Bihar: बिहार में जातिगत जनगणना पर सीएम नीतीश का प्लान, हिंदुओं सहित मुस्लिम जातियों की भी होगी गिनती

Bihar: बिहार सरकार द्वारा राज्य में जातिगत जनगणना कराने के प्रस्ताव पर अंतिम मुहर लगने के बाद सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने इस दिशा में तैयारी शुरू कर दी है।

Report :  Rajat Verma
Update: 2022-06-02 11:42 GMT

बिहार सीएम नीतीश कुमार: Photo - Social Media

Lucknow: बिहार सरकार (Bihar Government) द्वारा राज्य में जातिगत जनगणना (caste census) कराने के प्रस्ताव पर अंतिम मुहर लगने के बाद सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने इस दिशा में तैयारी शुरू कर दी है। बीते दिन सीएम नीतीश कुमार की अगुवाई में आयोजित हुई विधानसभा की सर्वदलीय बैठक में इस ओर अंतिम फैसला ले लिया गया है। जैसा कि आप जानते हैं मुस्लिम सम्प्रदाय (Muslim community) में भी भिन्न-भिन्न जातियां मौजूद होती हैं, इसलिए सीएम नीतीश ने भी हिंदुओं के साथ-साथ जातिगत जनगणना के तहत मुस्लिम जातियों की गिनती करने को लेकर बात कही है।

सीएम नीतीश कुमार द्वारा अब बेहद ही प्लानिंग के तहत इस कार्य के क्रियान्वयन की योजना तैयार की जा रही है, जिसके मद्देनज़र सीएम नीतीश ने हालिया तौर पर यह ज़ाहिर किया है कि बिहार में जातिगत जनगणना के अनुरूप सिर्फ हिंदुओं की ही नहीं बल्कि मुस्लिम जातियों की भी आधिकरिक रूप से गिनती की जाएगी। इस कार्य को ज़ल्द ही शुरू किया जाएगा जिससे एक निर्धारित समय अवधि के भीतर ही जातिगत जनगणना का काम पूरा किया जा सके।

सदन से प्रस्ताव पारित होने की मंज़ूरी शेष

बुधवार को सर्वदलीय बैठक में बिहार में जातिगत जनगणना को लेकर अंतिम मुहर लगने के बाद अब महज कैबिनेट से संबंधित प्रस्ताव का पारित होना शेष है। जैसा कि बीते दिन सभी दलों के नेता ने इस ओर अपनी सहमति ज़ाहिर कर दी है, ऐसे में इस प्रस्ताव के सर्वसम्मति से पारित होने को लेकर कोई भी दुविधा नजर नहीं आ रही है। हालांकि, आधिकरिक तौर पर कैबिनेट की आगामी बैठक में इस प्रस्ताव को पास किया जाएगा।

कुल इन तीन भाग में विभाजित हैं मुस्लिम जातियां

मुस्लिम सम्प्रदाय में जातियों को 3 अहम रूप से विभाजित किया गया है, जैसा कि हिन्दू सम्प्रदाय में भी है। हिन्दू संप्रदाय में जहां तीन जातियां सामान्य, पिछड़ा और दलित के रूप में विभाजित हैं वैसे मुस्लिमों में सामान्य वर्ग को अशराफ, पिछड़ा वर्ग को पसमांदा और दलित वर्ग को अरजाल कहा जाता है। इसी के अनुरूप बिहार में पिछड़े वर्ग यानी पसमांदा की कुल 31 जातियों को मिलाकर समूचे राज्य में मुस्लिमों की कुल 50 से अधिक जातियां मौजूद हैं।

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