Bihar News: रिक्शेवाला का एप नामी टैक्सी कंपनियों से सस्ता दिला रहा टैक्सी, यूजर 50 हजार के पार
Bihar News: एक रिक्शावाले की दिमाग की उपज इसलिए भी यूनिक है, क्योंकि इसके जरिए ईंधन का भी सही उपयोग हो रहा है।
Bihar News: 'निरहुआ रिक्शावाला' बिहार में यह फिल्म खूब चली थी। अब बिहार में दिलखुश रिक्शावाला का एप चल रहा है। मैट्रिक पास इस बिहारी ने इस एप के जरिए ऐसी टैक्सी सर्विस शुरू की है, जो नामी कंपनियों के मुकाबले कई बार आधे किराए में लोगों को एक शहर से दूसरे शहर पहुंचा रही है। एप का नाम है RodBez और लक्ष्य है सस्ते में सुविधाजनक सफर। एक रिक्शावाले की दिमाग की उपज इसलिए भी यूनिक है, क्योंकि इसके जरिए ईंधन का भी सही उपयोग हो रहा है। इस एप को मिथिलांचल के लोगों ने इस तरह हाथोंहाथ लिया कि देखते ही देखते 50 हजार से ज्यादा लोगों ने इसे अपने मोबाइल में इंस्टॉल कर लिया। इंस्टॉलेशन की आपाधापी ऐसी कि हैवी ट्रैफिक के कारण ओटीपी मिलने में देर से नए यूजर हैरान हो गए।
दिलखुश की सोच हैरान करने वाली है। उसने ठीक उलटा सोचा। ज्यादातर टैक्सी वाले वन-वे ट्रिप चाहते भी हैं और शहर से बाहर जाने वाले लोग भी ज्यादातर ऐसा ही करते हैं। ऐसे में दिलखुश ने वन-वे ट्रिप के बाद खाली लौटती गाड़ियों के ईंधन के सदुपयोग की सोच के साथ इस सर्विस की शुरुआत की। यही कारण है कि इस एप पर बुकिंग तीन घंटे पहले होती है, न कि तुरंत। ज्यादा पहले बुक कर सकते हैं, लेकिन कन्फर्म वैसी टैक्सी की उपलब्धता पर ही होंगे। बिहार के सहरसा, मधेपुरा, सुपौल और आसपास के जिलों में इस एप की लोकप्रियता इन दिनों चरम पर है। मधेपुरा निवासी होम्योपैथ चिकित्सक विजय कुमार कहते हैं कि सुरक्षित, सुलभ और सस्ता सर्विस देने वाली यह टैक्सी सर्विस इसलिए भी अच्छी है, क्योंकि मैट्रिक पास एक बिहारी ने स्टार्टअप के जरिए ईमानदारी का काम कर दिखाया है। एक तरफ इसके जरिए सस्ती सेवा मिल रही तो दूसरी तरफ ईंधन का उपयोग भी होगा।
कोई प्रतियोगी नहीं, इसलिए छोटे शहर से शुरुआत
सहरसा निवासी दिलखुश ने मैट्रिक की पढ़ाई के बाद आर्थिक तंगी के कारण दिल्ली में रिक्शा चलाकर कुछ समय जिंदगी चलाई। फिर पटना आकर टैक्सी चलाने लगे। इसी दौरान ओला और उबर के बारे में जानकारी मिली तो सबकुछ समझने का प्रयास किया। टैक्सी का किराया और बुकिंग प्रक्रिया जानकार दिलखुश के दिमाग में अपने मूल जिले से खुद ही ऐसी सर्विस शुरू करने का ख्याल आया। दिलखुश बताते हैं कि नामी कंपनियों के टैक्सी वाले एप अभी बिहार के ज्यादातर जिलों में नहीं चालू है, इसलिए लगा कि शुरुआत अपने इलाके से की जाए। दोस्त की मदद लेकर दिलखुश ने ऐप बनवाया और सहरसा लौट गए। एक-दो कार से सर्विस की शुरुआत की। लोगों को किराए में करीब 40 से 50 प्रतिशत की बचत होने लगी तो मौखिक प्रचार के जरिए एप को पहचान मिल गई। पहले 30 दिनों के अंदर 35 हजार लोगों ने एप इंस्टॉल किया। अब 50 हजार से ज्यादा लोग इस सर्विस का लाभ ले रहे हैं।
32 हजार गाड़ियां नेटवर्क से जुड़ चुकीं अबतक
फिलहाल बिहार में करीब 3200 गाड़ियों का नेटवर्क है और आने वाले 6 महीने में 20 हजार गाड़ियों का नेटवर्क तैयार करने का टारगेट है। दिलखुश कहते हैं कि हाल के महीनों में डीजल और पेट्रोल की बढ़ती कीमतों का असर हर किसी पर पड़ा है। आंकड़ों से मालूम चला कि 60 फीसद लोग एक सिटी से दूसरे सिटी में एकतरफा जाते हैं। मगर कैब संचालक या फिर ड्राइवर किसी भी कस्टमर से जाने और आने दोनों का पैसा लेता है। ऐसे में दिलखुश ने एक नेटवर्क बनाया और एक ऐसा ऐप विकसित किया जो एकतरफा कैब सुविधा उपलब्ध कराता है।