Nitish Cabinet: आखिरकार कट गया उपेंद्र कुशवाहा का पत्ता, जानें क्यों बड़ा फैसला लेने को मजबूर हुए नीतीश

Nitish Cabinet:कुशवाहा कई मौकों पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को 'पीएम मैटेरियल' बता चुके हैं। उन्हें नीतीश का काफी करीबी माना जाता रहा है। नीतीश ने उन्हें एमएलसी भी बनवाया था।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update: 2022-08-16 08:32 GMT

No place for Upendra Kushwaha in Nitish Cabinet (Image: Social Media)

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Upendra Kushwaha: बिहार (Bihar) में आठवीं बार मुख्यमंत्री का पद संभालने के बाद नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने मंगलवार (16 अगस्त 2022) को अपने मंत्रिमंडल का पहला विस्तार (Nitish Cabinet Expansion) किया। राज्यपाल फागू चौहान (Bihar Governor Fagu Chauhan) ने आज राजभवन में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह 31 विधायकों और एमएलसी को मंत्री पद की शपथ दिलाई।

मंत्रिमंडल में हिस्सेदारी के मामले में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) का दबदबा दिखा। राजद कोटे से 16 नए मंत्रियों को शपथ दिलाई गई है, जबकि जदयू कोटे से 11 मंत्रियों को शामिल किया गया है। कांग्रेस कोटे से दो, हम (HAM) कोटे से एक और एक निर्दलीय को मंत्रिमंडल में जगह मिली है।

नाराज कुशवाहा दिल्ली गए   

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पहले कैबिनेट विस्तार में सबसे उल्लेखनीय बात यह दिखी कि राज्य के कद्दावर नेता उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) को इसमें शामिल नहीं किया गया। मंत्री पद की दौड़ में पहले कुशवाहा का नाम जोर-शोर से चल रहा था। मगर, बाद में उनका नाम नए मंत्रियों की सूची से काट दिया गया। नीतीश कुमार के इस कदम से उपेंद्र कुशवाहा काफी नाराज बताए जा रहे हैं। इसी नाराजगी के चलते वे दिल्ली चले गए हैं। ऐसे में यह जानना दिलचस्प है कि आखिर उपेंद्र कुशवाहा का नाम नए मंत्रियों की सूची से कैसे कट गया।

पहले उछला नाम, फिर कट गया पत्ता

बिहार की सियासी तस्वीर बदलने के बाद इस बात की अटकलें लगाई जा रही थीं, कि नीतीश मंत्रिमंडल (Nitish Cabinet) में उपेंद्र कुशवाहा को जरूर शामिल किया जाएगा। हाल के दिनों में कुशवाहा, नीतीश कुमार के समर्थन में खुलकर बैटिंग करते रहे हैं। उन्होंने पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह (Former Union Minister RCP Singh) के खिलाफ भी मोर्चा खोल रखा था। उन्होंने राज्यसभा का टिकट कटने के बाद आरसीपी से इस्तीफा देने की मांग भी की थी।

नीतीश को 'पीएम मैटेरियल' बताते रहे हैं उपेंद्र 

कुशवाहा कई मौकों पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को 'पीएम मैटेरियल' (Nitish Kumar PM Material) बता चुके हैं। उन्हें नीतीश कुमार का काफी करीबी माना जाता रहा है। नीतीश ने उन्हें एमएलसी भी बनवाया था। नीतीश कुमार ने कुशवाहा की पार्टी रालोसपा का जनता दल यूनाइटेड (JDU) में विलय होने के बाद उन्हें जदयू संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष भी बनाया था। ऐसे में माना जा रहा था कि कुशवाहा को नीतीश कैबिनेट में अवश्य जगह मिलेगी, मगर उनका पत्ता कैसे कटा, इसकी भी दिलचस्प कहानी है।

उपेंद्र से अपनी ही बिरादरी के लोग नाराज

जानकार सूत्रों का कहना है कि उपेंद्र कुशवाहा को लेकर कुशवाहा समाज (Kushwaha Samaj) से जुड़े कई नेताओं में भारी नाराजगी दिख रही है। कुशवाहा बिरादरी के कई बड़े नेताओं ने हाल में पटना के होटल में बड़ी बैठक भी की थी। इस बैठक के दौरान कुशवाहा के प्रति सभी नेताओं की नाराजगी खुलकर सामने आई थी। सूत्रों का कहना है, कि कुशवाहा बिरादरी के नेताओं का कहना था कि मंत्री बनाना मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का विशेषाधिकार है, मगर उपेंद्र कुशवाहा को किसी भी सूरत में मंत्री नहीं बनाया जाना चाहिए। जदयू संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष बनने के बाद उपेंद्र कुशवाहा का सियासी कद काफी बढ़ गया है और इसे लेकर कुशवाहा बिरादरी में नाराजगी की बात बताई जा रही है। कुशवाहा बिरादरी की बैठक में लिए गए फैसले की जानकारी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी दी गई थी। माना जा रहा है कि इसी के बाद उपेंद्र कुशवाहा का नाम नए मंत्रियों की सूची से कट गया। 

नाम कटने पर नाराजगी

बिहार में राजद मुखिया लालू प्रसाद यादव (RJD Chief Lalu Prasad Yadav) और नीतीश कुमार को करीब लाकर महागठबंधन की सरकार बनवाने में उपेंद्र कुशवाहा की बड़ी भूमिका मानी जा रही है। इसके बावजूद वे नीतीश कैबिनेट में जगह पाने में कामयाब नहीं हो सके। सूची से नाम कटने की जानकारी उपेंद्र कुशवाहा को भी मिल गई थी। उनके करीबी सूत्रों का कहना है कि इसे लेकर वे काफी नाराज हैं। इसी कारण वे पहले ही पटना से दिल्ली रवाना हो गए थे। उन्होंने पटना राजभवन में आज आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में भी हिस्सा नहीं लिया। अब उनके 19 अगस्त को पटना लौटने की बात बताई जा रही है। कुशवाहा की नाराजगी के बाद अब जदयू में नया मोर्चा खोलने की बात कही जा रही है। अब सबकी निगाहें उपेंद्र कुशवाहा के अगले सियासी कदम पर टिकी हैं। माना जा रहा है कि वे भी कुशवाहा बिरादरी के कुछ नेताओं के खिलाफ मोर्चा खोल सकते हैं।

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