शिक्षक दिवस: ऐसे गुरु को शत्-शत् नमन, जो गरीब छात्रों को दे रहे पंख, जानें...
आरके श्रीवास्तव ने अपने गांव के असहाय निर्धन सैकड़ों स्टूडेंट्स को निशुल्क शिक्षा देकर आईआईटी, एनआईटी , बीसीईसीई में सफलता दिलाया है।
पटना: श्री आरके श्रीवास्तव का पूरा नाम रजनी कांत श्रीवास्तव जो बिहार के जाने-माने शिक्षक एवं विद्वान हैं। मैथमेटिक्स गुरु के नाम से मशहूर आरके श्रीवास्तव का जन्म बिहार राज्य के रोहतास जिले के बिक्रमगंज गांव में हुआ। अपने शुरुआती क्लासेज आरके श्रीवास्तव ने अपने गांव बिक्रमगंज से शुरू किया। आरके श्रीवास्तव ने अपने गांव के असहाय निर्धन सैकड़ों स्टूडेंट्स को निशुल्क शिक्षा देकर आईआईटी, एनआईटी , बीसीईसीई में सफलता दिलाया है।
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आर्थिक रूप से गरीबों की नहीं रुकेगी पढ़ाई अभियान
आज ये सैकड़ो निर्धन स्टूडेंट्स अपने गरीबी को काफी पीछे छोड़ अपने सपने को पंख दे रहे। आरके श्रीवास्तव के द्वारा "आर्थिक रूप से गरीबों की नहीं रुकेगी पढ़ाई अभियान" भी चलाया जाता है। इस अभियान के तहत आर्थिक रूप से गरीब स्टूडेंट्स को निःशुल्क शिक्षा के अलावा शिक्षा संबधी सारी सुविधाएं भी उपलब्ध कराया जाता है। सिर्फ 1 रुपया गुरु दक्षिणा लेकर शुरू किया था पढ़ाना। प्रत्येक साल 1 रुपया अधिक लेते है गुरु दक्षिणा। इसके अलावा प्रत्येक साल 50 गरीब स्टूडेंट्स को आरके श्रीवास्तव अपनी मां के हाथों निःशुल्क किताबे बंटवाते है।
गुरू की अद्वितीय सफलता
वर्तमान में बिहार के आरके श्रीवास्तव को देश के विभिन्न राज्यों के शैक्षणिक संस्थाए गेस्ट फैकल्टी के रूप में बुलाया जाता है। आरके श्रीवास्तव देहरादून,हरियाणा , दिल्ली सहित देश के अन्य प्रतिष्टित संस्थानों में गेस्ट फैकल्टी के रूप में पढाकर उससे होने वाली आमदनी से ही बिहार के गरीब स्टूडेंट्स को निःशुल्क शिक्षा देते है । वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर मैथमेटिक्स गुरु फेम आरके श्रीवास्तव की प्रसिद्धि उनके जादुई तरीके से गणित पढ़ाने एवं सैकड़ों गरीब स्टूडेंट्स को निःशुल्क शिक्षा देकर इंजीनियर बनाने की अद्वितीय सफलता है। आरके श्रीवास्तव के शैक्षणिक कार्यशैली के खबरे बिहार सहित देश के सारे प्रतिष्टित अखबारों, न्यूज़ पोर्टल, पत्र- पत्रिकाओं में स्थान पा चुके है।
कभी न हारने का संघर्ष
खुद आरके श्रीवास्तव का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था । उनके पिता एक किसान थे, पिता के गुजरने के बाद आरके श्रीवास्तव की माँ ने इन्हें गरीबी झेलते हुए पाला पोषा। गणित में अपनी गहरी रुचि विकसित की। जब आरके श्रीवास्तव बड़े हुए तो पिता की फर्ज निभाने वाले एकलौते बड़े भाई शिवकुमार श्रीवास्तव भी इस दुनिया को छोड़ चल बसे। अपने जीवन के उतार चढ़ाव से आगे निकलते गए। आज पूरा देश आरके श्रीवास्तव के संघर्ष की मिसाल देता है।
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शिक्षा स्तर का गिरावट
आमतौर पर शिक्षा स्तर का गिरावट का सबसे बड़ा खामियाजा इंजीनियरिंग और मेडिकल जैसे तकनीकी विषयों की पढ़ाई करने वाले छात्र- छात्राओं को भुगतना पड़ा है। जिन्हें कोचिंग के लिए लाखों रुपये देने पड़ रहे है। पिछले कई वर्षो से आरके श्रीवास्तव ने शिविर लगाकर इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहे हजारों गरीब स्टूडेंट्स को नाईट क्लासेज प्रारूप के माध्यम से पूरे रात लगातार 12 घण्टे तक गणित के सवाल हल करने की नई -नई तकनीकों और बारीकियों से करते है।
60% से अधिक छात्र-छात्राएं
इस शिविर में पढ़ाई करने वाले में से प्रत्येक साल 60% से अधिक छात्र-छात्राएं आईआईटी, एनआईटी, बीसीईसीई ,एनडीए सहित तकनीकी प्रवेश परीक्षाओं में सफल होते है। छात्रों के इस नाईट क्लासेज शिविर की ओर आकर्षित होने के चलते हजारो स्टूडेंट्स के रोल मॉडल बन चुके है।
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कई सम्मान
आरके श्रीवास्तव का नाम वर्ल्ड बुक ऑफ ऑफ़ रिकॉर्डस लंदन , इंडिया बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स, गोल्डेन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज हो चुका है । रास्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी कर चुके हैं बिहार के आरके श्रीवास्तव के शैक्षणिक कार्यशैली कार्यशैली की प्रशंसा की थी।
शत् शत् नमन
कहते हैं प्रतिभा किसी परिचय का मोहताज नहीं होती है। बस उसे जरुरत है वक्त रहते फलक पर उतारने की ।आर के श्रीवास्तव अपनी कामयाबी का मूल मंत्र अपनी लगन और मेहनत को मानते है , वे कहते है कि कड़ी मेहनत ,उच्ची सोच, पक्का इरादा के बल पर आप सभी अपने लक्ष्य को पा सकते है। शिक्षक दिवस पर ऐसे गुरु को शत्-शत् नमन जिन्होंने अपने अधूरे सपनों को दूसरों मे देखा और आज उनके सपनों को हजारों लोग पंख दे रहे है।