Vulture Conservation Centre: महाराजगंज में बना विश्व का पहला एशियाई किंग गिद्ध संरक्षण केंद्र, जानिए क्या है खास | News Track in Hindi
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Vulture Conservation Centre: महाराजगंज में बना विश्व का पहला एशियाई किंग गिद्ध संरक्षण केंद्र, जानिए क्या है खास

Vulture Conservation Centre: 1.5 हेक्टेर के क्षेत्र में गोरखपुर के महाराजगंज में विश्व का पहला जटायु एशियाई किंग गिद्ध संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र स्थापित किया गया। तेज़ी से विलुप्त हो रही गिद्धों की प्रजाति के संरक्षण के लिए इस संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र की स्थापना करी गयी है जो विश्व में पहला है।

Vertika Sonakia
Published on: 5 April 2023 2:07 PM
Vulture Conservation Centre: महाराजगंज में बना विश्व का पहला एशियाई किंग गिद्ध संरक्षण केंद्र, जानिए क्या है खास
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एशियाई किंग गिद्ध विश्व संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र, महराजगंज, उत्तर प्रदेश (फ़ोटो: सोशल मीडिया )

Vulture Conservation Centre: गिद्धों की तेजी से विलुप्त हो रही प्रजाति को संरक्षित करने के लिए विश्व का पहला जटायु एशियाई किंग गिद्ध संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र उत्तर प्रदेश के महराजगंज में स्थापित किया गया। उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जिले में जयति संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र की स्थापना की जा चुकी है। यह विश्व का पहला जटायु एशियाई किंग गिद्ध संरक्षण केंद्र है।

जटायु संरक्षण केंद्र मुख्यतः गिद्धों के संरक्षण के लिए स्थापित किया गया है। जटायु संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र महाराजगंज का कार्य समाप्त हो चुका है। जल्द ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा इस संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र का उद्घाटन किया जाएगा। एशियाई किंग गिद्ध एक तेज गति से विलुप्त हो रही प्रजाति है। इसका संरक्षण वन्य संरक्षण जीव अधिनियम, 1972 के तहत किया जाता है। इस अधिनियम के अंतर्गत किसी भी व्यक्ति को वन क्षेत्र या केंद्र सरकार द्वारा चिन्हित किसी भी ऐसे क्षेत्र से किसी भी पौधे (जीवित अथवा मृत) को जानबूझकर तोडना, नुकसान पहुँचाना, उखाड़ना, एकत्र करना, बेचना या स्थानांतरित करने से रोकता है।

जटायु गिद्ध संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र का क्षेत्र

जटायु गिद्ध एवं प्रजनन केंद्र गोरखपुर वन्य क्षेत्र के अंतर्गत 1.5 हेक्टेर का क्षेत्र है । इसे लगभग 15 करोड़ रुपए की लागत से बनाया गया है। विलुप्त हो रही गिद्दो की इस प्रजाति के संरक्षण के लिए इस संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र के स्थापना करि गयी है।

जटायु गिद्ध संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र में उपलब्ध सुविधाएँ

इस संरक्षण केंद्र में गिद्ध के लिए विभिन्न पिंजड़े बनाए गए हैं। गिद्धों के लिए एक अस्पताल की स्थापना भी की गई है जिससे बीमार गिद्धों का जल्द से जल्द इलाज हो सके। किशोर की दो के लिए एक नर्सरी की स्थापना की गई है जिससे वह प्रशिक्षक के साथ मिलकर अपनी जाति का रहन सहन सीख सकें। संरक्षण केंद्र के अंदर एक खाद्य प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना हुई है जहाँ गिद्धों का भोजन तैयार होगा और उसकी भलीभाँति जांच की जाएगी। एक उष्मायन केंद्र भी संरक्षण क्षेत्र के अंदर होगा जहाँ कृत्रिम तरीके से गिद्धों के अंडे निकाले जाएंगे।

अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ के अंतर्गत गिद्ध एक विलुप्त प्रजाति है

अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ के अंतर्गत गिद्ध एक जल्द विलुप्त हो रही प्रजाति घोषित की गई है। गिद्ध के लिए संरक्षण केंद्र बनाए गए हैं ताकि जल्द विलुप्त हो रही है इस पर जाति को संरक्षित कर भविष्य के लिए बचाया जा सके। इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत 15 सालों में युद्ध की लगभग 40 प्रजातियां को संरक्षित करने का लक्ष्य तय किया गया है।

एशिया किंग गिद्ध की साल दर साल विलुप्त तो हो रही प्रजातियाँ

एशियाई किंग गिद्ध मुख्यता उत्तर भारत में पाई जाने वाली चिड़िया है। वर्ष 2004 में अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ द्वारा गिद्ध की इस प्रजाति को लगभग विलुप्त की श्रेणी में रखा गया था। वर्ष 2007 में आइयूसीएन द्वारा लगभग श्रेणी से इसे गंभीर खतरे की श्रेणी में रखा गया।

एशियाई किंग गिद्ध के विलुप्त होने के कारण

एक गैर स्टिरॉयड सम्बन्धी सूजन रोधी दवा डिक्लोफिनैक का जानवरों की दवाओं में इस्तेमाल होने के कारण एशियाई किंग गिद्ध की प्रजातियां धीरे धीरे विलुप्त होती नजर आ रही है। इन प्रजातियों के संरक्षण के लिए ऐसी इस्तेमाल की जाने वाली डावाओ पर जल्द से जल्द सरकार को रोकथाम लगाना होगा।

एशिया किंग गिद्ध का प्रजनन केंद्र

मार्च और अप्रैल के महीने में गिद्धों का प्रजनन कार्य प्रारंभ होता है। इस दौरान पुरुष गिद्धों को खुले में न छोड़कर घनघोर जंगल में भेजा जाएगा। प्रजनन का समय समाप्त होते ही एक पुरुष गिद्ध को वापस जटायु गिद्ध संरक्षण केंद्र में लाया जाएगा। सही तरीके से गिद्धों के प्रजनन के लिए उच्च व्यवस्थाएं की गयी है।

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