Nitish Kumar : केंद्र से लौट 22 साल से राज्य की राजनीति कर रहे नीतीश, यूं बनते-बिगड़ते रहे राजनीतिक रिश्ते

Nitish Kumar ने वर्ष 2005 से अब तक यानी 17 सालों में सिर्फ 6 महीने के लिए जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री की कुर्सी दी। बाकी समय में खुद इस पर रहे। इस दौरान 07 बार सीएम की शपथ ली।

Newstrack :  Network
Update:2022-08-10 17:05 IST

CM Nitish Kumar

Nitish Kumar Political Career : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने छात्र राजनीति की। फिर जयप्रकाश नारायण (जेपी) के साथ छात्र आंदोलन में रहे। इसके बाद समय बदला तो सीधे केंद्र की राजनीति में पहुंच गए। इस सदी के 22 साल से राज्य की राजनीति कर रहे बिहार के फिर मुख्यमंत्री बने इंजीनियर नीतीश कुमार के नाम एक और रिकॉर्ड है। वर्ष 2005 से अब तक 17 साल में सिर्फ 6 महीने के लिए जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री की कुर्सी दी। बाकी समय में खुद इस पर रहे। इस दौरान 07 बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।

ऐसे शुरू हुआ नीतीश का राजनीतिक सफर

नीतीश उर्फ मुन्ना का जन्म 1 मार्च 1951 को हुआ था। नालंदा निवासी कांग्रेसी नेता के पुत्र नीतीश कुमार ने बिहार कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से बी.टेक. कर बिजली विभाग में नौकरी शुरू की। लेकिन, राजनीति का बीज छात्र जीवन में ही अंकुरित होने लगा था। इसलिए, नौकरी छोड़कर पूरी तरह छात्र आंदोलन में कूद पड़े। जेपी के करीब रहे। डेढ़ साल जेल में भी रहे। 1985 में पहली बार विधायक बने। फिर युवा लोकदल और जनता पार्टी के अंदर महत्वपूर्ण पदों पर रहे।

समता पार्टी का गठन

साल 1994 में लालू प्रसाद यादव से अलगाव हुआ और जनता दल से बाहर निकल जॉर्ज फर्नांडिस के साथ समता पार्टी का गठन किया। 1996 में यहीं से राष्ट्रीय राजनीति की शुरुआत राष्ट्रीय दल भाजपा के साथ की। 1998 से 2004 तक अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार में रेलवे, कृषि और परिवहन जैसे अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाली। इसके बाद बिहार की जरूरत समझते हुए राज्य की राजनीति में लौटे। मार्च 2000 में एनडीए की सरकार में मुख्यमंत्री बने। हालांकि, भाजपा के नेतृत्व वाली यह सरकार 7 दिनों में बहुमत साबित नहीं कर पाने के कारण गिर गई। उधर, जनता दल से निकल लालू प्रसाद ने राष्ट्रीय जनता दल बना लिया था। पुराने साथी शरद यादव के नेतृत्व वाले जनता दल को साथ मिला लिया। इस मिलन से बने जनता दल (यू) का भी नेतृत्व नीतीश कुमार के पास ही रहा।

NDA से दोस्ती कायम

इसके साथ ही भाजपा से नीतीश की दोस्ती भी कायम रही। एनडीए ने 2005 और 2010 में भी बिहार में सरकार बनाई। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही रहे। सब ठीक चल रहा था, लेकिन राष्ट्रीय राजनीति में भाजपा के पुराने दिग्गजों के किनारे होने और गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के आगे आने से वह परेशान होने लगे। पानी सिर के ऊपर तब चला गया, जब नरेंद्र मोदी को भाजपा ने प्रधानमंत्री का दावेदार घोषित किया।

राजद-कांग्रेस के साथ बनी सरकार, नहीं चली

वर्ष 2013 में नीतीश अरसे बाद लालू प्रसाद की पार्टी राजद के साथ हुए। तब भी मध्यावधि चुनाव से बचते हुए राजद-कांग्रेस के साथ सरकार बनाकर मुख्यमंत्री बने। यह कार्यकाल लंबा नहीं चला और गतिरोधों के बीच अपने ही राजनीतिक साथी जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बना दिया। छह महीने में यह लगा कि कुछ गड़बड़ हो रहा है, तो उनकी जगह वापस कुर्सी पर आ गए।

2015 में महागठबंधन की प्रचंड जीत

2015 के चुनाव में महागठबंधन की प्रचंड जीत के साथ लालू प्रसाद ने अपनी बात पर कायम रहते हुए उन्हें (नीतीश) मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचाया। यह सरकार 2017 में राजद के भ्रष्टाचार के नाम पर तब गिर गई, जब नीतीश ने खुद जाकर इस्तीफा दे दिया।

सावन का महीना रहा है खास

साल 2017 के सावन महीने में इसी तरह उन्होंने मुख्यमंत्री पद त्यागा और फिर पुराने साथी भाजपा के साथ जाकर मुख्यमंत्री बने। 2020 का विधानसभा चुनाव एक बार फिर एनडीए ने नीतीश कुमार के चेहरे पर लड़ा। इस बार सीट कम आने के बावजूद मुख्यमंत्री पद की शपथ उन्हें ही दिलाई गई। इस बार सावन में वह पुराना साथ छोड़ते हुए अपने शुरुआती साथी लालू प्रसाद की पार्टी राजद के साथ मिलकर सरकार बनाई और मुख्यमंत्री बने।

Tags:    

Similar News