Bihar Politics: लोजपा में जंग और तीखी: चाचा को अध्यक्ष मानने से भतीजे का इनकार,अब सुप्रीम कोर्ट में होगी लड़ाई

चिराग पासवान ने पार्टी अध्यक्ष के रूप में पारस के चयन को खारिज करते हुए पटना की बैठक को पूरी तरह असंवैधानिक बताया है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Published By :  Shashi kant gautam
Update: 2021-06-18 07:12 GMT

चाचा को अध्यक्ष मानने से भतीजे का इनकार: डिजाईन फोटो- सोशल मीडिया 

Bihar Politics: लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) में वर्चस्व को लेकर चाचा पशुपति कुमार पारस और भतीजे चिराग पासवान में शुरू हुई जंग और तीखी हो गई है। चिराग पासवान के खिलाफ बगावत करने वाले पांच सांसदों के गुट ने पटना में बैठक करके पारस को पार्टी का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिया है। दूसरी ओर चिराग पासवान ने पार्टी अध्यक्ष के रूप में पारस के चयन को खारिज करते हुए पटना की बैठक को पूरी तरह असंवैधानिक बताया है।

चिराग ने आरोप लगाया कि पटना में हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में सदस्यों की न्यूनतम उपस्थिति भी नहीं थी। ऐसे में पशुपति पारस को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष कैसे बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि निलंबित सदस्यों की ओर से पशुपति पारस को अध्यक्ष चुना जाना पूरी तरह अवैध है और जरूरत पड़ने पर मैं इस मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट भी जाऊंगा।

पशुपति पारस चुने गए पार्टी के नए अध्यक्ष

पटना में गुरुवार को पूर्व सांसद सूरजभान सिंह के आवास पर हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पशुपति कुमार पारस को लोजपा का नया अध्यक्ष चुना गया। अध्यक्ष पद के लिए सिर्फ पशुपति पारस ने ही नामांकन दाखिल किया था। दोपहर तीन बजे तक किसी अन्य का नामांकन न होने के बाद पशुपति पारस को पार्टी करने अध्यक्ष घोषित कर दिया गया।

पशुपति पारस को इससे पहले पार्टी के संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष चुना गया था और फिर गुरुवार को उन्हें पार्टी का नया अध्यक्ष भी चुन लिया गया। बैठक में पार्टी के चार सांसदों के अलावा राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्यों ने भी हिस्सा लिया। बैठक में पशुपति पारस के अलावा सांसद चंदन सिंह, वीणा देवी और महबूब अली कैसर भी मौजूद थे। पारस गुट में शामिल एक और सांसद प्रिंस राज बैठक में मौजूद नहीं थे।

भतीजा तानाशाह हो जाए तो चाचा क्या करेगा

बाद में मीडिया से बातचीत में पशुपति पारस ने चिराग पासवान पर निशाना साधते हुए कहा कि जब भतीजा तानाशाह हो जाएगा तो चाचा क्या करेगा। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में यह बात सही नहीं है कि एक व्यक्ति ही आजीवन राष्ट्रीय अध्यक्ष बना रहे। हमारी पार्टी के संविधान में प्रत्येक दो-तीन वर्ष में अध्यक्ष का चुनाव किया जाना तय किया गया है।

उन्होंने कहा कि पार्टी कार्यकर्ताओं को पूरी तरह आश्वस्त रहना चाहिए कि पार्टी के भीतर कोई मतभेद नहीं है। अगर कोई विरोध होता तो मुझे निर्विरोध पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं चुना गया होता। उन्होंने पार्टी छोड़कर जाने वाले नेताओं से पार्टी में वापस आने की अपील भी की।

पशुपति कुमार पारस: फोटो- सोशलमीडिया 

चिराग ने बैठक को पूरी तरह अवैध बताया

दूसरी और चिराग पासवान ने पशुपति पारस को पार्टी का अध्यक्ष मानने से इनकार कर दिया है। उनका कहना है कि पटना में आयोजित बैठक पूरी तरह असंवैधानिक थी क्योंकि इसमें कार्यकारिणी के सदस्यों का कोरम पूरा नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की ओर से किया जाता है जिसमें लगभग 75 सदस्य शामिल होते हैं। पटना में गुरुवार को हुई बैठक में सिर्फ 9 सदस्य मौजूद थे। ऐसे में यह बैठक पूरी तरह अवैध है।

चिराग ने कहा कि पार्टी के प्रदेश अध्यक्षों की ओर से सौपे गए हलफनामे में मेरे नेतृत्व पर पूरी तरह भरोसा जताया गया है। मैंने इस बाबत चुनाव आयोग को भी सूचना दे दी है कि पार्टी छोड़ने वाले पांच सांसद अब लोजपा के नहीं बल्कि निर्दलीय सांसद हैं। हाल में लोकसभा के स्पीकर ओम बिरला को लिखी गई चिट्ठी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है की स्पीकर इस मामले में उचित फैसला लेंगे।

स्पीकर से फैसले पर पुनर्विचार का अनुरोध

चिराग ने कहा कि मेरे पिता रामविलास पासवान ने बड़ी मेहनत के साथ लोजपा को खड़ा किया है और मैं कुछ लोगों को इस तरह पार्टी तोड़ने की इजाजत नहीं दे सकता। जरूरत पड़ी तो मैं इस मामले को सुप्रीम कोर्ट भी ले जाऊंगा। उन्होंने कहा कि मैंने इस मुद्दे पर लंबी लड़ाई लड़ने का मन बना लिया है। मैं शेर का बेटा हूं और कोई मुझे डरा नहीं सकता।

चिराग ने लोकसभा के स्पीकर ओम बिरला से अनुरोध किया कि वे पारस को सदन में पार्टी के नेता के रूप में मान्यता देने के फैसले पर फिर से विचार करें। उन्होंने कहा कि पारस गुट की ओर से पार्टी के संविधान के खिलाफ कदम उठाया गया है और लोकसभा के स्पीकर को इस मामले में गौर फरमाना चाहिए।

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