स्पेशल: कुंडली के ग्रहों को समय रहते ऐसे करें शांत, तभी शादी की समस्या का मिलेगा निदान
बेटी के बड़ी होते ही उसके विवाह की चिंता माता पिता को सताने लगती है और जब कुंडली की गड़बडी की वजह से शादी में विलंब होते हैं तो माता-पिता के लिए परेशानियां और बढ़ जाती है।अगर आप भी अपनी बेटी की शादी को लेकर परेशान है
जयपुर: बेटी के बड़ी होते ही उसके विवाह की चिंता माता पिता को सताने लगती है और जब कुंडली की गड़बडी की वजह से शादी में विलंब होते हैं तो माता-पिता के लिए परेशानियां और बढ़ जाती है।अगर आप भी अपनी बेटी की शादी को लेकर परेशान है और शादी तय होने में बार-बार रुकावट आ रही हो तो शादी में बाधक ग्रह के लिए उपाय करने से अनुकूल परिस्थितियां बनती है और शीघ्र उत्तम घर व वर मिलने में मदद मिलती हैं तो आप इन उपायों को करेंअगर शादी में हुई है विलंब....
अगर ऐसी हो कुंडली
किसी भी इंसान के जीवन में कुंडली में स्थित ग्रहों और उनकी स्थिति का बहुत प्रभाव पड़ता है। सातवें भाव, सप्तमेश, लग्नेश, शुक्र एवं गुरु की स्थिति को ध्यान में रखकर किया जाता है। सप्तम भाव इसलिए, क्योंकि कुंडली में विवाह से संबंधित भाव यही है। सप्तमेश को देखना इसलिए आवश्यक है क्योंकि वही इस भाव का स्वामी होगा। कन्या की कुंडली में गुरु की स्थिति प्रमुख रूप से विचारणीय होती है क्योंकि उनके लिए गुरु पति का स्थायी कारक है। लग्नेश का सप्तमेश एवं पंचमेश के साथ संबंध भी विवाह को प्रभावित करता है। विवाह संबंधी प्रश्नों में लग्न कुंडली, चंद्र कुंडली और नवमांश कुंडली तीनों से ही विचार करना चाहिए। जन्म कुंडली में कुछ ऐसे योग होते हैं, जो जातिका के विवाह में विलंब का कारण बनते हैं।
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क्या है वजह
जन्म कुंडली में शुक्र वैवाहिक सुख से संबंधित है। वहीं महिलाओं के लिए गुरु पति, पुत्र और धन का प्रतीक ग्रह है। पति सुख के लिए महिलाओं की कुंडली में गुरु की स्थिति विचारणीय है। सप्तम भाव में शनि डालता है विघ्न: स्त्री की कुंडली में सप्तम भाव में शनि या चौथे भाव में मंगल आठ अंश तक हो तो विवाह में बाधा आती है। इसी प्रकार स्त्री कुंडली में सप्तम भाव के स्वामी के साथ शनि बैठा हो तो विवाह देरी से बहुत उम्र होने पर होती है।
ग्रहों का गोचर भी प्रभावित करता
सातवें भाव में शनि हो और कोई पापी ग्रह उसे देखता हो तो उस जातक की शादी में देरी होती है। शनि, सूर्य, राहु, 12वें भाव का स्वामी (द्वादशेश) और राहु अपनी राशि का स्वामी (जैसे राहु मिथुन राशि में बैठा हो तो, मिथुन का स्वामी बुध राहु अधिष्ठित राशि का स्वामी होगा) यह पांच ग्रह विच्छेदात्मक होते हैं। इनमें से किन्हीं दो या अधिक ग्रहों की युति या दृष्टि का संबंध जन्म कुंडली के जिस भाव स्वामी से होता है तो उससे नुकसान पहुंचता है।
करें गुरुवार
सर्वप्रथम विवाह में बाधक ग्रहों की पहचान होने के बाद उस ग्रह से संबंधित व्रत, दान, जप आदि करने चाहिए। पितृ शांति कराएं। पति के कारक ग्रह गुरु का व्रत विशेष लाभकारी होते हैं। इस दिन हल्दी मिश्रित जल केले को चढ़ाएं, घी का दीपक जलाएं और गुरु मंत्र ओम ऐं क्लीं बृहस्पतये नम: का जप करें। गुरुवार को पके केले स्वयं नहीं खाएं। इनका दान करें। विवाह योग्य कन्या को मकान के वायव्य दिशा में सोना चाहिए। ऐसा करने से शादी जल्दी होती है।
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मंत्र साधना
ये उपाय जल्द से जल्द आपके सपनों का राजकुमार से आपको मिलवाएगा। गुरुवार को किसी शुभ योग में इस मंत्र का फिरोजा की माला से पांच माला जप करें। यह क्रिया ग्यारह गुरुवार करें, उत्तम वर व घर शीघ्र मिलेगा।
ओम लीं विश्वासुर्नाम गन्धर्व:।
कन्यानामधिपति: लभामि।
देवदत्तो कन्यां सुरूपां सालकारां तस्मै विश्वासवै स्वाहा।।
सात सोमवार तक नियमित रूप से पारद शिवलिंग के सम्मुख इस मंत्र की 21 माला का जप सोमवार को करें। योग्य वर के साथ शीघ्र विवाह के योग बनेंगे।
ओम ह्नीं कुमाराय नम: स्वाहा।
महाविद्या भुवनेश्वरी यंत्र के सम्मुख इस मंत्र का सवा लाख जप करें, उत्तम वर से शीघ्र विवाह के योग बनेंगे।
ओम बहि प्रेयसी स्वाहा।
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मां कात्यायनी की तस्वीर के सामने, पूजा करने के बाद इस मंत्र की 11 माला का जप करें। यह क्रिया 21 दिनों तक नियमित रूप से करें।
कात्यायिनी महामाये महायोगिनीधीश्वरी।
नन्द-गोपसुतं देवि! पतिं में कुरु ते नम: ।।
इन सारे उपाय को करने से जिन लोगों की शादी में विलंब हो रहा है। उनकी शादी जल्दी होगी। इन उपायों को करने से पहले इस बात का भी ध्यान रखें कि इनको करने से पहले पूरी श्रद्धा से इसका पालन करें तभी सार्थक फल मिलेगा।