Best Teachers: कन्याकुमारी से कश्मीर तक दो युवा शिक्षकों का जलवा, आइए मिले इनसे
RK Srivastava Mathematics Guru : कन्याकुमारी से कश्मीर तक हर तरफ है भारत के दो युवा शिक्षकों का जलवा। आज आपको शिक्षक अलख पांडे और आरके श्रीवास्तव की प्रेरणादायक कहानी सुनाते हैं।
RK Srivastava Mathematics Guru : कन्याकुमारी से कश्मीर तक हर तरफ है भारत के दो युवा शिक्षकों का जलवा। इनकी मेहनत और लगन से सीखने का जुनून मिलता है कि खुद पर यकीन कर परिश्रम करने पर सफलता एक दिन जरूर मिलती है। आज आपको शिक्षक अलख पांडे और आरके श्रीवास्तव की प्रेरणादायक कहानी सुनाते हैं। जीं हां ये वहीं अलख पांडे हैं जो इस समय अरबपति हैं और आरके श्रीवास्वतव तो अभी सिर्फ ₹1 गुरु दक्षिणा में पढ़ाकर आर्थिक रुप से गरीब स्टूडेंट्स को बना रहे हैं इंजीनियर।
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के प्रयागराज (Prayagraj) के एक ट्यूशन टीचर अलख पांडेय (Alakh Pandey) के नाम देश के 101वें यूनिकॉर्न के मालिक बनने का गौरव हासिल हुआ है। उनकी कहानी एक प्रेरणा से कम नहीं है। एक 30 साल के युवक ने 777 करोड़ रुपये की कंपनी खड़ी करके हर किसी को चौंका दिया है।
उन्होंने अपने इस प्रदर्शन से संगम नगरी का सितारा बुलंदियों पर पहुंचा दिया है। वर्ष 2017 में एक छोटे से कमरे से कंपनी की शुरुआत करने वाले अलख ने यह बड़ी उपलब्धि हासिल की है। एक समय में अनएकेडमी ने उन्हें चार करोड़ रुपये सालाना पैकेज का ऑफर दिया था, लेकिन उन्होंने इस पैकेज को ठुकरा कर अपनी कंपनी को खड़ी करने पर ध्यान लगाया।
अब बात करते हैं ऑटो रिक्शा वाले से देश के मशहूर शिक्षक बिहार के आर के श्रीवास्तव के बारे में
Talk about RK Srivastava Mathematics Guru
बिहार के एक शिक्षक के पढ़ाने का तरीका दुनियाभर में मशहूर हो रहा है और लोगों की प्रशंसा बटोर रहा है। सोशल मीडिया पर भी अपने शैक्षणिक कार्यशैली के लिए रोहतास जिले के बिक्रमगंज के आरके श्रीवास्तव खूब सुर्खिया इकठ्ठा कर रहे हैं। इनके द्वारा चलाया जा रहा गणित का नाइट क्लासेज अभियान और कबाड़ की जुगाड़ से गणित पढाना पूरे देश मे चर्चा का विषय बना हुआ है। आर के श्रीवास्तव का नाम वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड मे भी दर्ज है। इन्होने बच्चों को गणित की क्रियात्मक शिक्षा देने की एक अनोखी पहल शुरू की है।
ऐसा शिक्षक जिसके शैक्षणिक आंगन से ₹1 में पढ़कर बनते हैं इंजीनियर, हम बात कर रहे हैं बिहार के मैथमेटिक्स गुरु आरके श्रीवास्तव के बारे में।
बिहार में एक कहावत है कि इंसानियत की मिसाल बनो तो मैथमेटिक्स गुरु आरके श्रीवास्तव जैसा, हमेशा समाजहित में कार्य करने वाला एक व्यक्तित्व उभरा और देश ने उसे सहज स्वीकार किया। जिस तरह इतिहास घटता है, रचा नहीं जाता, उसी तरह शिक्षक प्रकृति प्रदत्त प्रसाद होता है, वह बनाया नहीं जाता बल्कि पैदा होता है। प्रकृति की ऐसी ही एक रचना का नाम है रजनीकांत श्रीवास्तव उर्फ आरके श्रीवास्तव।
बिहार देश भर में अनूठे एकेडमिक्स के लिए आज भी चर्चित है। आरके श्रीवास्तव के पढ़ाने के तरीके ने ऐसी लकीर खींच दी है कि पूरी दुनिया उनके शैक्षणिक कार्यशैली के लिए सलाम करती है। हां जिनके बारे में शायद ही कोई होगा जिन्हें जानकारी नहीं होगा। सिर्फ ₹1 गुरु दक्षिणा प्रोग्राम के तहत सैकड़ों निर्धन स्टूडेंट्स को ₹1 में पढ़ाकर इंजीनियर बना चुके आर के श्रीवास्तव का नाम वर्तमान के विश्व के चर्चित शिक्षकों में शुमार है। जिन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन का सूत्रपात किया है। देश विदेश के प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं और अखबारों में इनके शैक्षणिक कार्यशैली की चर्चा होते रहता है।
गूगल ब्वॉय कौटिल्य पंडित हैं इनके शिष्य
Google Boy Kautilya Pandit is his disciple
हमने सोचा भी नहीं था कि एकदिन गांव की दहलीज से निकलकर कोई देश-दुनिया के लिए खुद एक संदेश बन जाएगा। लेकिन ऐसा अक्सर देखा जाता है कि जो अभाव में रहते हैं वही दुनिया के मानचित्र पर अपनी विद्वता के बूते कृति खींचने में कामयाब साबित होते हैं। ऐसे ही एक आम लड़के या यों कहें ऑटो चालक से गणितज्ञ बनने का सफर तय किया जो आगे चलकर एक इतिहास पुरुष बन जाएंगे ये किसे पता था। पर, ऐसा ही हुआ युवा गणितज्ञ आर के श्रीवास्तव के साथ। कल तक जो गांव की पगडंडियों तक सिमटे हुए थे वो एकदिन दुनिया के मानचित्र पर छा जाएंगे ये किसी को पता नहीं था।
हम बात कर रहे हैं बिहार के रोहतास जिले के बिक्रमगंज के रहने वाले आर के श्रीवास्तव की, जो खुद मुफलिसी में जिंदगी को गुजारते हुए गरीब और असहाय स्टूडेंट्स को 1 रूपया गुरु दक्षिणा लेकर इंजीनियर बना रहे हैं। आर के श्रीवास्तव अबतक 540 स्टूडेंट्स को बना चुके है इंजीनियर और यह कारवां निरंतर जारी है।
जिंदगी के कई पहलुओं को बहुत करीब से आरके श्रीवास्तव को देखने का मौका मिला है। इन्होंने अपने जीवन में काफी उतार-चढ़ाव देखे हैं। मगर किसी भी परिस्थिति से हार नहीं मानी और अपने लक्ष्य पर चलते हुए एक दिन अपने मुकाम को पाने में कामयाब हुए। राष्ट्रपति से सम्मानित हो चुके मैथमेटिक्स गुरु आरके श्रीवास्तव ने अपने घर को चलाने के लिए ऑटो रिक्शा तक चलाया।
दरअसल इनके घर की माली हालत बहुत बूरी थी। बाल्यावस्था में ही इनके पिता का निधन हो गया। बड़े भाई ने घर की जिम्मेदारी संभाल ली, तब आरके बहुत छोटे थे। जब बड़े हुए तो पढ़ाई करना और बड़े भाई जब थक हारकर आते थे तो आरके ऑटो लेकर सड़कों पर कमाने निकल जाते थे। घर कि स्थिति में थोड़ी सुधार होने लगी। मगर आरके ने अपनी पढ़ाई के आगे कभी हार नहीं मानी। जिस क्लास में पढ़ते थे उसी क्लास के लड़कों को मैथेमैटिक्स पढ़ाने लगे। जब आमदनी होने लगी तो परिवार चलाने में सपोर्टिव साबित हुई।
मगर क्या बताउं होनी को कुछ और ही मंजूर था। जब घर की जिम्मेदारी पटरी पर लौटने लगी तो आरके श्रीवास्तव के बड़े भाई का असमय निधन हो गया। घर पर विपत्ति का पहाड़ टूट गया। सारी उम्मीदों पर पल में पानी फिर गया। बिखरते परिवार पर जब नजर पड़ी आरके की तो उन्होंने हिम्मत बांधते हुए घर की पूरी जिम्मेदारी अपने कंधों पर लेकर आगे निकल पड़े। इस बूरे दौर में उनकी पढ़ाई ही इनके लिए वरदान साबित हुई।