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रूस और चीन के बीच होगा भयानक युद्ध! ड्रैगन ने इस शहर को बता दिया अपना

पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के बीच तनाव चरम पर है। अब इस बीच चीन ने एक देश की जमनी हथियाने की कोशिश में है। वह देश कोई नहीं रूस है। चीन के सरकारी चैनल का दावा है कि रूस का व्लादिवोस्तोक शहर असल में चीन का है।

Newstrack
Published on: 3 July 2020 4:25 PM GMT
रूस और चीन के बीच होगा भयानक युद्ध! ड्रैगन ने इस शहर को बता दिया अपना
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बीजिंग: पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के बीच तनाव चरम पर है। अब इस बीच चीन ने एक देश की जमनी हथियाने की कोशिश में है। वह देश कोई नहीं रूस है। चीन के सरकारी चैनल का दावा है कि रूस का व्लादिवोस्तोक शहर असल में चीन का है। इस बयान के रूस में चीन के खिलाफ गुस्सा बढ़ गया है।

अब चीन के सरकारी सीजीटीएन चैनल के एडिटर ने कहा कि रूस का व्लादिवोस्तोक शहर आज से लगभग डेढ़ सौ साल पहले चीन का हिस्सा था। इसके बाद विवाद छिड़ गया है। रूस में भी चीन के खिलाफ जमकर नारे लगे रहे हैं।

यह है पूरा मामला

दरअसल रूस ने व्लादिवोस्तोक शहर के स्थापना दिवस को धूमधाम से मनाया। रूस के चीन स्थित दूतावास ने भी इसकी तस्वीरें पोस्ट कीं। सोशल मीडिया पर ये तस्वीरें देखते ही चीनी पागल हो गए। वह सोशल मीडिया पर लगे कि ये चीन का हिस्सा था।

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इस बीच चीन की सरकारी मीडिया सीजीटीएन के संपादक शेन सिवई ने भी कह दिया कि रूस का व्लादिवोस्तोक साल 1860 से पहले चीन का हिस्सा था। इसे पहले इसे लोग हैशेनवाई शहर के नाम से जानते थे, लेकिन रूस ने एकतरफा संधि के जरिए चीन से ये शहर ले लिया और उसका नाम तक बदल दिया।

विवाद बढ़ता देख दी सफाई

इस बाद विवाद बढ़ने पर संपादक ने सफाई दी और कहा कि चूंकि सीमा संधि पर दस्तखत हो चुके हैं, इसलिए चीन का दावा शहर को लेकर नहीं है। हालांकि इसके बाद से मामला गरम हो गया है। माना जा रहा है कि चीन का सरकारी मीडिया असल में कम्युनिस्ट पार्टी की सोच को कहता है। लोग मान रहे हैं कि इतने बड़े सरकारी चैनल का संपादक ये लिख रहा है तो कहीं न कहीं सरकार की यह सोच होगी।

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साल 1860 में रूस की सेना ने इस शहर को बसाया और इसे व्‍लादिवोस्‍तोक नाम दिया। व्‍लादिवोस्‍तोक का अर्थ है पूरब का राजा। ये रूस के प्रिमोर्स्की क्राय राज्य की राजधानी है। पहले ये शहर वाकई में चीन का हिस्सा था। 1860 से ठीक पहले चीन ने Treaty of Aigun और Treaty of Peking के तहत अपना ये हिस्सा रूस को सौंप दिया। इसके बाद से ही इस इलाके का लगातार विकास किया गया।

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इस सयम शहर प्रशांत महासागर में रूस के सैनिक बेड़े का एक बेस है। व्यापारिक तौर पर भी ये शहर रूस के लिए काफी मायने रखता है। रूस से होने वाले व्यापार का काफी हिस्सा व्‍लादिवोस्‍तोक पोर्ट से होकर दुनिया में गुजरता है।

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