति को तीन हिस्सों में बाँट कर देखा जा सकता है।

मजबूत बनाम कमजोर

पहली बात ये कि ट्रम्प जो बिडेन को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं और फोकस इस बात पर है कि बिडेन को कमजोर साबित किया जाये कि वो प्रभावी राष्ट्रपति बनने के काबिल नहीं हैं। इस रणनीति के तहत पहले ट्रम्प ने बिडेन को 'स्लीपी जो' पुकारना शुरू किया जिसका मकसद था बिडेन को मानसिक रूप से कमजोर करार देना। इसके बाद बिडेन को 'पपेट जो' बुलाना शुरू किया और इसके जरिये ये सन्देश दिया कि बिडेन एक कठपुतली हैं जिनको वामपंथी अतिवादी कंट्रोल कर रहे हैं।

पिछले हफ्ते के एक टीवी इंटरव्यू में ट्रम्प ने ये आरोप तक लगा दिया कि बिडेन क्षमता बढ़ने वाली ड्रग्स का इस्तेमाल कर रहे हैं। ट्रम्प का तर्क था कि ड्रग्स के कारण ही बिडेन साफ़ साफ़ बोल कर स्पीच दे पा रहे हैं। बिडेन पर ऐसे हमले देखने में भले ही बेतुके लगें लेकिन इनका सन्देश स्पष्ट है- ट्रम्प मजबूत हैं जबकि बिडेन कमजोर हैं। ट्रम्प के प्रचार अभियान के कुछ विज्ञापनों की टैग लाइन भी ऐसी ही है- अमेरिका को मजबूत लीडरशिप की जरूरत है।

अपराध और कानून-व्यवस्था

ट्रम्प के हमलों की दूसरी लाइन है विधि-व्यवस्था की। ट्रम्प ने अमेरिका के कई शहरों में हिंसा से लाभ उठाया है। वो इस तरीके से कि डेमोक्रेटिक पार्टी की जीत से अमेरिका में अपराधों की बाढ़ आ जायेगी। ट्रम्प ने चेतावनी दी है कि 'आप जो बिडेन के अमेरिका में सुरक्षित नहीं रहेंगे।' ट्रम्प का ये वही रुख है जो उन्होंने 2016 में अपनाया था। ये दो तरह के वर्गों पर केन्द्रित है। एक वर्ग है ट्रम्प का मजबूत आधार जिसमें गोर कामकाजी लोग हैं। ट्रम्प के सलाहकारों का मानना है कि कल्चर वॉर को धार देकर इस वर्ग के अधिकाधिक लोगों को अपने पक्ष में किया जा सकता है। टारगेट पर दूसरा वर्ग वो है जिसमें 2016 में ट्रम्प को वोट दिया था लेकिन तबसे वह छिटक गया है। इस वर्ग में खासतौर पर शहरी महिलाएं और वृद्ध जन शामिल हैं।

प्रचार के इस तरीके ने ट्रम्प के सपोर्ट बेस में बढ़ोत्तरी भले नहीं की है लेकिन मतदाताओं के मन में अपराधों के प्रति चिंता जरूरी बढ़ा दी है। मिसाल के तौर पर फ्लोरिडा में पिछले हफ्ते हुए एक सर्वे में पता चला कि 'लॉ एंड आर्डर' अब मतदाताओं की प्रमुच चिंताओं में दूसरे नंबर पर आ गया है। सबसे बड़ी चिंता अर्थव्यवस्था की है और तीसरे नंबर पर कोरोना वायरस है।

नजरिये में बदलाव

ट्रम्प का तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण फ्रंट है मतदाताओं के नजरिये को बदलने का। महामारी और अर्थव्यवस्था के मसले पर ट्रम्प सबसे कमजोर स्थिति में हैं और इन्हीं दोनों विषयों पर लोगों के नजरिये को बदलने का काम किया जा रहा है। अभियान के दो मुख्य फोकस पॉइंट हैं- वायरस को हराना और अमेरिका को फिर कामकाज के रास्ते पर लाना। मतदाता इन दोनों समस्याओं का समाधान सुनना चाहते हैं और ट्रम्प यही कर रहे हैं।

अर्थव्यवस्था पर ट्रम्प का दृष्टिकोण साफ़ है। वो अर्थव्यवस्था में ज़रा भी सकरात्मक बदलाव के संकेत को सामने ला रहे हैं और तर्क दे रहे हैं कि खुशहाली बस वापस लौटने ही वाली है। पिछले हफ्ते ट्रम्प ने ये आंकड़े जोरदार तरीके से पेश किये कि बेरोजगारी दर अगस्त में गिर कर 8.4 फीसदी पर आ गयी जबकि अप्रैल में ये 14.7 फीसदी के पीक पर थी।

महामारी के मोर्चे पर अभी अमेरिका में स्थिति खराब है

महामारी के मोर्चे पर अभी अमेरिका में स्थिति खराब है लेकिन ट्रम्प का तर्क है कि महामारी खात्मे के करीब है और ये उनके काम का असर है। ट्रम्प लगातार वैक्सीन की बातें कर रहे हैं कि वो कितना करीब है। ट्रम्प ऐसे बर्ताव कर रहे हैं जैसे कि महामारी का खतरा खत्म हो चुका है। वो कहते हैं कि लोग सामान्य जीवन जी सकें इसकी राह में डेमोक्रेट्स रोड़ा अटका रहे हैं।

donald-trump donald-trump (file photo)

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अगला कदम

रिपब्लिकन और डेमोक्रेट्स, दोनों के रणनीतिकार मानते हैं कि अब अगला कदम वैक्सीन को ले कर होगा। अक्टूबर में व्हाइट हाउस से ऐलान कर दिया जाएगा कि एक प्रायोगिक वैक्सीन लोगों के लिए तैयार है। भले की इसे लांच न किया जाए लेकिन ऐसी घोषणा कर दी जायेगी। अमेरिकी लोगों को अच्छी खबर चाहिए और कोई भी ऐसी खबर ट्रम्प के फिर जीतने की संभावनाओं को जबरदस्त बूस्ट करेगी। अगर वैक्सीन के लिए एफडीए की अनुमति मिल जाये, अगर महामारी धीमी पद जाए, अगर बिडेन लड़खड़ा जाएँ, अगर अर्थव्यवस्था में कुछ भी सुधार आ जाये, ऐसा कुछ भी हो जाये तो ये चुनाव बहुत ही करीबी हो जाएगा ठीक वैसे ही जैसे 2016 में हटा था और ट्रम्प हारते हारते जीत गए थे।

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