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फानी तूफ़ान: जानें क्यों आते है चक्रवाती तूफ़ान?

फान फानी तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के करीब पहुंच चुका है। भारतीय मौसम विभाग ने आशंका व्यक्त की है कि यह तूफान तीव्र हो सकता है और ज्यादा तबाही मचा सकता है।

Aditya Mishra
Published on: 30 April 2019 5:03 PM IST
फानी तूफ़ान: जानें क्यों आते है चक्रवाती तूफ़ान?
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नई दिल्ली: तूफान फानी तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के करीब पहुंच चुका है। भारतीय मौसम विभाग ने आशंका व्यक्त की है कि यह तूफान तीव्र हो सकता है और ज्यादा तबाही मचा सकता है।

पिछले साल भी तूफान गाजा ने तमिलनाडु के तटों पर तबाही मचाई थी। 20 लोगों ने जान गवां दी थी और काफी नुकसान भी हुआ था। चक्रवाती तूफान क्या होते हैं और इनके नाम कैसे रखे जाते हैं? आइए जानते हैं।

भारत और दुनिया भर के तटीय इलाके हमेशा चक्रवाती तूफानों से जूझते रहते हैं। चक्रवाती तूफानों को अलग-अलग जगह के हिसाब से अलग-अलग नाम दिया जाता है। साइक्लोन, हरिकेन और टाइफून, ये तीनों ही चक्रवाती तूफान होते हैं।

उत्तरी अटलांटिक महासागर और उत्तरी-पूर्वी प्रशांत महासागर में आने वाले चक्रवाती तूफान हरिकेन कहलाते हैं। उत्तरी-पश्चिमी प्रशांत महासागर में आने वाले चक्रवाती तूफानों को टायफून और दक्षिणी प्रशांत और हिन्द महासागर में आने वाले तूफानों को साइक्लोन कहा जाता है। भारत में आने वाले चक्रवाती तूफान दक्षिणी प्रशांत और हिन्द महासागर से ही आते हैं इसलिए इन्हें साइक्लोन कहा जाता है।

इनके घूर्णन की दिशाएं भी अलग-अलग होती है। पृथ्वी के आधे ऊपरी हिस्से यानी उत्तरी गोलार्द्ध में आने वाले चक्रवाती तूफान घड़ी की सुई के चलने की दिशा यानी क्लॉकवाइज घूमते हैं जबकि दक्षिणी गोलार्द्ध में आने वाले तूफान घड़ी की सुई के चलने की विपरीत दिशा यानी एंटीक्लॉकवाइज चलते हैं। भारत दक्षिणी गोलार्द्ध में है इसलिए यहां आने वाले चक्रवात एंटी क्लॉकवाइज घूमते हैं।

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क्यों आते हैं चक्रवात

पृथ्वी के वायुमंडल में हवा होती है। समुद्र के ऊपर भी जमीन की तरह ही हवा होती है। हवा हमेशा उच्च दाब से निम्न दाब वाले क्षेत्र की तरफ बहती है। जब हवा गर्म हो जाती है तो हल्की हो जाती है और ऊपर उठने लगती है।

जब समुद्र का पानी गर्म होता है तो इसके ऊपर मौजूद हवा भी गर्म हो जाती है और ऊपर उठने लगती है। इस जगह पर निम्न दाब का क्षेत्र बनने लग जाता है। आस पास मौजूद ठंडी हवा इस निम्न दाब वाले क्षेत्र को भरने के लिए इस तरफ बढ़ने लगती है।

लेकिन पृथ्वी अपनी धुरी पर लट्टू की तरह घूमती रहती है। इस वजह से यह हवा सीधी दिशा में ना आकर घूमने लगती है और चक्कर लगाती हुई उस जगह की ओर आगे बढ़ती है। इसे चक्रवात कहते हैं।

चक्रवात तेजी से घूमती हवा होती है इसलिए इसका मध्य बिंदु हमेशा रिक्त होता है क्योंकि घूमती हुई हवा उस बिंदु के चारों ओर घूमती है लेकिन उस बिंदु तक नहीं पहुंचती। इसे चक्रवात की आंख कहते हैं। जो हवा गर्म होकर ऊपर उठती है उसमें नमी होती है। इसलिए चक्रवात में तेज हवाओं के साथ बारिश भी होती है।

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चक्रवात घूमते हुए आगे बढ़ता है और जब समुद्र के तट से टकराता है तो कमजोर पड़ने लगता है। इसका कारण जमीन पर हवा का उच्च दबाव होना है। चक्रवात की दिशा का अनुमान लगाया जाता है लेकिन चक्रवात का रास्ता निश्चित नहीं किया जा सकता। कई बार चक्रवात अपना रास्ता तट से टकराने से पहले हवा के दबाव के चलते बदल लेते हैं।

हवा की रफ्तार के हिसाब से इन चक्रवातों को पांच श्रेणियों में बांटा जाता है. श्रेणी एक में 119 किलोमीटर प्रति घंटा से 153 किलोमीटर प्रति घंटा रफ्तार तक, श्रेणी दो में 154 से 177 किलोमीटर प्रति घंटा, श्रेणी तीन में 178 से 208 किलोमीटर प्रति घंटा, श्रेणी चार में 209 से 251 किलोमीटर प्रति घंटा और श्रेणी पांच में 252 किलोमीटर प्रति घंटा और उससे अधिक रफ्तार के तूफान आते हैं।

कैसे होता है नामकरण

तूफानों का औपचारिक नाम रखने की परंपरा 1950 में अमेरिका से शुरू हुई थी। इससे पहले कहा जाता है कि तूफानों के नाम नाविक अपनी प्रेमिकाओं के नाम पर रखते थे। इसलिए शुरुआत में औपचारिक रूप से तूफानों के नाम महिलाओं के नाम से होते थे।

70 के दशक से यह परंपरा बदल गई और तूफानों के नाम महिला और पुरुष दोनों के नाम पर होने लगे। सम संख्या वाले वर्षों में तूफानों के नाम महिलाओं के नाम और विषम संख्या वाले वर्षों में यह पुरुषों के नाम पर होता है।

2004 से हिंद महासागर में आने वाले तूफानों के नाम बांग्लादेश, भारत, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, श्रीलंका और थाईलैंड मिलकर रखते हैं।

हर तूफान का नाम इसी क्रम से एक देश रखता है। जैसे अक्टूबर 2018 में आए तितली तूफान का नाम पाकिस्तान ने रखा था। फानी तूफान का नाम बांग्लादेश ने दिया है। इस इलाके में आने वाले अगले तूफान का नाम भारत की तरफ से होगा।

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