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अफगानिस्तानः महज कुछ सौ बचे हैं जिंदा, बुरे हाल में हिंदू और सिख

अफगानिस्तान के पकतिया प्रांत के चमकनी जिले के एक गुरुद्वारे में सेवा करते हुए 22 जून 2020 को सिख समुदाय के एक नेता का अपहरण कर लिया गया था।

Newstrack
Published on: 24 July 2020 10:53 AM GMT
अफगानिस्तानः महज कुछ सौ बचे हैं जिंदा, बुरे हाल में हिंदू और सिख
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''अफगानिस्तान में सिख और हिंदू महज कुछ ही सौ बचे हैं। ज्यादातर लोग जान बचाकर भारत आ गए हैं। बहुत से लोग अन्य देशों में शरणम लिए हुए हैं।''

काबुल: अफगानिस्तान के पकतिया प्रांत के चमकनी जिले के एक गुरुद्वारे में सेवा करते हुए 22 जून 2020 को सिख समुदाय के एक नेता का अपहरण कर लिया गया था। निदान सिंह सचदेवा इस इलाके के हिंदू और सिख समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं। सचदेवा के अपहरण का आरोप अफगानिस्तान तालिबान पर लगा लेकिन उसने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। सचदेवा के अपहरण के कुछ ही दिन बाद तालिबान ने कहा है कि सचदेवा को अगवा करने वालों को सजा दी जाएगी। सचदेवा सिख समुदाय से आते हैं जो कि अफगानिस्तान में हिंदुओं की तरह अल्पसंख्यक है। करीब एक महीने तक बंधक रहने के बाद, सचदेवा को 18 जुलाई को आजाद करा लिया गया।

अफगानिस्तान सरकार और कबायली सरदारों के प्रयासों की सराहना करते हुए भारत ने बिना नाम लिए बाहरी तत्वों पर हमला बोला है। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा बाहरी समर्थकों के इशारे पर आतंकवादियों द्वारा अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों को ''निशाना बनाना और उनका उत्पीड़न'' करना गंभीर चिंता की बात है। बयान में आगे कहा गया, "हाल ही में एक फैसले में, भारत ने अफगानिस्तान में अपनी सुरक्षा को खतरा महसूस कर रहे हिंदू और सिख समुदाय के लोगों को भारत वापसी में सहायता देने का फैसला किया है।"

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निदान सिंह सचदेवा

55 साल के निदान सिंह सचदेवा, अफगान सिख हैं। 1990 में सचदेवा और उनका परिवार भारत आ गया था। सचदेवा लॉन्ग टर्म वीजा पर दिल्ली में रहते हैं और उनका अफगानिस्तान आना जाना लगा रहता है। जब वे अफगानिस्तान जाते हैं तो गुरुद्वारे में सेवा करते हैं। जब उनका अपहरण हुआ था, तब भी वे चमकनी जिले के गुरुद्वारे में सेवा कर रहे थे। सचदेवा के अपहरण के बाद उनकी पत्नी ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत लिखकर पति की रिहाई कराने में मदद की गुहार लगाई थी।

कम ही बचे हैं हिन्दू और सिख

अफगानिस्तान में सिख और हिंदू बहुत कम ही बचे हैं और ज्यादातर भागकर भारत में शरण ले चुके हैं। जो वहां हैं भी तो उनके साथ उत्पीड़न और धार्मिक प्रताड़ना की घटनाएं होती रहती हैं। धार्मिक स्थलों को आतंकी गुट निशाना तक बनाते आए हैं। इसी साल मार्च महीने में आतंकियों ने राजधानी काबुल में गुरुद्वारे पर हमला किया था, जिसमें 25 लोगों की मौत हो गई थी। अफगानिस्तान में इस साल गुरुद्वारे पर आतंकी हमले के बाद सचदेवा का अपहरण सिखों से जुड़ी दूसरी सबसे बड़ी घटना थी। अफगान युद्ध के बाद से ही वहां सिख और हिंदुओं के खिलाफ अत्याचार जारी है। कुछ रिपोर्टों के मुताबिक अफगानिस्तान में 650 से भी कम सिख और हिंदू धर्म को मानने वाले हैं। ऐसे में अफगानिस्तान में सिख समुदाय के लोगों का दिन आतंकियों के खौफ में बीतता है। कभी यहाँ एक लाख से ज्यादा सिख हुआ करते थे।

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भारत में नागरिकता

पिछले साल भारत सरकार ने पड़ोसी मुल्कों में धर्म के आधार पर प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को भारत में नागरिकता देने का कानून पास किया था। संशोधित कानून के मुताबिक मुस्लिम बहुसंख्यक वाले देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से धार्मिक अत्याचार से परेशान होकर या जिन्हें धार्मिक प्रताड़ना का भय है और जो 31 दिसंबर 2014 के पहले भारत आ गए हैं उन्हें भारत की नागरिकता मिल सकती है। ऐसे लोगों में हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई शामिल हैं। भारत में इस कानून के बनने के पहले और कानून बन जाने के बाद बड़े पैमाने पर विरोध हुआ। मुसलमानों और अन्य लोगों ने आरोप लगाया कि यह संविधान की मूल भावना के खिलाफ है।

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