2021 में साढ़ेसाती और ढैय्या का असर: इन राशियों पर पड़ेगा अशुभ प्रभाव, जानें उपाय
ज्योतिष में शनि की स्थिति व दृष्टि बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान रखती है। किसी भी जातक की जन्मपत्रिका का परीक्षण कर उसके भविष्य के बारे में संकेत करने के लिए जन्मपत्रिका में शनि के प्रभाव का आंकलन करना अति-आवश्यक है। शनि स्वभाव से क्रूर व अलगाववादी ग्रह हैं।
लखनऊ : आज साल 2020 का आखिरी दिन है। कल से नए साल 2021 की शुरूआत हो रही है। ऐसे में सबको आने वाले साल की चिंता सता रही होगी । क्या होगा कैसा रहेगा ये साल । कहीं 2020 जैसा तो नहीं होगा साल। वैसे इस साल की शुरुआत ज्योतिषानुसार, ग्रह नक्षत्रों और शुभ दिन से हो रही है।
जन्मपत्रिका में शनि के प्रभाव
नवग्रहों में शनि को न्यायाधिपति माना गया है। ज्योतिष में शनि की स्थिति व दृष्टि बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान रखती है। किसी भी जातक की जन्मपत्रिका का परीक्षण कर उसके भविष्य के बारे में संकेत करने के लिए जन्मपत्रिका में शनि के प्रभाव का आंकलन करना अति-आवश्यक है। शनि स्वभाव से क्रूर व अलगाववादी ग्रह हैं।
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जब ये जन्मपत्रिका में किसी अशुभ भाव के स्वामी बनकर किसी शुभ भाव में स्थित होते हैं तब जातक के अशुभ फ़ल में अतीव वृद्धि कर देते हैं। शनि मन्द गति से चलने वाले ग्रह हैं। शनि एक राशि में ढाई वर्ष तक रहते हैं। ज्योतिष अनुसार शनि दु:ख के स्वामी भी है अत: शनि के शुभ होने पर व्यक्ति सुखी और अशुभ होने पर सदैव दु:खी व चिंतित रहता है।
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शुभ शनि अपनी साढ़ेसाती व ढैय्या में जातक को आशातीत लाभ प्रदान करते हैं वहीं अशुभ शनि अपनी साढ़ेसाती व ढैय्या में जातक को घोर व असहनीय कष्ट देते हैं। गोचर अनुसार शनि जिस राशि में स्थित होते हैं उसके साथ ही उस राशि से दूसरी और द्वादश राशि पर साढ़ेसाती का प्रभाव माना जाता है। वहीं शनि जिन राशियों से चतुर्थ व अष्टम राशिस्थ होते हैं वे शनि की ढैय्या के प्रभाव वाली राशियां मानी जाती हैं।
जानते हैं कि साल 2021 में किन राशि वाले जातकों पर शनि की साढ़ेसाती रहेगी एवं किन राशि वाले जातकों पर शनि की ढैय्या का प्रभाव रहेगा।
शनि की साढ़ेसाती वाली राशियां
धनु, मकर एवं कुंभ राशि वाले जातक साल 2021 में शनि की साढ़ेसाती से प्रभावित रहेंगे।
शनि की ढैय्या वाली राशियां
मिथुन एवं तुला राशि वाले जातक साल 2021 में शनि की ढैय्या से प्रभावित रहेंगे।
अशुभ प्रभाव को कम करने के उपाय
*प्रत्येक शनिवार छाया दान करें। लोहे की कटोरी में तेल भरकर उसमें अपना मुख देखकर उस तेल को कटोरी सहित दान करें
*प्रतिदिन 'ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनये नम:" का जाप करें। प्रतिदिन दशरथकृत शनि स्तोत्र का पाठ करें।
*साढ़ेसाती व ढैय्या की अवधि में काले व नीले वस्त्र धारण ना करें। सात शनिवार 7 बादाम शनि मन्दिर में चढ़ाएं
*प्रत्येक पक्ष के प्रथम शनिवार काले अथवा नीले कम्बल ज़रूरतमन्दों को दान करें।
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दीप जलाएं
*शनिवार को लंगर या भण्डारे में कोयला दान करें। प्रत्येक शनिवार चींटियों को शकर मिश्रित आटा डालें। प्रतिदिन पीपल में जल चढ़ाएं।
*प्रत्येक शनिवार सवा किलो काले चने, सवा किलो उड़द, काली मिर्च, कोयला, चमड़ा, लोहा काले, वस्त्र में लपेटकर दान करें। प्रतिदिन स्नान के जल में सौंफ़, खस, सुरमा व काले तिल डालकर स्नान करें।