Bihar Politics: ऊहापोह में फंसे हुए हैं चिराग, राजद से गठबंधन पर नहीं खोले पत्ते
तेजस्वी यादव की ओर से साथ आने का ऑफर दिए जाने और फिर राजद की ओर से रामविलास पासवान की जयंती मनाने की घोषणा के बाद अब चिराग ने पहली बार मुंह खोलते हुए तेजस्वी को अपना छोटा भाई बताया है।
Bihar Politics: लोक जनशक्ति पार्टी के दो गुटों में बंट जाने के बाद चिराग पासवान ऊहापोह की स्थिति में दिख रहे हैं। एक ओर चाचा पशुपति कुमार पारस की ओर की गई बगावत ने उन्हें चोट पहुंचाई है तो दूसरी ओर इस पूरे प्रकरण पर भाजपा की चुप्पी ने उन्हें बेहाल कर रखा है।
वे बार-बार पीएम मोदी को राम बताते हुए मुश्किल समय में हनुमान की तरह साथ देने की याद दिला रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने राजद नेता तेजस्वी यादव की ओर से साथ आने के ऑफर पर पहली बार टिप्पणी करते हुए तेजस्वी को अपना छोटा भाई बताया है। हालांकि उन्होंने राजद के साथ गठबंधन को लेकर अभी अपने पत्ते नहीं खोले है।
आशीर्वाद यात्रा की तैयारी
सियासी जानकारों का मानना है कि चिराग पासवान अपने सियासी भविष्य को लेकर कोई भी फैसला हड़बड़ी में नहीं लेना चाहते। यही कारण है कि वे फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं। फिलहाल वे रामविलास पासवान की जयंती पर 5 जुलाई को निकाली जाने वाली अपने आशीर्वाद यात्रा की तैयारियों में जुटे हैं। इस यात्रा के जरिए ताकत दिखाकर वे फिलहाल लोजपा पर अपनी पकड़ फिर कायम करना चाहते हैं।
तेजस्वी को बताया छोटा भाई
लोजपा में हुई टूट का बिहार की सियासत में बड़ा असर तय माना जा रहा है। चाचा पशुपति पारस की ओर से पांच सांसदों को तोड़ लिए जाने के बाद चिराग पासवान पूरी तरह अलग-थलग पड़ चुके हैं और यही कारण है कि राजद ने भी अब चिराग पर डोरे डालने शुरू कर दिए हैं।
तेजस्वी यादव की ओर से साथ आने का ऑफर दिए जाने और फिर राजद की ओर से रामविलास पासवान की जयंती मनाने की घोषणा के बाद अब चिराग ने पहली बार मुंह खोलते हुए तेजस्वी को अपना छोटा भाई बताया है।
पिता और लालू के करीबी रिश्तों को किया याद
चिराग ने कहा कि मैं और तेजस्वी बचपन से ही एक-दूसरे को जानते रहे हैं और हम लोग का काफी अच्छे दोस्त रहे हैं। उन्होंने अपने पिता रामविलास पासवान और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के करीबी रिश्ते को भी याद किया। उन्होंने कहा कि हमारे पिता और लालू यादव में काफी अच्छे संबंध थे और मैंने इसे गहराई से महसूस किया है। हालांकि उन्होंने राजद को लेकर तत्काल अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है। उनका कहना है कि राजद के साथ गठबंधन को लेकर चुनाव आने पर फैसला किया जाएगा।
मुश्किल दिनों में भाजपा का दिया साथ
चिराग ने मुश्किल समय में भाजपा का साथ दिए जाने के बात भी याद दिलाई है। उन्होंने कहा कि सीएए और एनआरसी समेत हर मुद्दे पर मैं खुलकर पूरी तरह भाजपा के साथ खड़ा रहा हूं जबकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भाजपा की ओर से उठाए गए कदमों को लेकर असहमत थे।
उन्होंने कहा कि अब यह फैसला भाजपा को करना है कि आने वाले दिनों में भाजपा मेरा समर्थन करेगी या नीतीश कुमार का साथ देगी। पासवान ने भाजपा को याद दिलाया कि मैंने हर मुश्किल समय में हनुमान की तरह अपने राम यानी पीएम मोदी का साथ दिया है और अब मुझे पूरी उम्मीद है कि जब हनुमान को मुश्किल समय का सामना करना पड़ रहा है तो राम भी खामोशी से चुप नहीं बैठेंगे।
स्पीकर के फैसले को बताया गलत
चिराग ने लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला की ओर से पशुपति पारस को लोजपा संसदीय दल के नेता की मान्यता दिए जाने के कदम को गलत बताया। उन्होंने कहा कि मैंने स्पीकर से मिलकर अपनी बात रखी हैं। उन्होंने कहा कि मैंने स्पीकर से यह भी कहा है कि उन्हें पारस को मान्यता देने के फैसले से पहले मुझसे भी चर्चा जरूर करनी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि संसद की नियम पुस्तिका में भी यह बात स्पष्ट तौर पर लिखी गई है कि संसदीय दल के नेता को पार्टी की ओर से तय किया जाएगा।
लोजपा में टूट के मुद्दे पर चिराग ने इशारों में भाजपा की भी घेरेबंदी की। उन्होंने कहा कि भाजपा का बहुत बड़ा नेटवर्क है। इस बात को मानना काफी मुश्किल है कि भाजपा को लोजपा में की गई टूट के बारे में पहले से कोई जानकारी नहीं थी।
तेजस्वी के आमंत्रण पर चिराग का जवाब
दरअसल, तेजस्वी पर चिराग की ओर से की गई टिप्पणी को इसलिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि तेजस्वी ने हाल में ही चिराग को साथ आने का आमंत्रण दिया था। इसके बाद एक कदम और आगे बढ़ते हुए राजद ने रामविलास पासवान के जन्मदिन यानी 5 जुलाई को उनकी जयंती मनाने का भी फैसला किया है।
मजे की बात यह है कि इसी दिन राजद का स्थापना दिवस भी है मगर स्थापना दिवस के कार्यक्रम से पहले रामविलास पासवान को भी राजद की ओर से याद किया जाएगा। इसे राजद नेता तेजस्वी यादव का बड़ा सियासी दांव माना जा रहा है। जानकारों का कहना है कि तेजस्वी यादव चिराग को अपने साथ लेकर बिहार के दलित मतदाताओं पर एक बार फिर अच्छी पकड़ बनाना चाहते हैं।
नीतीश की नाराजगी से भाजपा की चुप्पी
बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान तेजस्वी की अगुवाई में लोजपा को ज्यादा कामयाबी नहीं मिल पाई थी। पार्टी ने सिर्फ एक विधानसभा सीट पर जीत हासिल की थी और पार्टी के एकमात्र विधायक ने भी बाद में जदयू का दामन थाम लिया। नीतीश पर हमलावर रुख अपनाने वाले चिराग ने खास तौर पर नीतीश को नुकसान पहुंचाने के लिए जदयू कोटे की सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए थे।
बाद में जदयू की ओर से चिराग पासवान को घेरते हुए कहा गया था कि उनकी वजह से जदयू को तीन दर्जन सीटों पर नुकसान उठाना पड़ा। इन सभी सीटों पर कांटे का मुकाबला हुआ था जिसमें आखिरकार जदयू प्रत्याशियों की हार हो गई। माना जा रहा है कि नीतीश कुमार चिराग के इस कदम से काफी नाराज है और नीतीश की नाराजगी को देखते हुए ही इस पूरे प्रकरण में भाजपा ने चुप्पी साध रखी है।