RK Srivastava: 14 वर्ष के लड़के ने मैथमेटिक्स गुरु का बनाया ऐसा सुंदर स्केच, आरके श्रीवास्तव ने की तारीफ

Mathematics Guru RK Srivastava Sketch: मुजफ्फरपुर के एक लड़के ने मैथमेटिक्स गुरु के नाम से प्रसिद्ध आरके श्रीवास्तव का हूबहू स्केच तैयार किया है।

Newstrack :  Network
Update:2022-07-25 17:26 IST

RK Srivastava Sketch

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Mathematics Guru RK Srivastava: बिहार राज्य के मुजफ्फरपुर का रहने वाले एक 14 वर्षीय माधव दिवाकर परमार ने दुनियाभर में मैथमेटिक्स गुरु के नाम से प्रसिद्ध आरके श्रीवास्तव (India Best Teacher RK Srivastava) का हूबहू स्केच तैयार किया है। लड़के ने यह स्केच मैथमेटिक्स गुरु आरके श्रीवास्तव को भेंट किया, जिसे आरके श्रीवास्तव भी कुछ देर तक निहारते रह गए। कुछ देर निहारने के बाद उन्होंने बोला कि क्या इतना हूबहू स्केच भी बन सकता है, अब इसकी तारीफ के लिए मेरे पास शब्द कम पड़ रहे हैं।

"कौन है आरके श्रीवास्तव"?

गूगल पर "मैथमेटिक्स गुरु" सर्च करने पर सबसे टॉप पर आरके श्रीवास्तव (RK Srivastava) का नाम दिखाई देता है। Google पर "best teacher of bihar" सर्च करने पर भी सबसे टॉप पर शिक्षक आरके श्रीवास्तव का नाम आ रहा है। इसके अलावा "best teacher in bihar" या "who is the best teacher of bihar" सर्च करने पर भी टॉप पर आरके श्रीवास्तव का नाम दिखाई देता है।


एक रुपया गुरु दक्षिणा लेकर इंजीनियर बनाते हैं आरके श्रीवास्तव

किसी ने सोचा भी नहीं था कि एक दिन गांव की दहलीज से निकलकर कोई देश-दुनिया के लिए खुद एक संदेश बन जाएगा। लेकिन ऐसा अक्सर देखा जाता है कि जो अभाव में रहते हैं। वही दुनिया के मानचित्र पर अपनी विद्वता के बूते कृति खींचने में कामयाब साबित होते हैं। ऐसे ही एक आम लड़के या यूं कहे कि ऑटो चालक से गणितज्ञ बनने का सफर तय किया जो आगे चलकर एक इतिहास पुरुष बन जाएंगे ये किसे पता था। पर, ऐसा ही हुआ युवा गणितज्ञ आर के श्रीवास्तव के साथ। 

बिहार के रोहतास जिले के बिक्रमगंज के रहने वाले आर के श्रीवास्तव की, जो खुद मुफलिसी में जिंदगी को गुजारते हुए गरीब और असहाय स्टूडेंट्स को 1 रूपया गुरु दक्षिणा लेकर इंजीनियर बना रहे हैं। आर के श्रीवास्तव अबतक 540 स्टूडेंट्स को बना चुके है इंजीनियर और यह कारवां निरंतर जारी है।

राष्ट्रपति से हो चुके हैं सम्मानित

जिंदगी के कई पहलुओं को बहुत करीब से आरके श्रीवास्तव को देखने का मौका मिला है। इन्होंने अपने जीवन में काफी उतार-चढ़ाव देखे हैं। मगर किसी भी परिस्थिति से हार नहीं मानी और अपने लक्ष्य पर चलते हुए एक दिन अपने मुकाम को पाने में कामयाब हुए। राष्ट्रपति से सम्मानित हो चुके मैथमेटिक्स गुरु आरके श्रीवास्तव ने अपने घर को चलाने के लिए ऑटो रिक्शा तक चलाया। दरअसल इनके घर की माली हालत बहुत बुरी थी। बाल्यावस्था में ही इनके पिता का निधन हो गया। बड़े भाई ने घर की जिम्मेदारी संभाल ली, तब आरके बहुत छोटे थे। जब बड़े हुए तो पढ़ाई करना और बड़े भाई जब थक हारकर आते थे तो आरके ऑटो लेकर सड़कों पर कमाने निकल जाते थे।

घर कि स्थिति में थोड़ी सुधार होने लगी। मगर आरके ने अपनी पढ़ाई के आगे कभी हार नहीं मानी। जिस क्लास में पढ़ते थे उसी क्लास के लड़कों को मैथेमैटिक्स पढ़ाने लगे। जब आमदनी होने लगी तो परिवार चलाने में सपोर्टिव साबित हुई।

लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था। जब घर की जिम्मेदारी पटरी पर लौटने लगी तो आरके श्रीवास्तव के बड़े भाई का असमय निधन हो गया। घर पर विपत्ति का पहाड़ टूट गया। सारी उम्मीदों पर पल में पानी फिर गया। बिखरते परिवार पर जब नजर पड़ी आरके की तो उन्होंने हिम्मत बांधते हुए घर की पूरी जिम्मेदारी अपने कंधों पर लेकर आगे निकल पड़े। इस बूरे दौर में उनकी पढ़ाई ही इनके लिए वरदान साबित हुई। यहां से आरके श्रीवास्तव उभरकर निकले मैथेमैटिक्स गुरु के रुप में।

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