Bio Gas Cars: क्या गोबर गैस से दौड़ें सकेंगी कारें? जेब के लिए कितनी साबित होंगी फायदेमंद, जानते हैं इन सब से जुड़े फैक्ट्स
Bio Gas Cars: ऑटोमोबिल एक्सपर्ट के अनुसार बाजार में मारुति सुजुकी के फिलहाल 14 सीएनजी मॉडल उपलब्ध है। इसमें ऑल्टो, सेलेरियो, वैगनआर, स्विफ्ट, स्विफ्ट डिजायर, बलेनो, अर्टिगा, ग्रैंड विटारा समेत अन्य कारें शामिल हैं। भारतीय सीएनजी कार बाजार में मारुति सुजुकी की हिस्सेदारी लगभग 70 प्रतिशत है।
Gobar Gas Cars: पर्यावरण संरक्षण के साथ ही साथ पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों के बीच अब ऑटोमोबाइल सेक्टर में नए फ्यूल ऑप्शन्स खोजे जा रहे हैं। इलेक्ट्रिक और सीएनजी के बाद अब मारुति ने अपने एक नए प्रयोग से ऑटोमोबिल मार्केट में तहलका मचा दिया। इस बात की घोंषणा करके कि उसकी कारें अब गोबर गैस से दौड़ेंगे। भारत में ये कारें कितनी सक्सेस हो सकेंगी। यह कहना जल्दी होगा। पर ऐसे में यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या पुरानी कारों को भी नए बायो गैस फ्यूल व्हीकल में बदला जा सकेगा। मारुति सुजुकी ने इसके लिए केंद्र सरकार के कुछ उपक्रमों से भी साझेदारी की बात कही है। आइए जानते हैं क्या है ऑटोमोबिल एक्सपर्ट्स की राय,
बायोगैस से कार चलाने के जुगाड़ु प्रयास पहले भी कर चुके हैं लोग
ऑटोमोबिल एक्सपर्ट के अनुसार बाजार में मारुति सुजुकी के फिलहाल 14 सीएनजी मॉडल उपलब्ध है। इसमें ऑल्टो, सेलेरियो, वैगनआर, स्विफ्ट, स्विफ्ट डिजायर, बलेनो, अर्टिगा, ग्रैंड विटारा समेत अन्य कारें शामिल हैं। भारतीय सीएनजी कार बाजार में मारुति सुजुकी की हिस्सेदारी लगभग 70 प्रतिशत है। मारुति ने साल 2010 में तीन मॉडलों ऑल्टो, ईको और वैगनआर के साथ सीएनजी कार बाजार में बिक्री शुरू की थी। बायोगैस से कार चलाने के जुगाड़ु प्रयास पहले भी लोग कर चुके हैं। हालांकि ये प्रयास बहुत छोटे स्तर पर हुए हैं। नतीजतन, इनमें इतनी सफलता नहीं मिल पाई है। कंपनी ने इस प्लान को सक्सेस करने के लिए काफी बड़े बदलाव किए गए हैं। निश्चित ही यह प्रयोग सफल होगा
सस्ती, सेफ और ज्यादा माइलेज :
ऑटोमोबाइल एक्सपर्ट्स का कहना है कि बायोगैस की कारें सीएनजी और एलपीजी कारों के मुकाबले काफी सुरक्षित होंगी। माइस्चर कंटेंट ज्यादा होने के कारण इनमें आग लगने का खतरा काफी कम होगा। एलपीजी कारों के साथ आने वाली गंध की समस्या भी इन कारों में नहीं होगी। बायोगैस से कार चलाना सस्ता होगा, क्योंकि ये गैस सस्ती होगी और कंबशन रेट अच्छा होने के चलते इससे चलने वाली कारें माइलेज भी अच्छा देंगी। इनसे प्रदूषण भी बहुत कम होगा।
इस प्रयोग में ये हो सकती हैं दिक्कतें:Gobar Gas
ऑटोमोबाइल एक्सपर्ट्स के मुताबिक ठंडे इलाकों में बायोगैस की कार स्टार्टिंग और मिसिंग की परेशानी होगी, क्योंकि इसमें माइस्चर होने चलते ठंड में नमी बढ़ जाएगी। वहीं पेट्रोल गाडियां में पेट्रोल इनलाइन में भी बदलाव करने होंगे। एक्सपर्ट्स का कहना है की पेट्रोल इंजेक्टर्स का डिजाइन इसके लिए बदलना होगा। अब सड़क पर चलने के बाद ही बायो गैस से चलने वाली इस गाड़ी की सारी सुविधाएं और असुविधाओं और खामियों के बारे में स्पष्ट रूप से परिणाम सामने आएंगे अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।