Nitish Kumar के इफ्तार का मुस्लिम संगठनों ने किया बहिष्कार, अल्पसंख्यकों के अधिकारों की अनदेखी करने का लगाया आरोप

Bihar News: बिहार में वक्फ संशोधन बिल 2024 के खिलाफ मुस्लिम संगठनों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा दी जाने वाली इफ्तार पार्टी का बहिष्कार किया है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और इमारत-ए-शरिया जैसे प्रमुख संगठनों ने नीतीश कुमार पर अल्पसंख्यकों के अधिकारों की अनदेखी करने का आरोप लगाया है।;

Update:2025-03-23 10:01 IST

CM Nitish Kumar (Photo: Social Media)

Bihar News: वक्फ संशोधन बिल को लेकर मुस्लिम समाज का विरोध बढ़ता जा रहा है और अब इसका असर भारतीय जनता पार्टी  के सहयोगी दलों पर भी दिखने लगा है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इफ्तार के निमंत्रण को कई मुस्लिम संगठनों ने ठुकरा दिया है। इस फैसले की जानकारी इन संगठनों ने नीतीश कुमार को लिखे गए एक पत्र में दी है। इमारत-ए-शरिया और अन्य प्रमुख मुस्लिम संगठनों ने रविवार, 23 मार्च को होने वाली मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की दावत-ए-इफ्तार का बहिष्कार करने का ऐलान किया। इन संगठनों का कहना है कि यह विरोध प्रस्तावित वक्फ संशोधन बिल 2024 के समर्थन के खिलाफ किया जा रहा है।

इन संगठनों ने ठुकराया न्योता

मुख्यमंत्री को भेजे गए पत्र में इन संगठनों ने साफ तौर पर कहा है कि अगर यह वक्फ बिल कानून बनता है, तो इसके लिए नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जदयू जिम्मेदार होगी। इफ्तार का बहिष्कार करने वाले संगठनों में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, इमारत-ए-शरिया, जमीयत उलमा-ए-हिंद, जमीयत अहले हदीस, जमात-ए-इस्लामी हिंद, खानकाह मुजीबिया, खानकाह रहमानी और अन्य आठ संगठनों ने इस फैसले को समर्थन दिया। पत्र में यह भी कहा गया कि नीतीश कुमार की सरकार मुसलमानों की जायज मांगों को नजरअंदाज कर रही है, जिससे इस प्रकार की औपचारिक दावतें निरर्थक हो जाती हैं।

मुस्लिम संगठनों ने लगाया आरोप

मुस्लिम संगठनों का आरोप है कि नीतीश कुमार ने धर्मनिरपेक्ष शासन का वादा किया था, जिसमें अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करने का भी वादा किया गया था। लेकिन बीजेपी के साथ गठबंधन और असंवैधानिक व अतार्किक कानून का समर्थन करके नीतीश कुमार अपनी प्रतिबद्धताओं के खिलाफ जा रहे हैं।

जमीयत उलमा-ए-हिंद ने क्या कहा

जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि सेक्युलर होने का दावा करने वाले नेता, जो मुसलमानों पर हो रहे अत्याचारों पर खामोश हैं और सरकार का हिस्सा बने हुए हैं, उनका विरोध करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि मुसलमानों को जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है और यह स्थिति चिंताजनक है। मदनी ने यह भी कहा कि मुसलमानों को समाज से बाहर करने की साजिशें चल रही हैं, और इस दौरान धर्मस्थलों को विवादों में फंसाया जा रहा है। इस पर खुद को सेक्युलर बताने वाले नेता चुप हैं, और यह बेहद दुखद है।

राजद ने किया समर्थन

वहीं, आरजेडी ने भी नीतीश कुमार के इफ्तार के बहिष्कार का समर्थन करते हुए कहा कि यह कदम स्वागत योग्य है। आरजेडी ने आरोप लगाया कि नीतीश कुमार ने सीएए, तीन तलाक और अन्य विवादित कानूनों का भी समर्थन किया है, और अब मुसलमानों के नेताओं और बोर्डों को भी चाहिए कि वे अपनी आवाज उठाएं।

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