Bihar Politics: मांझी की दबाव बनाने की रणनीति हुई फेल, नीतीश ने दे दिया बड़ा झटका, अब BJP से हाथ मिलाने का ही विकल्प

Bihar Politics: बिहार की सियासत में पिछले 43 वर्ष से सत्ता और सरकार की सियासत करने वाले मांझी को उम्मीद थी कि उनके बेटे के इस्तीफे के बाद उन्हें मनाने का दौर चलेगा मगर उनकी रणनीति धरी की धरी रह गई।

Update: 2023-06-14 09:27 GMT
जीतन राम मांझी (photo: social media )

Bihar Politics: हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के मुखिया और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के बेटे संतोष सुमन के नीतीश कैबिनेट से इस्तीफे के बाद बिहार में एक बार फिर सियासी हलचलें तेज होती दिख रही हैं। वैसे अपने बेटे से इस्तीफा दिलवाने के मामले में मांझी गच्चा खा गए हैं। इस कदम के जरिए मांझी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर दबाव बनाना चाहते थे मगर नीतीश ने तुरंत उनका इस्तीफा स्वीकार करके मांझी को बड़ा झटका दे दिया है।

बिहार की सियासत में पिछले 43 वर्ष से सत्ता और सरकार की सियासत करने वाले मांझी को उम्मीद थी कि उनके बेटे के इस्तीफे के बाद उन्हें मनाने का दौर चलेगा मगर उनकी रणनीति धरी की धरी रह गई। उल्टा जदयू और राजद की तीखी प्रतिक्रिया से साफ हो गया है कि अब मांझी के लिए महागठबंधन में भी टिके रहना काफी मुश्किल होगा। अब उनके सामने भाजपा से हाथ मिलाने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं दिख रहा है।

मांझी नीतीश से इसलिए नाराज

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से तनातनी के बावजूद मांझी हाल के दिनों में नीतीश की खुलकर तारीफ करते रहे हैं। उन्होंने हाल में यहां तक कहा था कि वे अब आगे की सियासत में नीतीश कुमार को छोड़कर कहीं नहीं जाने वाले हैं। वैसे सियासी जानकारों का मानना है कि मांझी दोहरा खेल खेलने में जुटे हुए थे क्योंकि वह भीतर ही भीतर नीतीश नीतीश कुमार से नाराज बताए जा रहे हैं।

पटना में विपक्षी दलों कि 23 जून को बड़ी बैठक होने वाली है। इस बैठक में देश भर से विपक्ष के बड़े नेताओं की जुटान होने वाली है मगर नीतीश कुमार ने मांझी को इस बैठक का न्योता नहीं दिया।

जानकारों के मुताबिक मांझी नीतीश कुमार के इस कदम से भीतर ही भीतर तिलमिलाए हुए थे। उन्हें उम्मीद थी कि इस मौके पर इस्तीफे से महागठबंधन में खलबली मच जाएगी मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ। मुख्यमंत्री की ओर से उनके बेटे का इस्तीफा तत्काल स्वीकार कर लिया गया और नीतीश का यह कदम मांझी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।

महागठबंधन में अब कोई भविष्य नहीं

नीतीश कैबिनेट से इस्तीफे के बाद उनके बेटे संतोष सुमन ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार हमारी पार्टी हम का जदयू में विलय करने के लिए दबाव बना रहे थे। उन्होंने कहा कि हम अपनी पार्टी का स्वतंत्र अस्तित्व बनाए रखना चाहते हैं और हमें यह मंजूर नहीं था। इस कारण मैंने नीतीश कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया है।

नीतीश कैबिनेट में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग संभालने वाले संतोष सुमन ने कहा कि हम अकेले संघर्ष करने के लिए तैयार हैं। वैसे इस्तीफा देने के बाद संतोष सुमन ने यह भी कहा कि हम अभी भी गठबंधन महागठबंधन का हिस्सा हैं मगर यह सबको पता है कि महागठबंधन में अब मांझी के लिए कोई भविष्य नहीं रह गया है। मांझी के बेटे के इस्तीफे के बाद जदयू और राजद की ओर से जताई गई प्रतिक्रिया से भी यह बात पूरी तरह साफ हो गई है।

जदयू ने मांझी की पार्टी को छोटी दुकान बताया

जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने संतोष मांझी के इस्तीफे के बाद कहा कि उनके इस्तीफे को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्वीकार कर लिया है। त्यागपत्र में कहा गया है कि निजी कारणों से अब हम आगे साथ चलने में असमर्थ हैं। ऐसे में अब हम लोगों का मानना है कि उन्होंने महागठबंधन छोड़ दिया है। उन्होंने कहा कि अब संतोष मांझी की जगह किसे मंत्री बनाया जाएगा, यह मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है।

मांझी की पार्टी के जदयू में विलय के लिए दबाव बनाने के मुद्दे पर ललन सिंह ने कहा कि अलग-अलग छोटी-छोटी दुकान चलाने से क्या फायदा? अगर उनसे विलय के लिए कहा गया तो इसमें बुराई क्या है। जीतन राम मांझी के अगले सियासी कदम के संबंध में उन्होंने कहा कि यह बात वही बता सकते हैं कि उनकी किससे बातचीत हो रही है।

तेजस्वी यादव की भी तीखी प्रतिक्रिया

राजद नेता और बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हमेशा जीतन राम मांझी को आगे बढ़ाने का काम किया। यहां तक कि उन्हें बिहार का मुख्यमंत्री तक बनाया। जब हम लोगों के साथ थे तो अपने कोटे से उनके बेटे संतोष मांझी को एमएलसी बनाया। बाद में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने संतोष मांझी को मंत्री बनाया। ऐसे में यह बात कैसे कही जा सकती है कि उन्हें सम्मान नहीं दिया गया। अब उनकी आगे क्या रणनीति होगी, इस संबंध में वे ही बेहतर बता सकते हैं।

भाजपा से हाथ मिलाने का ही विकल्प

नीतीश कुमार से झटका खाने के बाद अब जीतन राम मांझी के पास भाजपा से हाथ मिलाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। मांझी ने पिछले दिनों दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। इस मुलाकात के बाद उनके पाला बदलने के कयास भी लगाए गए थे। हालांकि मांझी ने इस संबंध में लगाए जा रहे कयासों को खारिज कर दिया था। अब मौजूदा सियासी हालात में मांझी के सामने सिर्फ भाजपा से हाथ मिलाने का विकल्प ही बचा है। मांझी को यह बात बखूबी पता है कि अकेले दम पर चुनाव लड़कर वे कोई गुल नहीं खिला सकते।

अब मोलभाव करने की भी स्थिति नहीं

वैसे नीतीश कुमार के झटका खाने के बाद मांझी अब मोलतोल की स्थिति में भी नहीं दिख रहे हैं। पिछले दिनों मांझी ने कहा था कि उनकी पार्टी सभी लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है और कम से कम 5 लोकसभा सीटों पर तो उनका हक जरूर बनता है। अगर सम्मानजनक सीटें नहीं मिलेगी तो आगे की रणनीति पर विचार किया जाएगा।

वैसे मौजूदा सियासी हालात को देखते हुए यह तय है कि मांझी अपनी शर्तों को लेकर अब दबाव बनाने की स्थिति में नहीं दिख रहे हैं। अब यह देखने वाली बात होगी कि भाजपा की ओर से उनको कितना महत्व दिया जाता है। वैसे इतना तय है कि भाजपा की ओर से भी पांच लोकसभा सीटों की उनकी उम्मीद कभी पूरी नहीं होने वाली है। अब वे ऐसी स्थिति में दिख रहे हैं कि उन्हें जो कुछ भी मिल जाए,उसे उन्हें सम्मान के साथ कबूल करना होगा।।

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